यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है समान नागरिक संहिता। संविधान भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून का प्रावधान है ,फिर चाहे वह किसी भी जाति,धर्म, समुदाय से संबंधित हो।
समान नागरिक सहिंता में शादी, तलाक और जमीन जायदाद के हिस्से में सभी धर्मों के लिए केवल एक ही कानून लागू किया गया है। Uniform Civil Code का अर्थ स्पष्ट है, सभी नागरिकों के लिए एक कानून। इसका किसी भी समुदाय से कोई संबंध नहीं है।
इस कोड के तहत राज्य में निवास करने वाले लोगो के लिए एक समान कानून का प्रावधान किया गया है, यानी की धर्म के आधार पर किसी भी नागरिक को विशेष लाभ नहीं मिलेगा। तो आइये जानते है क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड? आर्टिकल से जुड़ी सभी जानकारी को प्राप्त करने के लिए हमारे लेख को अंत तक पढ़े।
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समान नागरिक सहिंता क्या है ?
Uniform Civil Code पूरे देश में एक समान कानून लागू करता है। इसमें सभी धर्म के नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेना, विरासत आदि के कानूनों में समानता दिए जाने का प्रावधान है। संविधान के अनुच्छेद 44 में राज्य भारत के सभी क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक सहिंता को सुनिश्चित करने को कहा गया है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड कहाँ पर है लागू
अभी तक अलग-अलग राज्यों के अलावा केंद्र सरकार की ओर से भी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के विषय में चर्चा की गयी है। लेकिन अभी तक भी इस मुद्दे में कार्यान्वयन नहीं हो पाया है।
भारत में अभी सिर्फ एक राज्य है जहाँ यूनिफार्म सिविल कोड लागू है वह राज्य है गोवा। गोवा में पुर्तगाल सरकार के समय से ही यूनिफार्म सिविल कोड को लागू किया गया था।
वर्ष 1961 में गोवा सरकार यूनिफार्म सिविल कोड के साथ ही बनी थी। भारतीय संविधान के भाग 4 में अनुच्छेद 44 के अंतर्गत भारतीय राज्य को देश में सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता (UCC) का निर्माण करने को कहा गया है जो पुरे देश में लागू होता हो।
UCC में शामिल विषय
- विवाह, तलाक गोद लेना
- व्यक्तिगत स्तर
- संपत्ति का अधिकार और सञ्चालन
इन देशों में लागू है समान नागरिक सहिंता
- अमेरिका
- पाकिस्तान
- बांग्लादेश
- तुर्की
- इंडोनेशिया
- सूडान
- आयरलैंड
- इजिप्ट
- मलेशिया
Uniform Civil Code के फायदे
विश्व में लगभग 125 देशों में समान यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) के लागू होने से निम्नलिखित लाभ होंगे –
- यूनिफार्म सिविल कोड लागू होने से सभी समुदाय के लोगो को एक समान अधिकार दिए जायेंगे।
- लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा।
- समान नागरिक सहिंता लागू होने से भारत की महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा।
- कानूनों में सरलता और स्पष्टता आएगी। सभी नागरिकों के लिए कानून समझने में आसानी होगी।
- व्यक्तिगत या धर्म कानूनों के आधार पर होने वाले भेदभाव को समाप्त किया जा सकेगा।
- कानून के तहत सभी को समान अधिकार दिए जायेंगें।
- कुछ समुदाय के पर्सनल लॉ में महिलाओं के अधिकार सीमित है। ऐसे में यदि Uniform Civil Code लागू होता है तो महिलाओं को भी समान अधिकार लेने का लाभ मिलेगा।
- महिलाओं का अपने पिता की सम्पति पर अधिकार और गोद लेने से संबंधी सभी मामलों में एक समान नियम लागू हो जायेंगे।
- मुस्लिम समाज में बेटी की शादी की न्यूनतम आयु 9 साल है। UCC लागू होने से मुस्लिम लड़कियों की छोटी आयु में विवाह होने से रोका जा सकेगा।
- धार्मिक रूढ़ियों के कारण समाज के किसी वर्ग के अधिकारों के हनन को रोका जा सकेगा।
- मुस्लिम समाज में अभी भी कई तरह के तलाक हो रहे हैं जिनका खामियाजा मुस्लिम महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है। यूसीसी के लागू होने से सभी समुदाय में तलाक की प्रक्रिया एक जैसे होगी।
यूनिफॉर्म सिविल कोड के नुकसान
- समान नागरिक सहिंता के विरुद्ध विभिन्न समुदाय के लोग विरोध कर रहे है। उनका मानना है की यह उनके व्यक्तिगत कानून और धार्मिक परम्पराओं को कमजोर कर देगा।
- भारत में विभिन्न जाति एवं समुदाय के नागरिक रहते है, ऐसे में संस्कृतिओं का विभाजन हो सकता है। जिस वजह से विभिन्न समुदाय के मध्य तनाव पैदा हो सकता है।
देश में UCC की दिशा में अब तक किये गए प्रयास
- 1954 के विशेष विवाह अधिनियम के तहत किसी भी धर्म के नागरिक को विवाह की अनुमति दी जाती है। यह अधिनियम भारतीय नागरिक को धार्मिक रीति रिवाजों से हटकर विवाह करने का अधिकार देता है।
- 1985 का शाह बानो केस में शाह बनो को उसके पति ने भरण -पोषण देने से इंकार किया था। सीआरपीसी की धरा 125 के तहत सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो के पक्ष में अपना फैसला सुनाया। यह सभी भारतीय नागरिकों को अपनी बीवी और बच्चों साथ ही माता पिता के भरण पोषण और रखरखाव के आदेश को लागू करता है।
- 1995 के सरला मुद्गल केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के साथ साथ 2019 के ‘पाउलो कॉटिन्हो बनाम मारिया लुइज़ा वेलेंटीना परेरा’ मामले में यूसीसी को लागू किये जाने को कहा।
धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर हैं ये संवैधानिक प्रावधान
यूनिफॉर्म सिविल कोड को संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार से संबंध से पेश किया जा रहा है। Indian Constitution में आर्टिकल 25 से 28 तक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की विवेचन किया गया है।
इसके अंतर्गत देश में रहने वाले सभी नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी दी गयी है। प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म का शांतिपूर्ण क्रिया करने और बढ़ावा देने का अधिकार दिया गया है।
यूसीसी यूनिफॉर्म सिविल कोड से जुड़े सवाल (FAQs)-
संविधान के आर्टिकल 44 के भाग 4 में यूसीसी की चर्चा की गयी है। इस आर्टिकल में राज्य को देश में सभी नागरिकों के लिए एक यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने के लिए कहा गया है।
देश में गोवा एक अकेला राज्य है जहाँ UCC लागू है। इसे पुर्तगाली सिविल कोड 1867 के नाम से भी जानते हैं।
यूसीसी की फुल फॉर्म यूनिफॉर्म सिविल कोड है, जिसे हिंदी में समान नागरिक सहिंता के नाम से जानते हैं।
UCC विवाह, तलाक, रखरखाव, विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे क्षेत्र कवर करता है।
पाकिस्तान, बांग्लादेश, तुर्की, मलेशिया, सूडान, इंडोनेशिया, इजिप्ट जैसे देशों में Uniform Civil Code को अपनाया गया है।
मुस्लिम समुदाय का कानून शरीअत पर आधारित है।
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