भारत ही नहीं विदेशों में भी घरेलू हिंसा के मामलों में विस्तार हुआ है। कई मामलों में महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी घरेलू हिंसा का शिकार पाए गए हैं। घरेलू हिंसा (Domestic Violence) एक सभ्य समाज की पहचान नहीं है यह एक दंडनीय अपराध है। घरेलू हिंसा को रोकने के लिए ‘घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम (पीडब्ल्यूडीवीए) 2005” को लागू किया गया। पहले के समय में महिलायें अपने खिलाफ हो रहे अत्याचारों को सहा करती थी लेकिन अब महिलाएं जागरूक हो चुकी हैं।
डोमेस्टिक वाईलेंस की खिलाफ महिलाएं महिला हेल्पलाइन नंबर या राष्ट्रीय महिला आयोग की वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकती हैं। घरेलू हिंसा कानून क्या है और घरेलू हिंसा (Domestic Violence) की शिकायत कैसे करें? यहाँ हम इसके बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं। तो चलिए जानते हैं Domestic Violence Case Kaise Kre इसके बारे में विस्तार से।
Table of Contents
जानिये घरेलू हिंसा कानून क्या है ?
Protection of women from Domestic violence act 2005 को भारत की संसद द्वारा पारित किया गया था। घरेलू हिंसा से तात्पर्य घर के भीतर होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा है।
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम (पीडब्ल्यूडीवीए) 2005 के तहत भारत की महिलाएं जो अपने घर में किसी प्रकार के अत्याचार से पीड़ित हैं इसके खिलाफ एक्शन ले सकती हैं। domestic violence law का उद्देश्य घरेलू हिंसा से महिलाओं को संरक्षण प्रदान करना है।
Domestic Violence में महिलाओं के ऊपर किये जाने वाले अत्याचार में महिला के नातेदार जैसे पति, भाई, बहन, बेटा, सास, देवर -भाभी, ननद या परिवार के अन्य सदस्य शामिल होते हैं। हिंसा का तात्पर्य किसी व्यक्ति के साथ जोर जबरदस्ती करना उसे मरना या पीटना या अत्याचार करना है।
घरेलु हिंसा के अंतर्गत मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से परेशान करना या हानि पहुँचाना सभी को शमिल किया गया है।
यह भी देखें: अगर आपके साथ ऑनलाइन कोई फर्जीवाड़ा होता है तो उसकी शिकायत आप ऐसे कर सकते हैं।
मंत्रालय | महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) |
विभाग स्थपना वर्ष | 1985 |
घरेलू हिंसा कानून | घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम (पीडब्ल्यूडीवीए) 2005 |
domestic violence law लागू | सम्पूर्ण भारत में |
PWDVA 2005 को राष्ट्रपति की स्वीकृति | 13 सितम्बर 2005 |
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम (पीडब्ल्यूडीवीए) 2005 लागू | 26 अक्टूबर 2006 |
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ऑफिसियल वेबसाइट | wcd.nic.in |
राष्ट्रीय महिला आयोग वेबसाइट | ncw.nic.in |
Domestic Violence क्या है ?
घरेलु हिंसा के अंतर्गत अनेक प्रकार के हिंसा और दुर्व्यवहार को शामिल किया गया है जैसे –
- किसी व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक पीड़ा पहुँचाना
- लैंगिक शोषण
- व्यक्ति के जीवन या स्वास्थ्य को खतरा
- महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाना ,अपमान या तिरस्कार
- अतिक्रमण करना
- मौखिक या भावनात्मक दुर्व्यवहार करना यानी गाली देना ,उपहास उड़ाना
- आर्थिक दुर्व्यवहार ,महिला को उसके आर्थिक संसाधनों से वंचित करना
- मानसिक रूप से परेशान करना।
घरेलू हिंसा कानून 2005 की धाराएं
Sections under Domestic Violence Act 2005 (घरेलू हिंसा कानून के अंतर्गत विभिन्न धाराएं ) –
