कई बार न चाहते हुए भी भूल से इंसानों द्वारा कई घटनाएं घटित हो जाती हैं। कई बार स्थिति ऐसी भी हो जाती है की आपसे भूलवश अपराध हो जाता है या आप किसी साजिश के चलते किसी गलत या झूठे मामलों में फंस जाते हैं।
यदि आपका नाम किसी आपराधिक गतिविधि में आ जाता है तो निश्चित है आपकी गिरफ्तारी भी होगी। आगे जानें बेल या जमानत के बारे में विस्तार से।
कई बार स्थिति ऐसी हो जाती है की आप बिना अपराध किये भी दोषी माने जाते हैं जिसकी वजह से आपको मानसिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। लेकिन आप यदि सही हैं और किसी झूठे अपराध में फसे हैं तो आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है।
ऐसे व्यक्ति कानून की सहायता ले सकते हैं उन्हें जमानत लेने का अधिकार कानून में दिया गया है। आज हम आपको बेल या जमानत किसे कहते है? और जमानत के कितने प्रकार होते है साथ ही साथ जमानत के नियम क्या के हैं सभी की जानकारी देंगे।
केंद्र सरकार ने कोर्ट केस को चेक करने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल तैयार किया है जिसकी मदद से अब आसानी से ऑनलइन कोर्ट केस का स्टेटस चेक कर सकते हैं।
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बेल या जमानत किसे कहते है?
सबसे पहले आपको यह जानना जरुरी है की बेल या जमानत किसे कहा जाता है। बेल या जमानत की आवश्यकता ऐसी स्थिति में होती जब किसी व्यक्ति को अपराध की वजह से पुलिस जेल में बंद कर देती है ऐसे में उस व्यक्ति जेल से छुड़ाने के लिए कोर्ट की परमिशन लेनी होती है।
उस व्यक्ति की बेल के लिए न्यायालय से आदेश प्राप्त होता है या न्यायालय में उस व्यक्ति की रिहाई के लिए न्यायालय में शपथ ली जाती है जिसे जमानत कहते हैं।
न्यायालय में जमानत जमा करने पर कोर्ट द्वारा यह सुनिश्चित कर लिया जाता है की आरोपी सुनवाई हेतु कोर्ट में पेश होगा। यदि आरोपी कोर्ट में सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं होता है तो व्यक्ति की बेल के रूप में जमा की गई संपत्ति जप्त कर ली जाती है।
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क्या होता है जमानत का मतलब
जमानत का यह अर्थ कतई नहीं है की आप जेल से पूरी तरीके से रिहा हो चुके हैं। जमानत या बेल का मतलब किसी तय समय -सीमा के लिए दोषी /आरोपी व्यक्ति को जेल से राहत देना है।
यह जमानत कुछ शर्तों के साथ ही मिलती है। जमानत मिल जाने का यहाँ मतलबा नहीं होता की आरोपी व्यक्ति को आरोप से मुक्त कर दिया गया है।
बेल या जमानत के प्रकार (Types of Bail)
जमानत का उल्लेख भारतीय दंड सहिंता में किया गया है। अग्रिम और अंतरिम जमानत के अतिरिक्त भी कई प्रकार की जमानत होती है जैसे साधारण जमानत और थाने से जमानत।जमानत या बेल मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं –
- अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail)- अग्रिम जमानत या Anticipatory Bail एक एडवांस बेल है यह बैल आरोपी व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले की बेल होती है। ऐसे आरोपी व्यक्ति जिन्हें अपनी गिरफ्तारी की आशंका रहती है तो वह व्यक्ति ऐसी स्थिति में CRPC की धारा 438 के प्रावधान के अनुसार अग्रिम जमानत हेतु न्यायालय में इसके लिए आवेदन कर सकता है।
- अंतरिम जमानत (Interim Bail) -Anticipatory Bail या रेगुलर बेल पर सुनवाई के लिए यदि कुछ समय बचा हो तो ऐसी स्थिति में आरोपी व्यक्ति को अंतरिम जमानत दी जाती है। अंतरिम जमानत (Interim Bail) बहुत ही कम समय के लिए आरोपी /दोषी व्यक्ति को दी जाती है।
- साधारण जमानत: यदि किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए गिरफ्तार कर लिया जाता है तो वाह साधारण जमानत के लिए आवेदन कर सकता है क्यूंकि यह उसका अधिकार है। सीआरपीसी की धारा 437 तथा धरा 439 के तहत रेगुलर बेल/साधारण जमानत दी जाती है।
- थाने से जमानत– ऐसे मामले जोकि जमानती धाराओं में दर्ज है जैसे मारपीट ,गली गलौज ,धमकी देना आदि अपराधों में गिरफ्तार व्यक्ति को थाने से ही जमानत दे दी जाती है।
अपराध के प्रकार –
आपको बता दें की अपराध के प्रकार के अनुसार भारतीय संविधान में अपराध को दो वर्गों में बांटा गया है जैसे
- जमानती अपराध –जमानती अपराध में छोटे-मोटे अपराधों को रखा गया है। जैसे मारपीट , धमकी देना, लापरवाही से गाड़ी चलाना आदि। इस प्रकार के अपराधों में सीआरपीसी की धारा 169 के तहत थाने से जमानत दी जाती है।
- गैर जमानती अपराध- भारतीयय दंड प्रक्रिया संहिता में अपराधों की गंभीरता को देखते हुए कुछ अपराधों को इस श्रेणी में रखा गया है। ऐसे अपराधों के आरोपी व्यक्ति बेल प्राप्त नहीं कर सकते। रेप, अपहरण, लूट, हत्या की कोशिश आदि इसी में शामिल है।
जमानत लेने के नियम और शर्तें ?
जमानत प्राप्त करने के लिए अपराधी या आरोपी व्यक्ति को कुछ नियमों शर्तों का पालन करना होता है जैसे –
- जमानत लेने के लिए किसी अच्छे वकील की सहायता लें।
- रिहा होने के बाद आप शिकायतकर्ता को परेशान नहीं करेंगे यह शर्त आपको पूरी करनी होगी।
- यदि आप रिहा हो जाते हैं तो आपको किसी भी गवाह या सबूत को मिटाने की कोशिस नहीं करनी होगी।
- यदि आप बेल पर रिहा होते हैं तो आपको कोर्ट के आदेश तक विदेश यात्रा नहीं करनी होगी।
बेल या जमानत से जुड़े कुछ प्रश्नोत्तर –
सीआरपीसी की धारा 438 में अग्रिम बेल की व्यवस्था की गई है।
रेगुलर बेल की व्यवस्था सीआरपीसी की धारा 439 में की गयी है।
भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता में जमानत या बेल के दो प्रकारों का उल्लेख किया गया है।
सीआरपीसी की धारा 437 का सहारा लेकर आप गैर जमानती अपराध में भी जमानत की अर्जी लगा सकते हैं।