लोहड़ी के त्यौहार (निबंध) क्यों मनाया जाता है, इतिहास महत्व | Lohri Festival Significance and History in Hindi

भारत त्योहारों का देश माना जाता है। ऐसा देश जहाँ हर धर्म,जाति, समुदाय द्वारा विशेष पर्व और त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाये जाते हैं। देश में तक़रीबन 2000 से भी अधिक त्यौहार हर साल विभिन्न समुदाय धर्म या जाति विशेष द्वारा मनाये जाने की परंपरा है। भारत में मनाये जाने वाले सभी प्रकार के त्यौहार किसी विशेष घटना या पौराणिक कथाओं पर आधारित होते हैं। देश भर में कई प्रकार के त्यौहार मनाये जाते हैं उसी प्रकार जनवरी माह में खासकर पंजाब के इलाकों में पंजाबी समुदाय द्वारा लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है लोहड़ी के त्यौहार (Lohri Festival) क्यों मनाया जाता है?

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लोहड़ी के त्यौहार
Lohri Festival Significance and History in Hindi

त्यौहार को मानाने का कोई न कोई कारण जरूर होता है उसी प्रकार लोहड़ी का त्यौहार मनाये जाने के पीछे भी कई कहानियां प्रचलित हैं। आज के इस लेख में हम आपको लोहड़ी के त्यौहार (निबंध) क्यों मनाया जाता है? लोहड़ी के त्यौहार का इतिहास और महत्त्व (Lohri Festival Significance and History in Hindi) क्या है? सभी के बारे में बताएँगे। आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े।

लोहड़ी के त्यौहार (निबंध) Lohri Essay in Hindi

लोहड़ी पर्व हर साल जनवरी माह में मनाया जाता है। जैसे की आप सभी जानते हैं भारत में हर माह कोई न कोई विशेष पर्व /त्यौहार जरूर मनाया जाता है। उसी प्रकार से जनवरी माह में भी मकर संक्रांति (14 जनवरी) को मनाई जाती है। मकर संक्रांति से एक दिन पहले यानी 13 जनवरी को विशेष रूप से पंजाब राज्य में लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। लोहड़ी का पर्व मनाये जाने के पीछे कई प्रकार की ऐतिहासिक और धार्मिक कथाएं प्रचलित हैं।

अनेक प्रकार की कथाओं में से सबसे प्रसिद्ध कथा सुंदरी-मुंदरी और डाकू दुल्ला भट्टी की कथा है इसके अतिरिक्त भगवान श्री कृष्ण और राक्षसी लोहिता की कथा, संत कबीर दास की पत्नी लोई की कथा आदि। पंजाब क्षेत्र की बात की जाए तो पंजाबियों के लिए लोहड़ी के त्यौहार (Lohri Festival) खास महत्त्व रखता है। पंजाब ही नहीं बल्कि पंजाब के पडोसी राज्यों में लोहड़ी त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। लोहरी पर्व के 20 से 25 दिन पूर्व छोटे बच्चों द्वारा लोहड़ी का गीत गया जाता है और गीत गाते बच्चों द्वारा लोहड़ी हेतु लकड़ियों ,रेवड़ियों, मूंगफली,मेवे और मिठाईयां इकठ्ठा की जाती हैं।

लोहड़ी वाले दिन शाम को आग जलाकर लोग उस आग की परिक्रमा करते हैं। सभी लोग आग के चारों ओर नाचते गाते हुए आग में मूंगफली रेवड़ी ,खील ,मक्के के दाने आदि की आहुति देते हैं और आग के चरों और बैठकर आग सेकते हैं और साथ ही प्रसाद के रूप में गज्जक ,रेवड़ी ,मक्के के दानों का आनंद लेते हैं। पंजाब में लोहड़ी का त्यौहार नव नवेली वधु या बच्चों के लिए ख़ास महत्त्व रखता है क्यूंकि उनके लिए यह बहुत विशेष त्यौहार होता है।

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लोहड़ी के त्यौहार का इतिहास और कहानियां (Lohri Festival History and Story)

वैसे तो हर त्यौहार को मनाये जाने के पीछे कई कहानियां प्रचलित होती हैं। लोहड़ी मनाये जाने के पीछे कई पौराणिक और धार्मिक कथाएं प्रचलित हैं। जो इस प्रकार से हैं –

दुल्ला भट्टी और सुंदरी मुंदरी की कहानी

एक समय की बात है जिस समय भारत में मुग़ल शासन चल रहा था। मुग़ल काल के राजा अकबर के समय में पंजाब प्रान्त में एक लुटेरा रहा करता था। उस लुटेरे का नाम दुल्ला भट्टी था। दुल्ला भट्टी का काम पंजाब के सभी इलाकों में लूटपाट करना था। वह हर बार अपनी लूट का शिकार धनी लोगों को ही बनाता था। एक बार की बात है पंजाब के ही किसी गांव में दो अनाथ लड़कियां थी जोकि उनके चाचा द्वारा एक राजा को बेची गयी थी।

सुंदरी मुंदरी का चाचा उनके विवाह के बजाय उन्हें राजा को भेंट स्वरूप देना चाहता था। उसी समय दुल्ला भट्टी ने उन दोनों कन्याओं को राजा को भेंट होने से बचा लिया था। दुल्ला भट्टी द्वारा उन दोनों कन्याओं का विवाह विधिवत तरीके से योग्य वर से कराया जाता है। कन्याओं के विवाह के समय उसके द्वारा कन्यादान के रूप में उनकी झोली में एक सेर चीनी /शक़्कर डाली जाती है। दुल्ला भट्टी नाम के डाकू का दो अनाथ कन्याओं का विवाह कराकर पिता के फर्ज को निभाने की याद में लोहड़ी मनाई जाती है। इसके अतिरिक्त भी कई कथाएं प्रचलित हैं। कई लोगों का मानना है की यह त्यौहार संत कबीर दास जी की पत्नी लोई की याद में मनाया जाता है।