- धारा 1 – के अनुसार इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम (पीडब्ल्यूडीवीए) 2005 है।
- धारा 2- में महत्वपूर्ण शब्दों को परिभाषित किया गया है।
- धारा 3 -इस धारा के अनुसार घरेलु हिंसा के अंतर्गत किसी व्यथित व्यक्ति का शारीरिक दुरुप्रयोग,मानसिक ,लैंगिक, मौखिक ,भावनात्मक दुरुप्रयोग को रखा गया है। धारा 3 में घरेलू हिंसा के बारे में विस्तार से दिया गया है।
- धारा 4 –हिंसा से महिलाओं की रक्षा का दायित्व संरक्षक अधिकारी को दिया गया है। domestic violence किया जा रहा है या हो चुका है इसकी सूचना व्यथित व्यक्ति संरक्षक अधिकारी को दे सकता है। एक पीड़ित व्यक्ति इस कानून के तहत संरक्षण अधिकारी या सेवा प्रदाता से संपर्क स्थपित कर सकता है।
- धारा 5 –इसके अंतर्गत घरेलु हिंसा की सूचना मिलने पर किसी पुलिस अधिकारी ,मजिस्ट्रेट ,सेवा प्रदाताओं के कर्तव्य के बारे में बताया गया है। किसी घरेलु हिंसा की जानकारी मिलने पर पुलिस अधिकारी ,मजिस्ट्रेट ,सेवा प्रदाताओं को निम्नलिखित जानकारी प्रदान करनी होती है –
- व्यथित व्यक्ति को संरक्षण प्रदान करने का आदेश पाने की।
- पुलिस अधिकारी ,मजिस्ट्रेट ,सेवा प्रदाताओं की सेवा की उपलब्धता प्रदान करने की।
- निशुल्क विधिक सहायता प्रदान करने की जानकारी
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घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम -2005 धारा 6 से धारा 22
- धारा 6 –इस धारा के अंतर्गत आश्रय गृह के कर्ताओं के बारे में बताया गया है।
- धारा 7 – पीड़ित व्यक्ति या महिलाओं को निशुल्क चिकित्सीय सुविधा देने के कर्तव्य की अपेक्षा की गयी है।
- धारा 8 – राज्य सरकार प्रत्येक जिले में जहाँ तक संभव हो महिला संरक्षण अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी।
- धारा 9 -इसके अंतर्गत संरक्षण अधिकारीयों के कर्तव्यों और उनके कार्यों के बारे में बताया गया है।
- धारा 10 –कोई स्वेच्छिक संगठन या कंपनी जो महिला के अधिकारों की रखा करते हों सेवा प्रदाता के तौर पर राज्य सरकार के पास अपना रजिस्ट्रेशन कराएंगी।
- धारा 11 – सरकार के कर्तव्यों को बताया गया है।
- धारा 16 -कार्यवाही को बंद कमरे में किया जा सकता है।
- धारा 18 –संरक्षण आदेश के बारे में बताया गया है।
- धारा 20 और 22 –व्यथित व्यक्ति और उसके संतान के लिए भरण -पोषण का आदेश।
भारत में घरेलू हिंसा रोकने के लिए कानून
देश में घरेलु हिंसा रोकने के लिए कई कानून (laws to prevent domestic violence in india) बनाये गए हैं। समय -समय पर देश में domestic violence रोकने के लिए कई कानून बनाये गए और पारित किये गए। हमारे देश में घरेलु हिंसा रोकने के लिए निम्नलिखित कानून बनाये गए हैं –
- भारतीय दंड सहिंता 1860 की धारा 498 A के तहत विवाहित महिला के साथ उसके पति या पति के रिश्तेदार अत्याचार /हिंसा करते हैं तो उन्हें इसके लिए 3 साल की सजा का प्रावधान है।
- भारतीय दंड सहिंता 1860 की धारा 304B के अंतर्गत यदि किसी महिला की दहेज़ के लिए हत्या की जाती है तो अपराधी को कम से कम 7 साल की सजा से लेकर आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है।
- घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005′ को भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया है। इसके तहत विवाहित या अविवाहित महिला को मानसिक, शारीरिक ,आर्थिक यौन शोषण से सुरक्षा हेतु कोर्ट के माध्यम से संरक्षण आदेश, कॉउंसलिंग, स्वास्थ्य सुविधा, भरण -पोषण के लिए मुआवजा दिया जाता है।
यह भी देखें: सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 क्या है
घरेलू हिंसा की शिकायत कैसे करें?
