RTI Act: सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 क्या है, जानते हैं क्या?

भारत एक लोकतान्त्रिक देश है। भारत के लिखित संविधान में नागरिकों को उनके कर्तव्यों और अधिकारों के बारे में बताया गया है। जैसे की हम सभी जानते हैं भारत के सभी नागरिक चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, लिंग, वर्ग से है सभी को उनके अधिकार प्रदान किये गए हैं। सूचना का अधिकार हर नागरिक को दिया गया है। भारत का कोई भी नागरिक सरकार के विभिन्न विभागों की जानकारी ले सकते हैं। नीचे आप जानेंगे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 क्या है ? और इसके क्या प्रावधान है ?और यदि कोई व्यक्ति RTI लगता है तो उसे इसका जबाव कितने दिनों में मिलता है ? RTI Act in Hindi में जानने के लिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

सूचना का अधिकार, RTI Act in Hindi
RTI Act in Hindi

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सूचना का अधिकार अधिनियम RTI Act 2005 क्या है ?

राइट टू इनफार्मेशन एक्ट 2005 सरकारी सूचना प्राप्त करने के लिए नागरिकों द्वारा पूछे गए सवालों का समय पर जवाब देनी की अनिवार्यता रखता है। Right to information (RTI) का मुख्य उद्देश्य सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाना और सरकारी कार्यों की जबाबदेही को बढ़ावा देना है। सूचना का अधिकार को नागरिकों को उनके मूलभूत अधिकारों में शामिल किया गया है।

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साल 2005 में केंद्र सरकार द्वारा सीआईसी- केंद्रीय सूचना आयोग की स्थापना सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों के तहत की गयी थी। Central Information Commission यानी केंद्रीय सूचना आयोग में 1 मुख्य सूचना आयुक्त होता है लेकिन इसमें 10 से अधिक सूचना आयुक्त नहीं हो सकते हैं। RTI को भारतीय लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने और शासन में पारदर्शिता लाने के लिए भारतीय संसद द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 को लागू किया गया।

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Key Highlights of Right to information (RTI)

आर्टिकल का नामसूचना का अधिकार अधिनियम 2005
आरटीआई का उद्देश्यअधिकारीयों द्वारा किये गए कार्यों और अधिकारीयों के नियंत्रण में आने वाली सूचनाओं तक नागरिकों की पहुँच सुनिश्चित करना
सरकारी कार्यों के संचालन और व्यवहार में पारदर्शिता लाना
RTI के लाभार्थीसभी नागरिक
केंद्रीय सूचना आयोग की ऑफिसियल वेबसाइटcic.gov.in (Central Information Commission)

RTI Act in Hindi

भारत के संविधान में आर्टिकल 19 (1) में नागरिकों को बोलने और भाषण की स्वतंत्रता दी गयी है। आरटीआई एक्ट कानून के सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है जो नागरिकों को सरकारी कार्यों और सूचनाओं की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है। कानून के अंतर्गत सभी संवैधानिक निकाय, सरकार के अंतर्गत आने वाली संस्थाएं, संगठन को शामिल किया गया है।

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Right to information (RTI) के तहत नागरिकों को सार्वजनिक नीतियों और कार्यों के बारे में जरुरी जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है। इसके अंतर्गत सरकार के सभी विभागों और सरकार के अंतर्गत आने वाले संस्था /संगठन के जबाबदेही और कार्यों में पारदर्शिता लाने का कार्य किया जाता है। यह RTI ACT देश के सभी नागरिकों को सरकार से जानकारी और सूचना लेने या पूछने का अधिकार देता है। साथ ही साथ नागरिक इसके माध्यम से टिप्णियां, सारांश या दस्तावेजों की प्रमाणित सामग्री के नमूनों की मांग भी कर सकते हैं।

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उद्देश्य (Right to information -RTI)

  • 2005 में Right to information -RTI लाया गया।
  • इसे देश के नागरिकों को सूचना का अधिकार देने के लिए लागू किया गया है।
  • आरटीआई अधिनियम (RTI Act) का उद्देश्य सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाना ,शासन की जबाबदेही तय करना।
  • देश के सभी नागरिकों को सशक्त बनाना।
  • भ्रष्टाचार रोकना तथा लोकतंत्र में नागरिकों की भागीदारी को सुनिश्चित करना है।

Right to information (RTI) की विशेषताएं

  • धारा 2: ईमेल, रिकार्ड्स ,दस्तावेज (डाक्यूमेंट्स) राय ,नमूने ,मॉडल ,कागजात ,किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखा गया डेटा आदि के लिए सूचना को एक्सेस किया जा सकता है।
  • धारा (J) :- किसी सार्वजनिक प्राधिकरण (Public authority) द्वारा किये गए कार्यों या उसके अंडर आने वाले निकायों के कार्यों ,डाक्यूमेंट्स का निरिक्षण करना ,दस्तावेजों या अभिलेखों के नोट्स ,फ्लॉपी ,टेप ,वीडियो कैसेट या अन्य इलेक्ट्रॉनिक मोड़ या प्रिंटआउट के माध्यम से जानकारी लेने के अधिकार के बारे में बताता है।
  • धारा 4 :- इस धारा के अंतर्गत आरटीआई के तहत Public authority को अपनी ओर से जानकारी का खुलासा करना जरुरी है।
  • धारा 8 (1):- सूचना का खुलासा करने में छूट का वर्णन धारा 8 (1) में किया गया है।
  • आरटीआई अधिनियम केंद्रीय सूचना आयुक्त और राज्य स्तरीय सूचना आयुक्तों का भी नियुक्त करता है।
  • RTI के तहत यदि आवेदक कोई जानकारी मांगता है तो उसे आवेदन प्राप्त होने के 30 दिन के अंदर सूचना प्रदान की जाती है।
  • यदि किसी सूचना या जानकारी का किसी व्यक्ति के जीवन या उसकी स्वतंत्रता पर प्रभाव पड़ता है तो उसे यह जानकारी 48 घंटों के अंदर उपलब्ध करायी जाती है।

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सूचना के अधिकार (RTI) कैसे फाइल करें ?

