भारत में शिक्षा की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए समय के साथ शिक्षा नीति में भी बदलाव किया जाता रहा हैं। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 – नई शिक्षा नीति भी समय की मांग और जरूरत के हिसाब से देश की शिक्षा व्यवस्था को प्रभावी बनाये रखने के लिए लाई गयी है। शिक्षा व्यक्ति के संपूर्ण विकास के लिए बहुत आवश्यक है इसलिए भारत में 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिया गया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी मिलने पर इसे लागू कर दिया गया है। इस पॉलिसी के तहत बहुत से महत्वपूर्ण बदलाव किये गए हैं, जिन्हें आगे इस आर्टिकल के ज़रिये जान सकते हैं।
Table of Contents
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020
भारत में शिक्षा क्षेत्र में परिवर्तन हेतु सरकार द्वारा समग्र शिक्षा अभियान जैसे कई महत्वपूर्ण शिक्षा अभियान चलाये गए हैं। देश की नई शिक्षा नीति द्वारा भी स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणालियों में परिवर्तनकारी सुधार लाना है। इस नीति के तहत स्कूल से लेकर कॉलेज शिक्षा नीति तक में बदलाव किया गया है। साथ ही “मानव संसाधन विकास मंत्रालय” को अब “शिक्षा मंत्रालय” के नाम से जाना जाएगा।
Cabinet Briefing @PrakashJavdekar @DrRPNishank https://t.co/47u5S0pH6f
— Dr. Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) July 29, 2020
शिक्षा नीति में बदलाव 34 वर्ष बाद हुआ है। इससे पहले सं०1968 और सं०1986 के बाद ये तीसरी बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव हुआ है। नई शिक्षा नीति का मसौदा इसरो प्रमुख रह चुके “डॉ० के० कस्तूरीरंगन” की अध्यक्षता में तैयार किया गया है। इस नीति का मकसद शिक्षा के प्रारूप में बदलाव करके भारत को विकास की राह पर चला वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित करना है।
नयी शिक्षा नीति 2020 में किये गए बदलाव
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत सकल नामांकन अनुपात को वर्ष 2030 तक सौ प्रतिशत (100%) लाने का टारगेट रखा गया है। नयी शिक्षा नीति 2020 में पुरानी शिक्षा नीति की खामियों को हटाकर नए पाठ्यक्रम को लाया गया है। इसमें इस बात का खास ख्याल रखा गया है कि पाठ्यक्रम सरल और सहज हो, जो विद्यार्थियों की समझ में आ सके।
भारत में ऐसी शिक्षा प्रणाली हो जिस से विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो सके। नयी शिक्षा नीति के अंतर्गत पाठ्यक्रम को छात्रों के लिए रुचि पूर्ण बनाया गया है तथा तकनीकी ज्ञान और उसके प्रैक्टिकल / ट्रेनिंग को भी सम्मिलित किया गया है।
शिक्षा नीति का 5 +3 +3 +4 पैटर्न
- नई शिक्षा नीति के अनुसार अब 5 +3 +3 +4 वाला पैटर्न फॉलो किया जाएगा।
- अब से शिक्षा में रटने की बजाए कॉन्सेप्ट समझने पर ज़ोर दिया जाएगा।
- सिर्फ ज्ञान ही नहीं उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने की कोशिश रहेगी।
- कुल मिलाकर सारा ध्यान छात्रों के सर्वांगीण विकास पर होगा।
क्रम स० | चरण | वर्ष संख्या | कक्षा | विद्यार्थी की उम्र |
1 | पहला – फाउंडेशन स्टेज | 5 वर्ष | प्री – प्राईमरी (3 वर्ष )+कक्षा 1 व 2 | 6 से 8 वर्ष तक |
2 | दूसरा -प्रीपेरटरी स्टेज | 3 वर्ष | कक्षा 3 से लेकर कक्षा 5 तक | 8 से 11 वर्ष |
3 | तीसरा -मिडिल स्टेज | 3 वर्ष | कक्षा 6 से लेकर कक्षा 8 तक | 11 से 14 वर्ष |
4 | चौथा – सेकेंडरी स्टेज | 4 वर्ष | कक्षा 9 से लेकर 12 कक्षा तक | 14 से 18 वर्ष |
Highlights of New Education Policy PDF (NEP)
लेख | राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 |
नीति का शुभारम्भ | शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार। |
वर्ष | 2020 (प्रस्तुत), 2023(सक्रिय) |
नीति का लाभ पाने वाले | भारत के सभी छात्र एवं छात्राएं |
नीति का उद्देश्य | शिक्षा नीति को उत्कृष्ट बनाना और भारत को विश्व में वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना। |
पीडीऍफ़ डाउनलोड | हिंदी में डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें इंग्लिश में डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें |
आधिकारिक वेबसाइट | www.education.gov.in/hi |
नयी राष्ट्रीय शिक्षा पॉलिसी से होने वाले लाभ :-
नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति से होने वाले सभी लाभों की चर्चा नीचे विस्तार से इस लेख में कर रहे हैं।
- इसका सबसे पहला लाभ तो यही है की आज की शिक्षा व्यवस्था की पुरानी सभी खामियों को हटाने का प्रयास किया है। नई नीति के तहत इसे उत्कृष्ट और सार्वभौमिक बनाने पर ध्यान दिया गया है।
- इस नयी एजुकेशन पालिसी के तहत छात्रों के ज्ञान के साथ साथ उनके स्वास्थ्य और कौशल विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा।
- विद्यार्थियों के स्वास्थ्य कार्ड भी बनाये जाएंगे। नियमित रूप से छात्रों की स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था भी सम्मिलित है।
- नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को लागू करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जी डी पी का 6 प्रतिशत हिस्सा व्यय किया जाएगा।
- नयी शिक्षा नीति के तहत अब छात्रों को अपने विषय का चुनाव स्वयं करने का अधिकार होगा।
- छात्रों को पहले की तरह आर्ट्स, साइंस और कॉमर्स में से किसी एक को नहीं चुनना पड़ेगा। वो चाहे तो इन तीनों ही स्ट्रीम्स से विषय चुन सकते हैं।
न्यू नेशनल एजुकेशन पॉलिसी की विशेषताएं
- इस नीति में बोर्ड परीक्षा का प्रारूप भी बदला गया है।
- अब से बोर्ड की परीक्षाएं साल में दो बार कराई जाने की बात कही गयी है। इससे छात्रों पर पढाई का बोझ ख़त्म होगा।
- नयी शिक्षा नीति में अब छात्र अपनी भाषा में पढ़ पाएंगे और एग्जाम भी उसी भाषा में दे पाएंगे।
- भारत की अन्य प्राचीन भाषा जैसे संस्कृत को पढ़ने का भी ऑप्शन दिया गया है।
- अंग्रेजी की अनिवार्यता ख़त्म कर दी गयी है।
- अब से शैक्षिक सत्र में छात्रों को तकनीकी ज्ञान देने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- उन्हें कक्षा 6 से ही कोडिंग आदि सिखायी जाएगी और इंटर्नशिप भी करायी जाएगी।
- नयी एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत “अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर” के माध्यम से शिक्षण प्रदान किया जाएगा।
- पढाई के साथ ही खेल-कूद, कला इत्यादि “एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज” को भी अनिवार्य किया गया है।
- नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत अब विद्यार्थी ऑफलाइन कक्षाओं के साथ-साथ ऑनलाइन भी पढ़ सकेंगे। इसके लिए उन्हें पढ़ने की सामग्री ऑनलाइन भी उपलब्ध कराई जाएगी।
नयी शिक्षा नीति में क्या है ?
नयी नीति में शिक्षा की गुणवत्ता का उच्चतर स्तर बनाये रखने का प्रयास किया गया है। ज्ञान सिर्फ रटने व परीक्षा पास करने के लिए नहीं बल्कि उनकी तार्किक, रचनात्मक, नैतिक सोच आदि का विकास करने के लिए है।
न्यू नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत इसे अलग -अलग चरणों में लागू किया जाएगा। इसके कुल चार चरण होंगे। नयी नीति के तहत अब शिक्षण व्यवस्था 5 +3 +3 +4 की प्रक्रिया में होगी। ये पुरानी प्रक्रिया 10 +2 के आधार से अलग है।
नई शिक्षा नीति के तहत ‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ (National Council of Educational Research and Training- NCERT) द्वारा पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
मूलभूत चरण (पूर्व प्राथमिक और ग्रेड 1 व 2) (5 वर्ष)
- ये राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत आने वाला वाला पहला चरण है। पहले की शिक्षा नीति में 6 वर्ष तथा उस से बड़े बच्चों को ही एजुकेशन सिस्टम का भाग माना जाता था।
- अब प्री- प्राइमरी एजुकेशन को भी फॉर्मल एजुकेशन माना जाएगा।
- अब से 3 से 6 वर्ष के बच्चे भी शिक्षा व्यवस्था का भाग होंगे। इस उम्र तक बच्चों के मस्तिष्क का सही विकास और शारीरिक वृद्धि हो सके इस बात को ध्यान में रखकर नयी नीति में उनके लिए पाठ्यक्रम में खेल कूद व अन्य गतिविधियाँ रखी हैं।
- प्रारंभिक बाल्यकाल अवस्था से ही बच्चों को आगे आने वाली शिक्षा दीक्षा के लिए तैयार किया जाएगा। इसके लिए सम्बंधित संगठनात्मक (बुनियादी) ढाँचे को और मजबूत बनाया जाएगा।
- 5 साल से कम आयु के बच्चों के लिए “बाल वाटिका ” का प्रावधान भी किया गया है। यहाँ खेल कूद के साथ-साथ संख्या ज्ञान आदि दे दिया जाएगा।
- कक्षा दो तक कोई भी परीक्षा नहीं ली जाएगी। इस तरह बच्चों को बिना दबाव के शिक्षित किया जाएगा।
प्रेपरेटरी स्टेज (3 वर्ष)
- अगले चरण को प्रिपरेटरी स्टेज नाम दिया गया है ,जहाँ बच्चों को आगे के पाठ्यक्रम के लिए तैयार किया जाएगा।
- इस स्टेज में कक्षा 3 से 5 तक को शामिल किया गया है जिनकी उम्र 8 से 11 वर्ष के बीच हो सकती है।
- इन कक्षाओं के छात्र अपनी मातृभाषा तथा स्थानीय भाषा में भी पढाई कर सकते हैं। यही नहीं वो चाहें तो परीक्षा भी स्थानीय या मातृभाषा में दे सकते हैं।
- अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता को ख़त्म कर दिया गया है और इसे एक विषय के रूप में अब भी पढ़ाया जाएगा
- अंग्रेजी माध्यम से पढ़ने के इच्छुक हों उनके लिए भी ऑप्शन है।
- इस स्टेज में छात्रों को संख्यात्मक कौशल व भाषा का मूलभूत ज्ञान दिया जाएगा। कक्षा 3 से अब परीक्षा की शुरुआत हो जाएगी।
मिडिल स्टेज (3 वर्ष)
- इस स्टेज में कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थी आएंगे जिनकी उम्र 11 से 14 वर्ष के बीच हो सकती है।
- इस कक्षा से अब कंप्यूटर ज्ञान और कोडिंग की जानकारी दी जाने लगेगी।
- सभी को आवश्यक रूप से रूचि के अनुसार व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा और उसके बाद इंटर्नशिप भी करवाई जाएगी। इसके लिए उन्हें मार्क्स भी मिलेंगे।
- इस तरह से प्रशिक्षण के साथ-साथ उनमें व्यावहारिक समझ भी विकसित की जाएगी।
- इस चरण में बच्चों को बाकी सब्जेक्ट्स के साथ कोई भी एक भारतीय भाषा ( जैसे क्षेत्रीय भाषा ) का भी आवश्यक रूप से ज्ञान दिया जाएगा।
सेकेंडरी स्टेज (4 वर्ष)
- इस स्टेज में कक्षा 9 से लेकर 12 तक के छात्र आएंगे जिनकी उम्र सीमा 14 से 18 वर्ष हो सकती है।
- नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार अब कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को सेमेस्टर वाइज देना पड़ेगा। जबकि पहले परीक्षा सालभर में एक बार होती थी।
- अब छात्रों को आर्ट्स साइंस और कॉमर्स में से किसी एक स्ट्रीम को ही पढ़ने की बाध्यता ख़त्म कर दी गयी है।
- छात्र चाहें तो साइंस, कॉमर्स के विषय के साथ आर्ट्स के विषय भी ले सकते हैं।
- विद्यार्थियों का मूल्यांकन अब पहले की तरह नहीं किया जाएगा। नयी शिक्षा नीति 2020 के तहत अब उनका रिपोर्ट कार्ड नयी प्रक्रिया से तैयार होगा।
- किसी भी छात्र को फाइनल रिपोर्ट कार्ड पर अंक देते हुए उसके ओवरआल परफॉरमेंस को देखा जाएगा।
- अब से रिपोर्ट कार्ड 360 डिग्री असेसमेंट के आधार पर बनेगा, जिसमें विषय पढ़ाने वाले अध्यापक के साथ-साथ छात्र अपना व अपने सहपाठियों का विश्लेषण कर खुद को और सहपाठियों को भी अंक देंगे।
शिक्षण प्रणाली से जुड़े सुधार
- एडमिशन: नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत अब शिक्षा क्षेत्र में कॉलेज जाने वाले विद्यार्थियों के लिए भी नए प्रावधान बनाये गए हैं।
- कॉलेज में एडमिशन के लिए अगर छात्रों को 12वी के मार्क्स के आधार पर मनपसंद कॉलेज में सीधे एडमिशन नहीं मिलता है तो वह CAT एग्जाम दे सकते हैं। फिर 12 वी तथा कैट एग्जाम के अंक मिलाकर वे अपनी पसंद की यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने का अवसर पा सकते हैं।
- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत ग्रेजुएशन की पढाई को अब 4 और 3 साल के टाइम पीरियड में बांटा गया है। जिसमें अब “मल्टीपल एंट्री और मल्टीपल एग्जिट” की सुविधा दी गयी है। इसके तहत अगर कोई विद्यार्थी ग्रेजुएशन की डिग्री की पढ़ाई बीच में अधूरी छोड़कर जाता है तो उसे एक साल में सर्टिफिकेट कोर्स, दो साल में डिप्लोमा, 3 साल में बैचलर्स की डिग्री मिलेगी।
- 4 साल की पढाई पूरी करने पर उसे बैचलर्स के साथ रिसर्च का सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा।
- बीच में छोड़ने के बाद अगर कोई व्यक्ति अपनी पढाई पूरी करने का इच्छुक हो तो वो भी अपनी पढाई फिर से शुरू कर सकता है इसके लिए उसे फिर से ग्रेजुएशन के फर्स्ट ईयर से शुरू करने की जरूरत नहीं होगी। जिस वर्ष की पढाई अधूरी रह गयी थी वहीं से शुरू कर सकते हैं।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत अब छात्रों को अकादमिक बैंक ऑफ़ क्रेडिट की सुविधा प्राप्त हो सकेगी।
- अब से सभी छात्रों के अंक, रिपोर्ट, डाक्यूमेंट्स आदि ऑनलाइन या डिजिटल तरीके से सेव किये जाएंगे।
- पढाई के दौरान सेमेस्टर में क्रेडिट्स मिलेंगे जिसके अंतर्गत कोई भी छात्र जो किसी कारणवश अपने सेमेस्टर पूरे नहीं कर पाता है, तो वो अपनी पढाई पूरी करने के लिए इस अकादमिक बैंक में अपने क्रेडिट्स का प्रयोग करके पढाई बाद (एक निश्चित अवधि) में पूरी कर सकता है।
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- वोकेशनल ट्रेनिंग को दिया जाएगा महत्व : नयी शिक्षा नीति के अंतर्गत 2025 तक वोकेशनल पढाई करने वालों का प्रतिशत 50% तक लाने का लक्ष्य रखा है जो अभी तक 5 प्रतिशत से भी कम है।
- कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों को वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाएगी जिसमे उन्हें बाग़बानी,मिटटी के बर्तन बनाना, बिजली का काम आदि सिखाया जाएगा।
- एम.फिल को किया समाप्त और अब 4 साल का होगा बी० एड :-नयी एजुकेशन पालिसी 2020 में एम फिल कार्यक्रम को ख़त्म कर दिया गया है। साथ ही अब बी एड प्रोग्राम को 2 वर्ष से बढ़ाकर 4 वर्ष कर दिया गया है।
- भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना : नयी शिक्षा नीति के तहत कक्षा 5 तक अंग्रेजी की अनिवार्यता हटा मातृ भाषा तथा क्षेत्रीय भाषा में पढ़ने की सुविधा दी है।
