भारत में साल में 4 ऋतुएँ आती हैं जिसमें से वर्षा ऋतु भी एक है। वर्षा ऋतु को बारिश का मौसम भी कहा जाता है। वर्षा ऋतु जो की भारत में सामान्यता 15 जून से लेकर 15 सितम्बर तक होती है। स्कूल में अक्सर टीचर अपने बच्चों को वर्षा ऋतु पर निबंध लिखने को देते हैं और बच्चों को निबंध लिखने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन आज के इस लेख में हम छोटे -छोटे प्यारे बच्चों को ‘वर्षा ऋतु पर निबंध’ का लेख उपलब्ध करा रहे हैं।
लेख में हमने Varsha Ritu Nibandh For Every Class उपलब्ध कराया है। स्कूल के बच्चे इस आर्टिकल की सहायता से वर्षा ऋतु पर निबंध लिखने की तैयारी कर सकते हैं।
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वर्षा ऋतु पर निबंध
प्रस्तावना – वर्षा ऋतु भारत की अन्य ऋतुओं में सबसे अधिक पसंद की जाने वाली ऋतु है। इस मौसम में वातावरण में कई बदलाव देखने को मिलते हैं। जून-जुलाई की तपती भरी गर्मी से यह मौसम निजात दिलाता है। वातावरण का तापमान कुछ हद तक गिर जाता है जिससे लोगों को गर्मी से राहत मिलती है।
वर्षा ऋतु गर्मी के मौसम के बाद आने वाली ऋतु है, जिसमें बारिश बहुत अधिक मात्रा में होती है। वर्षा ऋतु में वातावरण गिर जाता है जिससे सभी को गर्मी से राहत मिलती है। इस ऋतु के आने से खेत खलियान हरे-भरे हो जाते हैं। वृक्षों में नए पत्ते और फूल आने लगते हैं। तापमान में गिरावट के साथ-साथ मौसम खुश मिजाज होने लगते है।
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Varsha Ritu का महत्त्व
- आम जीवन में वर्षा ऋतु का खास महत्व है। यह न केवल वातावरण को खुशनुमा बनाता है बल्कि मानव ,पशु तथा वनस्पति के लिए वरदान से कम नहीं है।
- किसानों के लिए भी यह किसी वरदान से कम नहीं क्योंकि अधिकतर किसान खेती के लिए बारिश पर निर्भर रहते हैं। वर्षा के न होने से मानव जीवन ही नहीं बल्कि प्रकृति और जीव -जंतुओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
- वर्षा का महत्व आप इसी बात से समझ सकते हैं की इसके न होने पर सूखे की स्थिति आ जाती है। जीव-जंतुओं का गर्मी से बुरा हाल होने लगता है। पृथ्वी में जलस्तर कम होने लगता है।
- पानी के कई स्रोत जैसे नदी, तालाब, कुएँ आदि वर्षा न होने पर गर्मी के कारण सूख जाते हैं। इसलिए वर्षा का होना जरूरी है, क्योंकि इसके बिना पृथ्वी में मानव ही नहीं वनस्पति, जीव-जंतु सभी का अस्तित्व धीरे -धीरे समाप्त हो जायेगा।
प्रकृति पर वर्षा ऋतु का प्रभाव
वर्षाकाल, चौमासा, वर्षोमास, अथवा चातुर्मास के नामों से भी वर्षा ऋतु को जाना जाता है। वर्षा ऋतु में सभी पेड़ -पौधों की शाखाओं में नयी -नयी पत्तियां आने लगती हैं। मिट्टी का सूखापन समाप्त होता है कठोर मिट्टी मुलायम होने लगती है।
हिमालय की तलहटी ही नहीं बल्कि मैदानी इलाका भी बारिश के मौसम में हरा भरा दिखाई देने लगता है। उद्यान और मैदान सुंदर-सुन्दर घास के मैदानों से ढक जाते हैं और जल प्राकृतिक स्रोत जैसे नदिया, तालाब आदि बारिश के पानी से भर जाता है।
इस मौसम में सड़कों पर गड्ढे बनने लगते हैं कई बार तो अधिक बारिश से पहाड़ी सड़कों का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। इस मौसम में लोगों को जहाँ गर्मी से कुछ राहत मिलती है वही उन्हें इसकी वजह कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों से भी जूझना पड़ता है।
किसानों के लिए तो यह ऋतु काफी फायदेमंद है किन्तु कई बार अधिक वर्षा से उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। इस मौसम में बच्चों को कई बीमारियां हो जाती है जैसे – डायरिया, टाईफॉइड ,पेचिश, निमोनिया आदि।
हमारे जीवन पर वर्षा ऋतु का प्रभाव
- पानी का हमारे जीवन में कितना बड़ा महत्व है। पानी के बिना मानव जीवन की कल्पना कर पाना मुश्किल है। गर्मियों में भूमि का पानी या नदियों, तालाबों का पानी भाव बनकर वातावरण में बादलों का रूप ले लेता है।
- वर्षा ऋतु में यही बादल गर्मी की मार से हमें बचाते हैं। बादलों के टकराने से बारिश होती है और यह बारिश मानव, पशु, वनस्पति के लिए किसी वरदान से कम नहीं होती।
- वर्षा ऋतु के कारण पर्यावरण में नयी उमंग और तरंगों का विस्तार होता है। बरसात में गरम गर्म मक्की और चाय पकोड़े का आनंद लिया जाता है। सुहाने मौसम में लोग रिमझिम बारिश में भीगकर इसका आनंद लेते है।
- बरसात का मौसम मानव जीवन में जितना उत्साह लाता है उतना ही इस मौसम में संक्रमण का अधिक खतरा बना रहता है। इतना ही नहीं अधिक वर्षा से कई जगह बाढ़, भूस्लखन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का भी खतरा बना रहता है जिसका सीधा असर मानव और जीव, वनस्पतियों पर पड़ता है।
वर्षा ऋतु के लाभ तथा हानियां
वर्षा ऋतु में मानव और पशु, वनस्पतियों को कई लाभ प्राप्त होते हैं जैसे वर्षा ऋतु के समय प्रकृति में चारों ओर हरियाली देखने को मिलती है। नदी, तालाब, झरने सभी का जल स्तर बढ़ जाता है तथा वातावरण में ठंडी -ठंडी हवाएं चलने लगती हैं।
जिससे सभी को बढ़ती गर्मी से कुछ राहत मिलती है। वर्षा ऋतु के जितने लाभ मानव जीवन, प्रकृति को प्राप्त हैं उतने ही इस मौसम में वर्षा की अधिक मात्रा से नुकसान भी होता है; जैसे अधिक वर्षा के कारण बाढ़ जैसी स्थिति पड़ा होने लगती है जिससे जन-धन का काफी नुक्सान होने लगता है।
सड़कों में जगह-जगह गड्ढे पड़ जाते हैं और नालियां पानी से भर जाती हैं जिससे नालों का पानी सडकों पर आने लगता है। ऐसी स्थिति में बरसात के पानी के किसी जगह पर एकत्र होने पर कई प्रकार के कीट पतंग जैसे -मच्छर, मक्खी पैदा होते है जिससे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, हैजा जैसे रोग होने का खतरा बना रहता है।
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उपसंहार
वर्षा ऋतु आनंद और उत्साह का सूचक है। वर्षा ऋतु के आगमन पर क्या बच्चे क्या बूढ़े सभी इसका बड़ा आनंद लेते हैं चारों तरफ हरियाली ही हरियाली देखने को मिलती है। बारिश का मौसम मानव जाति ही नहीं बल्कि सभी जीव-जन्तु पेड़ पौधे में नए उत्साह का संचार करती है।
बिना पानी मानव सभ्यता की कल्पना कर पाना मुश्किल है। बारिश में मिट्टी की सौंधी-सौंधी खुशबू हमारे मन को उत्साह से भर देती है यह सुकून और शान्तिः का प्रसार करती है। किसी ने पानी के महत्व के बारे में समझते हुए सच ही कहा है –
सदा हमें समझाए नानी,
नहीं व्यर्थ बहाओ पानी।
हुआ समाप्त अगर धरा से,
मिट जायेगी ये ज़िंदगानी।
(श्याम सुन्दर अग्रवाल)
Varsha Ritu Par Nibandh (वर्षा ऋतु निबंध) FAQs –
जल दिवस कब मनाया जाता है ?
हर साल 22 मार्च को जल दिवस मनाया जाता है।
बारिश के पानी में कौन से तत्व पाए जाते हैं ?
वर्षा के पानी में कई महत्वपूर्ण तत्व जैसे सोडियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, क्लोराइड, अमोनिया, सल्फेट आयरन आदि पाए जाते हैं।
बारिश के पानी में कौन-सा विटामिन पाया जाता है ?
वर्षा के पानी में बी 12 विटामिन पाया जाता है।
साल में कितने मौसम होते हैं ?
हर साल बसंत ऋतु 1 मार्च से मई तक, ग्रीष्म ऋतु मई से जुलाई, वर्षा ऋतु मध्य जुलाई से सितंबर, शरद ऋतु सितम्बर से नवम्बर, हेमंत नवम्बर से जनवरी, शिशिर जनवरी से मार्च मध्य तक आता है।