(निबंध) पोंगल त्यौहार क्यों मनाया जाता है महत्त्व कथा | Pongal Festival, Date, Information in Hindi

भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर धर्म के लोग रहते हैं। हर साल देश में बड़े से बड़े और छोटे से छोटे कई प्रकार के त्योहारों को मनाया जाता है। अंग्रेजी नववर्ष के आरम्भ में कई ऐसे त्यौहार हैं जो भारतवर्ष में अलग अलग राज्यों द्वारा अपने अंदाज में मनाये जाते हैं इसी श्रेणी में दक्षिण भारत में पोंगल त्यौहार (Pongal Festival) हर साल जनवरी माह में मनाया जाता है। इन त्योहारों को मनाये जाने के पीछे कई वैज्ञानिक कारण होने के साथ साथ ऐतिहासिक और पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।

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Pongal Festival, Date, Information in Hindi
Pongal Festival, Date, Information in Hindi

उत्तर भारत में मनाये जाने वाले पर्व मकर संक्रांति,लोहड़ी की ही तरह दक्षिण भारत में पोंगल त्यौहार का भी एक ख़ास महत्त्व है। भारत के दक्षिणी राज्यों में पोंगल त्यौहार सूर्य देव को समर्पित है। आज हम आपको (निबंध) पोंगल त्यौहार 2024 क्यों मनाया जाता है ?पोंगल का महत्त्व और पोंगल त्यौहार को मनाये जाने के पीछे की कथा सभी के बारे में जानकरी देंगे। Pongal Festival 2024 Date, Information in Hindi के लिए आर्टिकल के साथ बने रहें।

Key Highlights of Pongal Festival 2024 Date

त्यौहार का नामपोंगल
पोंगल का अर्थअच्छी तरह उबालना”
अनुयायीहिन्दू, भारतीय
त्यौहार में अनुष्ठानसूर्य भगवान् और गाय माता
त्यौहार का आरम्भअग्रहायण का अंतिम दिन
त्यौहार का समापनपौष माह की तृतीया तिथि
त्यौहार मनाया जाता हैहर साल 14 -15 जनवरी
त्यौहार कितने दिन चलता है4 दिन (हर दिन के पोंगल के अलग अलग नाम हैं)
पोंगल शुरू होने की तिथि (Pongal Festival Date)15 जनवरी (सोमवार)
पोंगल के समाप्त होने की तिथि18 जनवरी (बृहस्पति)
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(निबंध) पोंगल त्यौहार 2024 क्यों मनाया जाता है ? (Pongal Festival Information in Hindi)

पोंगल हिन्दू धर्म से सम्बंधित त्यौहार है जिसे भारत के तमिलनाडु राज्य में मनाया जाता है। तमिल में रह रहे हिन्दू समुदाय के लिए यह पर्व खास महत्त्व रखता है। उत्तर भारत में मकर संक्रांति और लोहड़ी पर्व मनाया जाता है जोकि सूर्य या अग्नि देवता को समर्पित होता है उसी प्रकार से दक्षिण भारत में हिन्दू धर्म के लोग हर साल 14 या 15 जनवरी को पोंगल त्यौहार (Pongal Festival) को मानते हैं। पोंगल त्यौहार को सूर्य और इंद्र देव को समर्पित किया गया है। दक्षिण भारतीय लोगों द्वारा अच्छी फसल होने पर बड़े ही हर्षोल्लास के साथ इस त्यौहार को मनाया जाता है। पोंगल त्यौहार दक्षिण भारतीयों द्वारा 4 दिनों तक मनाये जाने वाला पर्व है,और चरों दिनों का अपना -अपना महत्त्व है।

तमिलनाडु में पोंगल त्यौहार को मनाये जाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं मौजूद हैं। जिसमें से एक कथा भगवन शिव और बैल बसव से सम्बंधित है। जबकि दूसरी कथा भगवन कृष्ण और इंद्र से सम्बंधित है। Pongal Festival को हर साल जनवरी माह के दूसरे हफ्ते में मनाया जाता है। पंगल पर्व को भगवान सूर्यदेव को समर्पित किया गया है।

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Significance of Pongal Festival: पोंगल का महत्त्व

देदक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु में पोंगल पर्व का अपना एक खास महत्त्व है। यह पर्व पुरे 4 दिनों तक मनाया जाता है जिसमे हर दिन का अपना अपना महत्त्व होता है। पोंगल के हर दिन को अलग अलग नामों से जाना जाता है। पोंगल के पहले दिन भोगी पोंगल ,दूसरे दिन थाई पोंगल ,तीसरे दिन मट्टू पोंगल अंतिम और चौथे दिन कन्नुम पोंगल मनाया जाता है। Pongal Festival को विशेष रूप से प्रकृति को समर्पित किया गया है। यह त्यौहार कृषक समुदाय से सम्बंधित है क्यूंकि इस दिन को अच्छी फसल होने की ख़ुशी में मनाया जाता है।

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पोंगल का इतिहास कथा और कहानी

भारत के तमिलनाडु राज्य का पोंगल त्यौहार (Pongal Festival) दक्षिण भारतीयों का एक प्राचीन त्यौहार है। एक अनुमान के अनुसार यह पर्व लगभग 200 से 300 ईस्वी के पहले का है। इस पर्व को द्रविड़ फसल के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। इसका विभिन्न संस्कृत पुराणों में उल्लेख मिलता है। पोंगल त्यौहार जोकि हर साल मनाया जाता है और 4 दिनों तक चलता है इस पर्व को मानाने के पीछे कई कहानियां संम्मिलित हैं। दो पौराणिक कहानियों विशेष रूप से पोंगल त्यौहार से जुडी हुई हैं।

भगवान् शिव और बैल बसव की कथा/कहानी

इस पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान् शिव ने अपने एक बैल बसव को पृथ्वी में जाकर उनके सन्देश को मनुष्यों तक पहुंचाने के लिए खा था। शिव भगवान् ने बैल को एक सन्देश मनुष्यों को देने के लिए खा जो इस प्रकार था -”मनुष्यों को हर दिन तेल से स्नान करना चाहिए और माह में सिर्फ एक बार खाना खाना चाहिए।”

बसव बैल जब भगवान शिव के इस सन्देश को पृथ्वी में मनुष्यों को देने गए तो वहां पर जाकर उन्होंने इस सन्देश को उल्टा बोल दिया उन्होंने कहा -”मनुष्यों को एक दिन तेल से स्नान करना चाहिए और हर दिन खाना खाना चाहिए।” बसव द्वारा ऐसी गलती किये जाने से भगवन शिव काफी क्रोधित हए और उन्होंने बैल को श्राप दिया की वह अब से स्थायी रूप से पृथ्वी पर मनुष्यों के साथ रहेंगे उन्हें स्वर्ग से निकाल दिया जायेगा और उन्हें अधिक भोजन के उत्पादन में मनुष्य जाति की सहायता के लिए हल जोतना होगा। इस प्रकार पोंगल पर्व मवेशियों से भी सम्बंधित है।

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Story of Pongal Festival : भागवान कृष्ण और इंद्र की कथा

इस पौराणिक कथा के अनुसार जब इंद्र देवताओं के राजा बने तो उन्हें इसका काफी अभिमान था। भगवन कृष्ण उस समय बाल्यावस्था में थे उन्होंने इंद्र के इस अभिमान को तोडना चाहा। भगवान् कृष्ण ने अपने गाँव के लोगों को इंद्र देव की पूजा करने मना किया कृष्ण की आज्ञा पर ग्वालाओं ने इंद्र की स्तुति करना चोर दिया जिससे इंद्रदेव काफी क्रोधित हुए। इस क्रोध में इंद्र देव ने बादलों को तूफ़ान लाने तथा लगातार 3 दिन तक बारिश करने करने की आज्ञा दी इससे पूरा द्वारका क्षेत्र में तबाही आ गयी।

इस तबाही से सभी की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण ने अपनी सबसे छोटी ऊँगली से गोवेर्धन पर्वत को उठा लिया और सभी की रक्षा की। सभी द्वारका वासियों को इस पर्वत के नीचे शरण दी। इंद्र को यह देखते हुए आश्चर्य हुआ और उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। वह समझ गए थे की भगवन कृष्ण काफी शक्तिशाली हैं। इसके बाद द्वारका के पुनर्निर्माण के लिए भगवन कृष्ण ने विश्वकर्मा जी को कहा जिसके बाद इस क्षेत्र में ग्वालों ने अपनी गाय के साथ फसल उगना शुरू किया।

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पोंगल का त्यौहार 2024 में कब मनाया जायेगा (Pongal Festival Date and Timing)

इस साल पोंगल का त्यौहार (Pongal Festival 2024) 15 जनवरी को मनाया जायेगा यह त्यौहार जो कि 18 जनवरी तक मनाया जायेगा।