यदि आप भी घरेलू हिंसा से पीड़ित हैं तो आप इसके लिए पुलिस की सहायता ले सकती हैं। आप चाहें तो राष्ट्रीय महिला आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर भी घरेलू हिंसा के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कर सकती हैं। आप तीन तरीकों से domestic violence के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कर सकती हैं –
- पुलिस की सहायता से – महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार होने पर पुलिस से मदद ले सकती हैं। महिलाएं पुलिस हेल्पलाइन नंबर 100 या 1091 में कॉल कर पुलिस से सहायता ले सकती हैं। हिंसा की शिकार हुयी महिला को अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के बारे में पुलिस को जानकारी देनी है और अपना पता और संपर्क विवरण को पुलिस से साझा करना है।
- राष्ट्रीय महिला आयोग – Domestic violence की शिकार महिलाएं राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women) की वेबसाइट ncw.nic.in पर जाकर भी ऑनलाइन अपनी शिकायत दर्ज कर सकती हैं। आप वेबसाइट पर ‘Register online complaints’ पर क्लिक करके अपनी शिकायत दर्ज कर सकती है। आप अपनी शिकायत को पोस्ट ऑफिस के माध्यम से भी भिजवा सकते हैं। आप इसके अतिरिक्त आप ncw@nic.in पर भी मेल कर अपनी शिकायत को दर्ज कर सकते हैं।
- घरेलू हिंसा अधिनियम- घरेलू हिंसा अधिनियम (domestic violence act) के section 18 के तहत, घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को कोर्ट द्वारा सुरक्षा आदेश, आवास आदेश और आर्थिक भत्ता लेने का ऑर्डर मिल सकता है। domestic violence act के तहत protection officer के माध्यम से पीड़ित महिला को “डोमेस्टिक इंसिडेंट रिपोर्ट” (DIR) बनवानी होगी। राज्यों के सभी जिलों में protection officer को नियुक्त किया गया है। डीआईआर एप्लीकेशन को कोर्ट में फाइल करना होता है।
घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कैसे करें, देखें
ncw.nic.in पर domestic violence के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए आपको नीचे दिए प्रोसेस को फॉलो करना होगा –
- सबसे पहले आपको राष्ट्रीय महिला आयोग की ऑफिसियल वेबसाइट ncw.nic.in पर विजिट करना होगा।
- होमपेज पर आपको NCW Application का ऑप्शनपैट क्लिक करके उसकी आगे Online Complaint Registration पर क्लिक करना है।
- जैसे ही आप इसपर क्लीक करते हैं आप ncwapps.nic.in पाए आ जाते हैं यहाँ आपको यहाँ पर नीचे की ओर शिकायत पंजीकरण के लिए यहाँ क्लिक करें के लिंक पर क्लिक करना है।
- अब आपके सामने complaints registration form खुलकर आ जाता है। यहाँ आपको पूछे गए विवरणों को भरना है जैसे complainant की details और victim की डिटेल्स आदि
- सभी जानकारी भरने के बाद आपको घटना की पूरी जानकारी को लिखना होगा और कैप्चा कोड को भरना है।
- अंत में submit के बटन पर क्लिक करना है।
- जैसे ही आप सबमिट करते हैं आपकी शिकायत ऑनलाइन राष्ट्रीय महिला आयोग की ऑफिसियल वेबसाइट पर दर्ज हो जाएगी।
- इस प्रकार आप domestic violence की खिलाफ complaint file कर सकते हैं।
राष्ट्रीय महिला आयोग के फोन नंबर
राष्ट्रीय महिला आयोग से किसी प्रकार की सहायता हेतु आप नीचे दिए गए टोल फ्री नंबर पर संपर्क कर सकते हैं –
- 91-11-26944880
- 91-11-26944883
- email id -complaintcell-ncw@nic.in
Important links
domestic violence act 2005 hindi pdf | यहाँ क्लीक करें |
अपनी शिकायत की स्थिति जानने के लिए | यहाँ क्लिक करें |
घरेलू हिंसा (Domestic Violence Case) से सम्बंधित पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)-
सवाल: राष्ट्रीय महिला आयोग की आधिकारिक वेबसाइट क्या है ?
जवाब: नेशनल कमीशन फॉर वीमेन की आधिकारिक वेबसाइट ncw.nic.in है।
सवाल: Domestic violence कितने प्रकार के होते हैं ?
जवाब: घरेलू हिंसा कई प्रकार की हो सकती है। domestic violence के अंतर्गत शारीरिक, आर्थिक, भावनात्मक, मानसिक, यौन शोषण आदि आते है।
सवाल: महिला उत्पीड़न में कौन सी धारा लगायी जाती है ?
जवाब: भारत के संविधान की धारा 498 के तहत किसी विवाहित महिला पर उसके पति द्वारा यदि कोई हिंसा की जाती है जिससे महिला को नुकसान होता है तो वह इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकती है।
सवाल: राष्ट्रीय महिला आयोग का हेल्पलाइन नंबर क्या है ?
जवाब: National Commission for Women helpline number 91-11-26944880 और 91-11-26944883 है। आप इन नंबर पर भी कॉल कर घरेलू हिंसा के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं।