महिलाओं के सोलह श्रृंगार क्या-क्या होते हैं ? Sixteen Adornments of Women? 16 Shringar List in Hindi

भारत में महिलाएं विशेष अवसर जैसे करवा चौथ, तीज, शादी या विशेष त्यौहारों में श्रृंगार जरूर करती हैं। प्राचीन काल में सभी रानियां सोलह श्रृंगार (Sixteen Adornments) किया करती थी। लेकिन क्या आप जानते हैं महिलाओं के सोलह श्रृंगार क्या-क्या होते हैं ?

यदि नहीं तो आज हम आपको महिलाओं के सोलह श्रृंगार की सूची (16 Shringar List in Hindi) के बारे में बताएँगे। महिलाओं के सोलह श्रृंगार (Sixteen Adornments of Women) क्या-क्या होते हैं चलिए जानते हैं विस्तार से।

प्राचीन काल में भारत ही नहीं बल्कि विदेशी महिलाएं भी अपने रूप रंग को सँवारने के लिए कई प्रकार के आभूषणों का उपयोग करती थी। पुराने समय में राजा महाराजाओं और उनकी रानियों द्वारा अपनी साज-सज्जा के लिए कई कीमती आभूषणों, वस्त्रों और इत्रों का उपयोग किया जाता था। आजकल के समय में काम- काजी महिलाएं सोलह श्रृंगार करने से परहेज रखती हैं। लेकिन ऐसा नहीं है की महिलाएं अपने Shringar को करना ही भूल गयी हों।

प्रत्येक महिला अपने प्रेमी या पति के सामने खूबसूरत देखने के लिए अलग-अलग श्रृंगार करती है लेकिन आज का समय बदल गया है। सजने-सवरने से पहले अपने प्यार को ठीक से पहचान लें। तभी आपको सोलह श्रृंगार के महत्व के बारें में पता चलेगा।

महिलाओं के सोलह श्रृंगार क्या-क्या होते हैं ? Sixteen Adornments of Women? 16 Shringar List in Hindi
Sixteen Adornments of Women

सोलह श्रृंगार का अर्थ क्या है?

सामान्यता सोलह श्रृंगार (16 Shringar) का अर्थ 16 तरह के आभूषण से है। भारत में का 16 श्रृंगार को नव विवाहित महिला अपने शरीर पर अलग-अलग अंगों में धारण करती है। सर से लेकर पैर के अँगूठे तक 16 तरह के सोने के आभूषण को भारतीय परंपरा में महिलाओं द्वारा पहना जाता है। लेकिन आजकल महिलाएं डायमंड और आर्टिफिशियल आभूषणों का उपयोग भी करती हैं।

भारत में पुराने समय से सोलह श्रृंगार को सुहागन रानी -महारानियों द्वारा अपने सौंदर्य को निखारने के लिए प्रयोग में लाया जाता था। आज भी भारतीय महिलाएं इन सोलह श्रृंगार (Sixteen Adornments) को त्योहारों या शादियों के अवसर पर जरूर करती हैं।

महिलाओं के सोलह श्रृंगार क्या-क्या होते हैं ?

आज के समय में सोलह श्रृंगार की कोई परिभाषा नहीं है देश और काल के अनुसार और बदलती परिवेश के अनुसार सोलह श्रृंगार में काफी भिन्नता देखी गई है। सोलह श्रृंगार (16 Shringar) का महत्व नववधू के लिए अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है हिंदू धर्म की मांग के अनुसार नई नवेली विवाहित महिलाएं भगवान लक्ष्मी और पार्वती का स्वरूप मानी जाती है।

सोलह श्रृंगार नई दुल्हन और सुहागन महिलाओं के सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है। आइए जानते हैं महिलाओं के सोलह श्रृंगार क्या-क्या होते हैं (Sixteen Adornments of Women) इसके बारे में –

1. स्नान (सोलह श्रृंगारों का प्रथम चरण)

महिलाओं के सोलह श्रृंगार को शास्त्रों में विस्तार से बताया हुआ है। सोलह श्रृंगारों का प्रथम चरण स्नान है। सबसे पहले दुल्हन के बालों में तेल लगाकर उन्हें धोया जाता है और बालों के सूखने के बाद उसका जुड़ा बनाया जाता है।

महिलाओं के सोलह श्रृंगार
solah shringar स्नान (सोलह श्रृंगारों का प्रथम चरण)

दुल्हन के शरीर के रंग को निखारने के लिए हल्दी लगाई जाती है और इस हल्दी में चंदन का पेस्ट मिलकर दुल्हन के पूरे शरीर पर लगाया जाता है। गुलाब के फूलों से सुगंधित पानी से दुल्हन के शरीर को स्नान कराया जाता है। और इसके बाद सोलह श्रृंगार की प्रक्रिया को शुरू किया जाता है।

2. बिंदी (कुमकुम)

महिलाओं के सोलह श्रृंगार
solah shringar; बिंदी (कुमकुम)

सुहागिन महिलाओं द्वारा कुमकुम या बिंदी को अपने माथे पर लगाया जाता है। कुमकुम को शास्त्रों में बहुत ज्यादा पवित्र माना गया है। महिलाओं द्वारा माथे पर लगाई गई बिंदिया या कुमकुम उनके गुरु के बल को भी बढ़ाता है। इसलिए सोलह श्रृंगार में बिंदी का अपना एक महत्व है और यह विवाहित महिलाओं के सौन्दर्य को भी बढ़ता है।

3. सिंदूर

महिलाओं के सोलह श्रृंगार
Shringar List in hindi सिंदूर (सोलह श्रृंगार)

सिंदूर का महिलाओं के सोलह श्रृंगार में सबसे अधिक महत्व है। हिन्दू महिलाओं द्वारा अपने मांग पर सिंदूर भरा जाता है जो कि उनके सुहागिन होने का प्रतीक होता है। यह सिंदूर उनके पति के दीर्घायु होने का भी प्रतीक है।

4. काजल

महिलाओं के सोलह श्रृंगार
solah shringar काजल (सोलह श्रृंगार)

महिलाओं के सोलह सिंगार में एक सिंगार काजल है जिसे महिलाएं आंखों में लगाती है। काजल आंखों की सुंदरता के साथ-साथ यह मंगल दोष को भी दूर करता है। आजकल बाजार में काजल के कई तरह के ब्रांड हैं लेकिन पारंपरिक रूप से काजल को एक मिट्टी के दीप में बत्ती लगाकर उसके ऊपर एक स्टील के बर्तन को रखकर बनाया जाता था।

5. मांगटीका

महिलाओं के सोलह श्रृंगार क्या-क्या होते हैं ? Sixteen Adornments of Women? 16 Shringar List in hindi

मांग टिका महिलाओं के मांग पर अटकाकर लगाए जाने वाला एक तरह का आभूषण है। यह माथे के आगे लगाया जाता है। यह सोने का बना होता है। मांग टीके में सर की बीच की मांग में चैन को बालों से अटकाया जाता है और इस आभूषण के माथे की और गोल या चौकोर अकार का आभूषण लगा होता है। मांग टीका विवाहित महिलाओं के जीवन में शालीनता और सादगी का प्रतीक माना जाता है।

6. नथ

solah shringar ; नथ (सोलह श्रृंगार)

महिलाओं के द्वारा नाक के आगे वाले भाग में एक गोल आकर की रिंग पहनी जाती है। इसे नथ या कोका कहा जाता है। भारत में अलग-अलग राज्यों में तरह-तरह की नथ पहनी जाती है। नथ महिलाओं की सुंदरता को तो बढाती ही है साथ ही साथ यह शास्त्रों के अनुसार नाक में पहनी गयी नथ बुध ग्रह के दोष को भी कम करता है।

7. मेंहदी

solah shringar ;मेंहदी (सोलह श्रृंगार )

16 श्रृंगारों में मेहँदी का नाम न आये ऐसा कैसे हो सकता है। मेहंदी भी महिलाओं के 16 श्रृंगार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।भारत में मेहंदी हर हिन्दू त्यौहार पर लगायी जाती है लेकिन नव विवाहित महिलाओं और सुहागिनों के लिए यह सौभाग्य, प्रेम का प्रतीक होता है।

8. चूड़ियां

solah shringar ; चूड़ी (सोलह श्रृंगार)

भारतीय महिलाओं के श्रृंगार में चूड़ी का अपना महत्व है मंगलसूत्र और सिंदूर के बाद सुहागिन महिलाएं चूड़ियां अवश्य पहनती हैं। चूड़ियों को महिलाओं के लिए सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और समृद्धि के लिए अपने हाथों में चूड़ियां पहनती हैं।

9. मंगलसूत्र या हार

solah shringar :मंगलसूत्र या हार

विवाहित महिलाएं अपने गले में सोने का हार या मंगलसूत्र अवश्य पहनती हैं क्योंकि यह उनके सुहागिन होने का प्रमाण होता है। इतना ही नहीं मंगलसूत्र में लगे हुए काले मोती आपको बुरी नजर से भी बचाते हैं। गले में आजकल कई प्रकार के डिजाइन के मंगलसूत्र पहने जाते हैं।

10. झुमका, कर्ण फूल या कुंडल

solah shringar ; झुमका ,कर्ण फूल या कुंडल (सोलह श्रृंगार)

झुमके, बाली या कुण्डल महिलाओं के द्वारा अपने कान में पहना जाता है। ऐसा माना जाता है की झुमके या कुण्डल धारण करने से राहु और केतु के दोष दूर होते हैं।

11. कमरबंद या तगड़ी

solah shringar :कमरबंद या तगड़ी

कमरबंद सुहागिन महिलाएं द्वारा अपनी कमर पर बांधा जाता है यह चांदी का होता है। कमरबंद एक चांदी का आभूषण है जो पेट शीतलता प्रदान करता है और पेट की विभिन्न प्रकार की बीमारियों को भी दूर रखता है।

12. बाजूबंद और Armlet

solah shringar :बाजूबंद और Armlet

बाजूबंद महिलाओं द्वारा हाथ के बाजू में पहना जाता है। यह सोने का आभूषण होता है। पुराने समय में यह आभूषण काफी प्रचलित था। लेकिन अब भारत में किन्हीं-किन्ही राज्यों में ही यह आभूषण महिलाओं द्वारा पहना जाता है। इस आभूषण में कई प्रकार की आकृतियों के रत्न और मोतियों का प्रयोग किया जाता है।

13. हाथफूल और अंगूठी

solah shringar:हाथफूल और अंगूठी

महिलाओं द्वारा अपनी तर्जनी उंगली पर अंगूठी को पहना जाता है। विवाह से पूर्व सगाई के समय लड़का और लड़की अपनी उंगली पर अंगूठी पहनते है। अंगूठी को सौभाग्य का प्रतीक माना गया है।

माना जाता है की अंगूठी धारण करने से हाथ में जितने भी ग्रह के पर्वत हैं उनसे शुभ फल की प्राप्ति होती है इसलिए महिलाओं के सोलह सिंगार में अंगूठी का अपना महत्व है।

14. गजरा और बालों के आभूषण

solah shringar : गजरा और बालों के आभूषण

गजरा बालों में सुगंध और सुंदरता के लिए लगाया जाता है। किसी भी महिला के बालों की सुंदरता के लिए गजरा 16 श्रृंगारों में से एक है। विवाहित महिलाएं अपने बालों में जूडा बनाती है और इस जुड़े को चमेली के फूलों के गजरे से कवर करती हैं। आजकल मार्किट में कई प्रकार की आर्टिफीसियल गजरे आ चुके हैं।

15. बिछिया (पैरों की उँगलियों में पहना जाता है)

solah shringar: बिछिया

महिलाओं के सोलह श्रृंगार में बिछिया का भी स्थान है। यह आभूषण चांदी का बना होता है जो कि महिलाएं अपनी पैर की उँगलियों में पहनती हैं। माना जाता है की बिछिया पहनने से शनि और सूर्य दोष भी दूर होते हैं।

16. पायल, पाजेब

solah shringar :पायल ,पाजेब

पायल को पाजेब भी कहा जाता है। यह चांदी का आभूषण होता है जिसे महिलाएं पैर में पहनती हैं। माना जाता है की जिस घर में सुहागिन महिलाएं पायल पहनती हैं वहाँ लक्ष्मी जी का वास होता है।

महिलाओं के सोलह श्रृंगार का इतिहास

प्राचीन समय में वल्लभदेव की सुभाषितावली में पहली बार महिलाओं के सोलह श्रृंगार की गणना की गयी है जो इस प्रकार से है –

  1. मज्जन
  2. चीर
  3. हार
  4. तिलक
  5. अंजन
  6. कुंडल
  7. नासामुक्ता
  8. केशविन्यास
  9. चोली (कंचुक)
  10. नूपुर,
  11. अंगराग (सुगंध)
  12. कंकण
  13. चरणराग
  14. करधनी
  15. तांबूल
  16. करदर्पण (आरसो नाम की अंगूठी)

नागेंद्र नाथ बसु ने अपने हिंदी विश्व कोश में महिलाओं के 16 Shringar की गणना इस प्रकार की है –

  1. उबटन
  2. स्नान
  3. वस्त्र धारण
  4. केश प्रसाधन
  5. काजल
  6. सिंदूर
  7. महावर
  8. तिलक
  9. चिबुक का तिल
  10. मेहंदी
  11. सुगंध लगाना
  12. आभूषण
  13. पुष्प माल
  14. मिस्सी लगाना
  15. तांबूल
  16. होठों को रंगना

16 Shringar List in hindi

  1. स्नान (सोलह श्रृंगारों का प्रथम चरण)
  2. बिंदी
  3. सिंदूर
  4. काजल
  5. मांगटीका
  6. नथ ,फुल्ली
  7. गजरा
  8. झुमका ,कर्ण फूल या कुंडल
  9. मंगलसूत्र
  10. महेंदी
  11. हाथफूल या अंगूठी
  12. चूड़ी
  13. बाजूबंद
  14. कमरबंद या तगड़ी
  15. बिछिया (पैरों की उँगलियों में पहना जाता है)
  16. पायल ,पाजेब

16 Shringar का महत्त्व

हिंदू नव विवाहित या सुहागिन महिलाओं के जीवन में 16 Shringar का बड़ा महत्व है। महिलाओं के सोलह श्रृंगार के बारे में ऋग्वेद में भी वर्णन किया गया है। ऋग्वेद के अनुसार इन 16 श्रृंगार से महिलाओं का सौंदर्य तो बढ़ता ही है बल्कि इन श्रृंगार से महिलाओं के भाग्य में भी वृद्धि होती है। इसीलिए नई नवेली दुल्हन और सुहागिन महिलाओं को सोलह श्रृंगार करना जरूरी होता है।

सुहागिनों के लिए यह श्रृंगार बहुत शुभ होते है साथ ही साथ सुहागिन महिलाओं के पति के लिए भी यह श्रृंगार सौभाग्य लेकर आते हैं। 16 श्रृंगार में उपयोग में आने वाले आभूषणों को महिलाएं अपने शरीर के विभिन्न अंगों में धारण करती हैं। यह श्रृंगार महिलाओं के सौन्दर्य के साथ -साथ विभिन्न दोषों को भी दूर करता है।

विभिन्न आभूषणों को धारण करने से महिलाओं के पति की आयु में वृद्धि होती है साथ ही महिलाओं के सौभाग्य में वृद्धि होती है और यह महिलाओं के सभी प्रकार के दोषों को भी दूर करता है और उनके जीवन में सम्पन्नता लेकर आता है। सोलह श्रृंगार में प्रयुक्त आभूषणों का अपना विशेष महत्व है।

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