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कृष्ण भगवान और लोहिता की कथा

भगवान श्री कृष्ण और रक्षिसा लोहिता की कथा के अनुसार मकर संक्रांति के समय जब कृष्ण के मां कंस ने कृष की हत्या के लिए लोहिता नाम की राक्षसी को गोकुल भेजा था तो श्री कृष्ण ने उस राक्षसी को अपनी ही मायाजाल में फंसाकर खेल-खेल में उस राक्षसी को मार डाला था। ऐसा माना जाता है की राक्षसी लोहिता के वध के फलस्वरूप लोहड़ी पर्व मनाया जाता है।

भगवान शंकर और सती की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय राजा दक्ष के यज्ञ में माता सती को निमंत्रण भेजा था तो माता सती और भगवान शिव जी उनके यहाँ गए थे। इस यज्ञ में राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया जिससे माता सटी दुखी हुई और स्वयं को अग्नि के हवाले कर अपने प्राणों की आहुति दे दी। माना जाता है की ऐसी घटना की याद में लोहड़ी पर्व में अग्नि जलाई जाती है।

लोहड़ी का महत्त्व (Lohri Festival Significance)

हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले पंजाबी लोग विशेष रूप से लोहड़ी का पर्व मानते हैं। इस दिन ऐसे घरों में जहाँ बच्चे का जन्म हुआ है या नयी शादी हुई है उनके लिए विशेष रूप से इस त्यौहार का महत्त्व होता है। लोहड़ी में रबी की फसलों को काटकर घर में लाया जाता है और इसका बड़ा ही जश्न मनाया जाता है। लोहड़ी में विशेष रूप से गन्नों की फसल की बुवाई की जाती है और पुरानी फसलों को काटा जाता है। लोहड़ी हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पौष महीने की अंतिम रात को मनाई जाती है।

पंजाब ,हरियाणा जैसे राज्यों में इस त्यौहार का काफी महत्त्व है। किसानों के लिए इस त्यौहार का एक विशेष महत्व रहता है। क्यूंकि इस दिन पुरानी फसल की कटाई की जाती है और गन्ने की फसल की बुवाई होती है।

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लोहड़ी कब और कैसे मनाई जाती है ?

लोहड़ी का त्यौहार जनवरी माह में मकर संक्रांति से पहले वाली रात को मनाया जाता है। यह पंजाब प्रान्त का विशेष पर्व है जिसे अन्य राज्यों की अपेक्षा पंजाब और इसके आस-पास के राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाती है। Lohri Festival को हर साल 13 जनवरी को शाम को मनाया जाता है। इस दिन की तैयारी 20 25 दिन पहले से की जाने लगती है। बच्चे लकड़ियां इक्कठा करते हैं और लोहड़ी वाले दिन गोबर के उपलों और लकड़ियों को एक खाली स्थान पर जलाकर सभी लोग लोकगीत गाते हैं नाचते हैं और अग्नि में मूंगफली, गज्जक,रेवड़ी, मेवे, आदि की आहुति दी जाती है।

इस त्यौहार में किसान अग्नि में अपनी नई फसल की आहुति देते हैं और प्रसाद के रूप में सभी लोगों को रेवड़ी ,मूंगफली ,गज्जक आदि दिया जाता है। यह त्यौहार सर्दियों के सबसे ठन्डे दिनों के अंतिम दिन को दर्शाने के लिए भी मनाई जाती है।

भारत के इन राज्यों में मनाया जाता है लोहड़ी का त्यौहार

भारत में कई राज्यों में लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है

  • पंजाब
  • हिमाचल प्रदेश
  • जम्मू-कश्मीर
  • दिल्ली
  • हरियाणा
  • पंजाब
  • बंगाल
  • ओडिशा

Lohri Festival क्यों मनाया जाता है से सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

लोहड़ी का अर्थ क्या है ?

लोहड़ी तीन शब्दों से मिलकर बना है जिसमें ल का अर्थ होता है लकड़ी ,ओह का अर्थ होता है सूखे उपले और डी का अर्थ होता है रेवड़ी।

इस साल लोहड़ी कब है ?

हर साल लोहड़ी मकर संक्रांति पर्व से पहले वाली रात को मनाई जाती है। लोहड़ी 13 जनवरी को है।

भारत में लोहड़ी क्यों मनाई जाती है ?

भारत में अनेक त्यौहार मनाये जाते हैं। लोहड़ी पंजाब क्षेत्र का एक विशेष त्यौहार है जिसे कई ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं को याद कर मनाया जाता है। विशेषता यह पर्व किसानों द्वारा पुरानी फसल की कटाई की खुशी में मनाया जाता है।

लोहड़ी के दिन क्या करते हैं ?

लोहड़ी वाले दिन लोग अग्नि जलाकर उस अग्नि की परिक्रमा करते हैं। अग्नि के चरों और चक्कर लगाते समय लोहड़ी के लोकगीत गाते हैं और नाचते हैं साथ ही साथ अग्नि में खील ,रेवड़ी ,मूंगफली आदि को डालते हैं। घर लौटते समय पंजाबी समुदाय लोहड़ी में से 2 या 4 दहकते कोयले प्रसाद के रूप में अपने घर लेजाते हैं।

सिंधी समुदाय में लोहड़ी को किस रूप में मनाया जाता है ?

सिंधी समुदाय द्वारा लोहड़ी पर्व को लाल लोई के रूप में मनाया जाता है।

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