दिन पोंगल नाम (Pongal Festival name)दिनांक (Pongal Festival Date and Timing)
पहलाभोगी पोंगल15 जनवरी (सोमवार)
दूसराथाई पोंगल16 जनवरी (मंगलवार)
तीसरामट्टू पोंगल17 जनवरी (बुधवार)
चौथा और अंतिमकान्नुम पोंगल18 जनवरी (बृहस्पति)

Celebration of the Pongal Festival (पोंगल त्यौहार मनाने का तरीका )

भारत में सभी पर्वों में से दक्षिण भारत के पोंगल त्यौहार को एक अलग स्थान प्राप्त है। यह पर्व 4 दिन तक मनाया जाता है। जो कि हिन्दुओं से सम्बंधित त्यौहार है। यह पर्व सूर्य और इंद्र भगवान को समर्पित किया गया है। सूर्य और इंद्र जो प्रकृति के निर्माण में अपना योगदान देते हैं उनका धन्यवाद किया जाता है। सूर्य की उपासना की जाती है।

पोंगल तमिल भाषा का शब्द है जिसका अर्थ ”उबलना” है। Pongal Festival को थाई माह अर्थात जनवरी से फरवरी के मध्य में आयोजित किया जाता है। यही वह महीना है जब विभिन्न अनाज की फसल को खाने पकने के लिए काटा जाता है। पोंगल त्यौहार को 4 दिन तक मनाया जाता है –

भोगी त्यौहार, पोंगल का पहला दिन

इस दिन भगवन इंद्र की पूजा का महत्त्व है। सुबह लोग घरों की साफ़ सफाई करते हैं। रात के समय गोबर और लकड़ी की आग में घर के पुरानी सामग्रियों को जलाया जाता है और इसके चरों और महिलाएं निर्त्य करती हैं और गीत जाती हैं।

थाई पोंगल, पोंगल का दूसरा दिन 

इस दिन तमिलनाडु के लोग एक मिट्टी के एक पात्र/बर्तन में हल्दी की गांठ को बांधकर इस बर्तन को बाहर सूर्य देव के सामने रखकर इसमें चाँवल और दूध को उबालते है और इसे सूर्य को भोग लगाते हैं। लोगों द्वारा इस दिन सूर्य भगवान्ग की पूजा की जाती है। सूर्य देव को नारियल, केले आदि भी भोग स्वरूप पेश किया जाता है। घरों में रंगोली बनायीं जाती हैं।

मट्टू पोंगल, पोंगल का तीसरा दिन 

इस दिन को मवेशियों को समर्पित किया जाता है। गाय या बैल की पूजा की जाती है और उनका सम्मान किया जाता है उन्हें फूलों की म माला पहनाई जाती है। इसी दिन तमिलनाडु के कई क्षेत्रों में जल्लीकट्टू का खेल भी खेला जाता है।

कान्नुम पोंगल, पोंगल का चौथा और अंतिम दिन 

इसे कानू पोंगल नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पोंगल के बचे हुए पकवान को पान के पत्ते ,गन्ने और सुपारी के साथ हल्दी के पत्तों को आंगन में लगाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने भाइयों की पूजा चूना पत्थर, हल्दी तेल और चाँवल से करती हैं।

पोंगल त्यौहार 2024 से सम्बंधित अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)-

इस साल पोंगल त्यौहार कब पड़ रहा है ?

2024 में पोंगल त्यौहार 15 जनवरी सोमवार को पड़ रहा है।

पोंगल 2024 के 4 दिन कौन -कौनसे हैं ?

पोंगल त्यौहार 4 दिन तक चलता है। इसका पहला दिन भोगी पोंगल ,दूसरा दिन थाई पोंगल ,तीसरा दिन मट्टू पोंगल, चौथा दिन कानुम पोंगल नाम से जाना जाता है।

भोगी पोंगल 2024 कब है ?

भोगी पोंगल का त्यौहार तमिल पंचांग के मागार्जी महीने के अंतिम दिन शुरू होता है। इस दिन इंद्र देव की पूजा का विशेष महत्त्व होता है।

मट्टू पोंगल 2024 में क्या किया जाता है ?

मट्टू पोंगल पोंगल पर्व का तीसरा दिन होता है इस दिन पशुओं की पूजा की जाती है।

पोंगल 2024 का दूसरा दिन किस नाम से जाता है ?

Pongal Festival के दूसरे दिन को थाई पोंगल कहा जाता है। इस दिन सूर्य नारायण की पूजा की जाती है। और घरों के चौखट /दरवाजे पर पारम्परिक रंगोलियां बनाई जाती हैं।

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