- विद्यार्थियों को अब माध्यमिक स्तर से विदेशी भाषाएं भी सिखाई जाएंगी। इस तरह से छात्रों को कहीं भी किसी भी क्षेत्रों में पिछड़ने से बचाया जा सकता है।
- नयी शिक्षा नीति के तहत भाषाओं को जान ने वाले शिक्षकों की भर्ती : भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बोली जाने वाली भाषाओं का ज्ञान रखने वाले शिक्षकों की भर्ती की जाएगी ताकि अपनी भाषा में छात्र बिना किसी समस्या के पढ़ सकें।
अन्य महत्वपूर्ण बदलाव
- किसी एक स्ट्रीम के चुनाव की बाध्यता ख़त्म : अब से स्कूल व कॉलेज में किसी भी एक स्ट्रीम को चुन ने की बाध्यता ख़त्म कर दी गयी है।
- छात्र अपने विषय अपनी पसंद से चुन सकेंगे। इसके लिए पाठ्यक्रम में विषयों का पूल बनाया जाएगा जिसमें छात्रों को अपने सब्जेक्ट्स का चुनाव करने में सुविधा होगी।
- नए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अब छात्रों को शिक्षा के साथ अब कौशल विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा।
- उन्हें शुरूआत कक्षाओं से ही संगीत, नृत्य, योग, मूर्तिकला आदि अन्य कलाओं में भी पारंगत किया जाएगा।
- मल्टीपल एग्जिट, मल्टीपल एंट्री की सुविधा : नई नीति के तहत अब पढाई में किसी कारणवश छात्र को ब्रेक लेना पड़ता है तो वो बाद में भी अपनी पढाई को पूरी कर सकता है। इसके लिए छात्र को फिर शुरुआत से नहीं पढ़ना होगा।
- साथ ही छात्र को उसके पढ़े हुए अवधि के अनुसार सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री आदि प्रदान किये जाएंगे।
- अकादमिक बैंक ऑफ़ क्रेडिट: अब विद्यार्थियों से सम्बंधित जानकारियां, डाक्यूमेंट्स व अंक आदि को डिजिटल रूप में संग्रहित किया जाएगा। जिसे बाद में उनके डिग्री प्रदान करते वक्त इस्तेमाल किया सकेगा।
- भारतीय उच्च शिक्षा आयोग पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक एकल नियामक के रूप में कार्य करेगा। इसके तहत चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को नहीं रखा गया है। इसके चार निकाय होंगे -राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद, सामान्य शिक्षा परिषद, राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद तथा उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद।
- विकलांग बच्चों के विकास के लिए भी नयी शिक्षा नीति में बदलाव किये गए हैं।
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी से सम्बंधित प्रश्न उत्तर
नयी एजुकेशन पालिसी कब से लागू होगी ?
new नेशनल एजुकेशन पॉलिसी संभवतः 2021 में लागू होगी। हालाँकि इस से सम्बंधित किसी भी तरह की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। ये प्रक्रिया 2021 से अलग-अलग चरणों में पूरी की जाएगी।
नयी एजुकेशन पालिसी में क्या एक स्ट्रीम के विषयों को लेने की बाध्यता खत्म कर दी गयी है ?
नई एजुकेशन पालिसी में एक ही स्ट्रीम के विषयों को लेने की बाध्यता को ख़त्म कर दिया गया है। अब छात्र अपनी रुचि के हिसाब से अपने विषय चुन सकेंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्य क्या है ?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य छात्रों की रटने की प्रवृत्ति को ख़त्म कर उनके सर्वांगीण विकास को महत्व देना है। इस पाठ्यक्रम के माध्यम से बच्चों को प्रारंभिक सालों के दौरान ही उनमें किसी विषय को बिना दबाव के समझने और प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
नयी एजुकेशन पालिसी में बी एड ० तथा एम फिल० से सम्बंधित क्या बदलाव है ?
न्यू एजुकेशन पालिसी में एम फिल० के प्रोग्राम को ख़त्म कर दिया गया है। बी एड० प्रोग्राम की अवधि अब बढ़ा दिया गया है। अब 2 साल की जगह 4 साल में पूरा किया जा सकेगा।