आप RTI को ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन दोनों ही तरीकों से फाइल कर सकते हैं। यदि आप ऑफलाइन आरटीआई दाखिल करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए एक खाली कागज़ पर आवेदन लिखना होगा और इसे संबंधित कार्यालय के जन सूचना अधिकारी (P.I.O) को संबोधित कर भेजना होगा।

अधिनियम के मुख्य प्रावधान (RTI ACT)

  • आरटीआई एक्ट के तहत भारत का कोई भी नागरिक Public authority से जानकारी लेने के लिए अनुरोध कर सकता है।
  • नागरिकों द्वारा सूचना के आवेदन के 30 दिन के भीतर सम्बंधित कार्यालय /विभाग से जानकारी को उपलब्ध कराया जायेगा।
  • ऐसी सूचना जिसका प्रभाव व्यक्ति की जिंदगी या स्वतंत्रता से सम्बंधित है उसे 48 घंटे के अंदर प्रदान किये जाने का प्रावधान है।
  • अधिनियम के अंतर्गत राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सर्वोच्च न्यायालय, संसद व राज्य विधानमंडल ,उच्च न्यायालय, CAG, निर्वाचन आयोग (Election Commission) को भी सूचना का अधिकार अधिनियम के दायरे में लाया गया है।
  • आरटीआई के तहत केंद्र स्तर पर एक मुख्य सूचना आयुक्त और 10 या इससे कम सूचना आयुक्त सदस्यता वाले एक केंद्रीय सूचना आयोग की स्थापना का प्रावधान है। इसी आधार पर राज्य में भी एक राज्य सूचना आयोग का गठन किया जाएगा।
  • जम्मू और कश्मीर को छोड़कर आरटीआई एक्ट भारत के सभी राज्यों पर लागू है।
  • RTI के अंतर्गत देश के सभी संवैधानिक निकाय, संसद राज्य विधानसभा के अधिनियमों द्वारा गठित संस्थान, निकायों को शामिल किया गया है।

आरटीआई एक्ट के तहत शिकायत कैसे दर्ज करें ?

  • कोई भी नागरिक आरटीआई अधिनियम के तहत आने वाले सभी वाले प्राधिकरण (authority) के जन सूचना अधिकारी (PIO) को जानकारी देने के लिए लिखित अनुरोध कर सकता है।
  • जन सूचना अधिकारी को किसी व्यक्ति के “जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार के बारे में सूचना का खुलासा करना जरुरी है।
  • सूचना का विषय क्या है और यह किसी के जीवन या स्वतंत्रता के किस प्रकार जुड़ा हुआ है इसके आधार पर सूचना उपलब्ध कराने की समय सीमा को निर्धारित किया गया है।
  • भारतीय कानून में आरटीआई के तहत नागरिक द्वारा किये गए अनुरोधों का जवाब समय पर देना जरुरी है। 
  • जब सूचना या जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कोई अधिकारी उपलब्ध नहीं होता है तो आवेदक अपने अनुरोध को राज्य के केंद्रीय सूचना आयोग के पास भेज सकते हैं।
  • जैसे ही किसी पीआईओ यानी जन सूचना अधिकारी द्वारा किसी अनुरोधक के आवेदन को स्वीकार किया जाता है, तो PIO द्वारा अनुरोधक को सूचना की प्रतिक्रिया देने के लिए 1 महीने का समय होता है।
  • 1 माह के बाद आवेदन को दूसरे पीआईओ को transferred कर दिया जाता है।
  • Assistant PIO के पास किसी सूचना प्राप्त के लिए सौंपे गए आवेदन पर जबाबदेही के लिए 35 दिन का समय होता है।
  • CIC द्वारा सहमति प्राप्त schedule secured agency द्वारा भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी देने के लिए किसी भी आवेदन को RTI Act की अनुसूची II के अंतर्गत आने वाले मानवाधिकार उल्लंघन का जवाब 45 दिनों के अंदर देना होता है।

सूचना का अधिकार से सम्बंधित अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)-

देश में पहला राज्य जहाँ आरटीआई (rti) लागू किया गया था ?

भारत के तमिलनाडु राज्य में साल 1997 में RTI लागू किया गया था।

साल 2005 में सूचना का अधिकार लागू होने से पूर्व कितने राज्यों में इसे पहले लागू किया गया ?

2005 में RTI के राष्ट्रीय स्तर पर लागू होने से पूर्व 9 राज्यों में इसे पहले ही लागु कर दिया गया था।

भारत में सुचना का अधिकार कब से लागू हुआ ?

देश में 12 अक्टूबर 2005 से सूचना का अधिकार (Right to information) लागू किया गया।

किस देश में सबसे पहले सूचना का अधिकार लागू हुआ ?

स्वीडन में सबसे पहले सूचना का अधिकार लागू किया गया था।

RTI की धारा 8 क्या है ?

आरटीआई की धारा 8 (J) ऐसी किसी भी सूचना के खुलासे से छूट प्रदान करता है जो किसी की व्यक्तिगत सूचना /जानकारी से जुडी हुई है और इसके खुलासे से किसी का कोई हित नहीं है।

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