नया साल शुरू होने वाला है और साल की शुरुआत में हिन्दुओं के पवित्र त्यौहार मकर संक्रांति को मनाया जाता है। यह एक ऐसा त्यौहार है जिसे भारत ही नहीं नेपाल के सभी प्रांतों में भी मनाया जाता है। आज हम आपको इस लेख में मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? निबंध, महत्त्व ,पूजा विधि (Makar Sankranti Puja Vidhi in Hindi), Makar Sankranti 2023 Date क्या है ? Makar Sankranti kab hai? सभी के बारे में जानकारी देंगे।
भारत एक ऐसा देश है जो अपनी संस्कृति और अपने अनेक प्रकार के त्योहारों के लिए विश्वभर में विख्यात है। यहाँ दिवाली, होली, मकर संक्रांति, बसंत पंचमी जैसे कई त्यौहार मनाये जाते हैं। और हम सभी जानते हैं इन त्योहारों को मनाने के पीछे कई घटनाएं और कहानियां शामिल हैं।
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मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?
भारत देश में हर साल कई त्यौहार मनाये जाते हैं जिनकी संख्या 2000 से भी अधिक है। यह सभी त्यौहार महज एक रिवाज ही नहीं बल्कि इनके पीछे कई प्रकार की कहानियां, घटनाएं, विज्ञान, ज्ञान स्वास्थ्य से जुडी तमाम बातें होती हैं। हर साल जनवरी माह की 14 या 15 तारीख को हिंदुओं द्वारा मनाये जाने वाले मकर संक्रांति की बात करें तो यह भी प्राकृतिक घटना और कई कहानियों से जुड़ा हुआ त्यौहार है। मकर संक्रांति पौष मास में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है।
मकर संक्रांति का त्यौहार हर साल जनवरी में 14 या 15 तारीख को मनाया जाता है। सामान्यता हर साल संक्रांति 12 बार हर राशि में आती है लेकिन मकर राशि और कर्क राशि में संक्रांति का एक विशेष महत्त्व है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं इसे प्रकार सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश से रातें बड़ी और दिन छोटे होने लगते हैं।
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मकर संक्रांति की कथा /कहानी
हिन्दुओं के पवित्र त्यौहार मकर संक्रांति मनाये जाने के पीछे वैज्ञानिक कारण और कई पौराणिक कथाएं शामिल हैं। जिसमें से एक कथा माँ गंगा और राजा भगीरथ और राजा सगर के पुत्रों से जुडी हुई है। मकर संक्रांति से जुडी इस कथा के अनुसार राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को कपिल मुनि द्वारा श्राप से जलाकर भस्म किया गया था।
कपिल मुनि पर इंद्र के घोड़े की चोरी के झूठे आरोपों को राजा सगर के पुत्रों द्वारा लगाया गया जिससे कपिल मुनि क्रोधित हो गए और उन्हें श्राप देकर भस्म कर दिया। राजा सगर को जब यह बात पता चली तो उन्होंने कपिल मुनि से क्षमा मांगी। जिसके बाद कपिल मुनि ने उन्हें इसका एक ही उपाए बताया की आपको माँ गंगा को पृथ्वी पर लाना होगा। जिसके लिए राजा सगर के पोते अंशुमान और उनके बाद राजा भगीरथ ने कठिन तप किया। राजा भगीरथ के तप के बाद वह माँ गंगा को कपिल मुनि के आश्रम तक ले गए और माँ गंगा ने सगर पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया जिस दिन सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान हुआ उस दिन मकर संक्रांति थी।
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Makar Sankranti Story
Makar Sankranti की एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार इस विशेष दिन पर भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के पास जाते हैं। उस समय शनि द्वारा मकर राशि का प्रतिनिधित्व किया जा रहा था। पिता और पुत्र के बीच एक अच्छे सम्बन्ध के लिए मकर संक्रांति को काफी महत्त्व दिया गया है। इसके अतिरिक्त एक कथा के अनुसार जब भीष्म पितामाह जिन्हें अपनी इच्छा पर मृत्यु प्राप्त करने का वरदान था उन्होंने भी अपने प्राणों को उत्तरायण यानी मकर संक्रांति के दिन ही त्यागा था। और इसी दिन उन्हें मोक्ष प्राप्ति हुई।
मकर संक्रांति का त्यौहार का महत्व ( Makar Sankranti Significance )
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं। इस दिन गंगा स्नान करने की परंपरा है। इसी दिन माँ गंगा ने राजा सागर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया था। इसी दिन सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने गए थे। मकर संक्रांति यानी उत्तरायणी के दिन ही भीष्म पितामह को मोक्ष प्राप्त हुआ था। किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है इसी दिन भारत में किसानों द्वारा अपनी फसल काटी जाती है। यह त्यौहार हर साल 14 या 15 जनवरी को ही मनाया जाता है।
सूर्य जोकि ऊर्जा का प्रतीक है यह सभी मनुष्यों,जीव जंतुओं को रौशनी और ऊर्जा प्रदान करता है। मकर संक्रांति त्यौहार सभी को ऊर्जा की और अग्रसर होने की प्रेरणा और शक्ति प्रदान करता है। प्राकृतिक दिनचर्या में परिवर्तन आता है दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। इस दिन जप,दान ,स्नान ,तर्पण आदि धार्मिक कार्यों को करने का विशेष महत्त्व होता है। मकर संक्रांति के अवसर पर किये जाने वाले तप और दान का फल सो गुना बढ़ जाता है।
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मकर संक्रांति पूजा विधि (Makar Sankranti Puja Vidhi in Hindi)
हिन्दुओं के पवित्र त्योहारों में से एक Makar Sankranti को मानाने की कुछ विशेष प्रकार की पूजा विधि है इस दिन लोग निम्न प्रकार से Makar Sankranti की पूजा करते हैं –
- सुबह जल्दी उठकर टिल के उबटन से स्नान करें।
- सबसे पहले पूजा शुरू करने के लिए आपको पुण्य काल मुहर्त और महापुण्य काल मुहर्त को निकालना होता है।
- मुहर्त को निकाल लेने के बाद आपको अपने पूजा के स्थान को गंगाजल से शुद्ध करना है आपके पूजा स्थल पर भगवान सूर्य की प्रतिमा रखने क्यूंकि यह पूजा सूर्य देव को समर्पित है।
- पूजा की थाली पर आपको 4 काले और 4 सफेद तिल के लड्डू रखने होते हैं साथ ही रोली और फूल और कुछ पैसे भी इसमें रखें।
- थाली में पूजन सामग्री में चावल का आटा और हल्दी का मिश्रण ,सुपारी ,शुद्ध जल ,पान के पत्ते ,फूल अगरबत्ती ,धूप रखें।
- अब आपको इस थाली में रखे हुए तिल के लड्डू और मिठाई को अपने पूजा स्थान में देवताओं को चढ़ाना होता है।
- सूर्य को प्रसाद चढ़ाने के बाद उनकी आरती की जाती है। आरती के समय महिलाएं सर पर पल्ला रखती हैं।
- आरती के बाद आपको सूर्य मन्त्र ‘ॐ हरं ह्रीं ह्रौं सह सूर्याय नमः’ का 21 या 108 बार उच्चारण करना होता है।
- कुछ भक्तों द्वारा मकर संक्रांति के दिन 12 मुखी रुद्राक्ष भी पहना जाता है।
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Makar Sankranti 2023 Date
किसी भी पूजा का फल उसके सुबह मुहर्त में पुरे होने से ही प्राप्त होता है। इस साल मकर संक्रांति 2023 के दिन शुभ मुहूर्त कौनसा है ?इसके बारे में आपको जानना आवश्यक है। हर साल Makar Sankranti 15 जनवरी को मनाई जाती है इस साल 2023 को भी उत्तरायणी 15 जनवरी को मनाई जाएगी। पूजा शुरू करने के लिए आपको पुण्य काल और महा पुण्य काल का शुभ मुहर्त पता होना चाहिए।
- 15 जनवरी 2023 को शुभ मुहर्त दोपहर 02:43 बजे से 05:45 बजे के बीच है। यानी आप पूजा 02:43 बजे से 05:45 बजे के संपन्न कर सकते हैं। यह मुहर्त 3 घंटे और 02 मिनिट का है।
- इसके अतिरिक्त यदि महापुण्य काल की बात करें तो इस वर्ष 2023 में महा पुण्य काल का शुभ मुहर्त 02:43 बजे से 04:28 बजे के बीच है यानी यह कुल 1 घंटे 45 मिनिट का है।
पूजा के लाभ (Makar Sankranti Puja Benefits)
- हिन्दुओं में हर त्यौहार की अपनी विशेषता है चाहे वह दिवाली हो या होली या फिर मकर संक्रांति।
- मकर संक्रांति के दिन शुभ मुहर्त में पूजा करने से आपके जीवन में नयी चेतना आती है ,ब्रह्मांडीय बुद्धि का स्तर बढ़ता है।
- मानव जीवन में अध्यात्म का विकास होता है और मन की सुधि होती है।
- Makar Sankranti में किये गए कारणों जैसे दान ,जप ,तर्पण आदि का आपको सफल परिणाम मिलता है।
- यही वह पर्व है जो आपको निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और दिन की अवधि बढ़ती है।
मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है ?
भारत के अलग अलग राज्यों में मकर संक्रांति को अलग अलग नामों से जाना जाता है। इस दिन कई स्थानों में मेले लगते हैं लोग बड़ी तादात में गंगा स्नान करते हैं। इस दिन दान ,दक्षिणा ,और पुण्य का विशेष महत्त्व होता है। गुड़ और तिल लगाकर गंगा में स्नान किया जाता है।
सूर्य देवता को गंगा जल अर्पित किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है और लोग जीवन की सफलता के लिए उनसे प्रार्थना करते हैं। पूजा के बाद लोग गरीबों को फल ,पैसे ,कम्बल आदि जरुरी सामग्री का दान करते हैं। इस दिन पूरे देश में रौनक रहती है कई जगहों पर पतंग उड़ाई जाती है और तिल के व्यंजनों का उपयोग किया जाता है।
भारत में विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति का त्यौहार
देश में इस पर्व को हर राज्य में अलग अलग नामों से जाना जाता है। इस पर्व को अलग अल नाम से जाना जाता है और इसे मानाने की परंपरा भी अलग अलग है –
- उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी का पर्व कहते हैं। Makar Sankranti के पर्व में प्रयागराज (इलाहबाद ) में एक माह तक माघ मेला लगता है।
- पश्चिम बंगाल में इस पर्व में स्नान के बाद तिल का दान देने की प्रथा है और इस दिन गंगासागर में हर साल मेले का आयोजन भी किया जाता है।
- तमिलनाडु में इस पर्व को पोंगल के रूप में 4 दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन भोगी पोंगल दूसरे दिन सूर्य पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल /केनू पोंगल, और अंतिम दिन कन्या पोंगल।
- असम में मकर संक्रांति को माघ बिहू या भोगाली बिहू के नाम से जाना जाता है।
- जम्मू में मकर संक्रांति को उत्तरैण और माघी संगरांद के नाम से जाना जाता है।
- हिमांचल और हरियाणा में मकर संक्रांति को मगही नाम से जाना जाता है।
- पंजाब में इस दिन को लोहड़ी नाम से मनाया जाता है।
विदेशों में मकर संक्रांति के त्यौहार के नाम
भारत के अतिरिक्त विदेशों में भी मकर संक्रांति का प्रचलन है जहाँ पर इसे अन्य नाम से जाना जाता है। –
- भारत के पडोसी देश नेपाल में मकर संक्रांति को माघे संक्रांति कहा जाता है। नेपाल के कुछ भागों में इस पर्व को मगही नाम से जाना जाता है।
- म्यांमार में Makar Sankranti को थिन्ज्ञान के नाम से जानते हैं।
- श्रीलंका में इसे उलावर थिरुनाल से जाना जाता है।
- कंबोडिया में मकर संक्रांति त्यौहार को मोहा संग्क्रण नाम से मनाते हैं।
- थाईलैंड में इसे सोंग्क्रण नाम से मनाया जाता है।
Makar Sankranti 2023 Date, Story, Puja Vidhi से जुड़े प्रश्नोतर –
हर साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को होती है। Makar Sankranti 2023 इस साल भी 15 जनवरी को है।
इस साल की मकर संक्रांति का की पूजा का शुभ मुहर्त 02:43 बजे से शाम 05:45 बजे तक है।
भारत और विदेश में Makar Sankranti को कई नामों से जाना जाता है। नेपाल में माघे संक्रांति,म्यांमार में थिन्ज्ञान नाम से जाना जाता है। भारत के अलग अलग राज्यों में इसे पोंगल ,उत्तरायण, माघ बिहू नाम से जानते हैं।
सूर्य देव को मकर संक्रांति में पूजा जाता है
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