विश्व में तकनीकी क्षेत्र में विकास लगातार तेज़ी से हो रहा है हर एक क्षेत्र में तकनीक की मदद से चीज़ों में परिवर्तन देखने को मिल रहा है जो कि मनुष्य के जीवन को सहज और सरल बनाता है।
जिस प्रकार हम तकनीक की मदद से अपनी जीवनशैली को आसान बनाते हैं और हमेशा प्रगति के पथ पर अग्रसर रहते हैं। उसी तरह से तकनीक मनुष्य तक सीमित न रहकर पशुओं के हित में भी कार्य कर रही है।
तकनीकी क्षेत्रों में विकास के साथ-साथ भूमि में रह रहे जीव-जंतु और पेड़-पौधो का भी बहुत महत्व है। ऐसे में हमें अपने पर्यावरण को संरक्षित रखना होगा। इसके लिए हर साल विश्व पर्यावरण दिवस भी मनाया जाता है।
दुनिया का कोई भी काम तकनीकी मदद से करना आज के समय में बेहद मुश्किल है, हर एक असंभव कार्य को हम तकनीक की मदद से आसानी से कर सकते हैं। आगे जानिए Red Data Book की पूर्ण जानकारी।
कुछ वर्षों पहले इंसानों की जनसंख्या का रिकॉर्ड रखना मुश्किल था लेकिन टेक्नोलॉजी की मदद से आज के समय में यह बेहद आसान हो गया है। वर्तमान समय में दुनिया में नंबर 1 जनसंख्या वाला देश भारत बन गया है तो क्या आप जानते हो 2023 में भारत की जनसंख्या कितनी है।
उसी प्रकार अब पशु, पक्षी, कीड़े, मकोड़े और जीव-जंतुओं के निश्चित आकड़े रखे जाते हैं और ये सिर्फ नई तकनीक की मदद से ही संभव हो पाया है।
आज के हमारे इस पोस्ट के माध्यम से आपको Red Data Book के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसे कब प्रयोग में लाया गया और किस प्रकार से इसमें पशुओं का डाटा एकत्रित किया जाता है। इसके सम्बन्ध में हम यहाँ पर बात करने वाले हैं।
Table of Contents
Red Data Book क्या है
Red Data Book एक सार्वजानिक दस्तावेज है जिसमें पृथ्वी पर मौजूद जीव-जंतुओं, पौधों व स्थानीय उप-प्रजातियों की लुप्त होने वाली प्रजाति साथ ही दुर्लभ प्रजातियों का रिकॉर्ड रखा जाता है और रेड डाटा बुक कुछ एक प्रजातियों का डाटा प्रदान भी करती है जो विलुप्त होने की कगार पर होते हैं।
इस लिस्ट में प्रजातियों की सात श्रेणियों को शामिल लिया गया है:- लुप्तप्राय, कमजोर, गंभीर रूप से संकटग्रस्त, विलुप्त, कम जोखिम, मूल्यांकन नहीं किया गया है तथा डाटा की कमी।
रेड डाटा बुक को पहली बार 1948 में IUCN (International Union Of Conservation Nature) द्वारा जारी किया गया था यह एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है।
IUCN द्वारा समय-समय पर इस अपडेट किया जाता है। इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड में स्थित है। इसकी शुरुआत रूस के वैज्ञानिकों के द्वारा की गई थी जिसे बाद में विश्व स्तरीय संगठन को सौंप दिया गया।
रेड डाटा बुक में पृथ्वी पर मौजूद और विलुप्त हो चुके सभी जीव जंतुओं का पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है तथा इस बुक को तीन अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया है।
- Green Page – इस पेज में पक्षियों या जीव-जंतुओं की ऐसी प्रजातियों का नाम लिखा जाता है, जिन्हें फ़िलहाल किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है और ये पूरी तरह सुरक्षित हैं।
- Pink Page – इस पेज में पक्षियों या जीव-जंतुओं की ऐसी प्रजातियों का नाम लिखा जाता है, जो कि खतरे में है और जो धीरे-धीरे विलुप्त होते दिखाई दे रहे हैं। दिन-प्रतिदिन ये गायब होते जा रहे हैं।
- Red Page – इस पेज में पक्षियों या जीव-जंतुओं की ऐसी प्रजातियों का नाम लिखा जाता है, जो कि पूरी तरह से विलुप्त हो चुके हैं या फिर बहुत काम संख्या में बचे हैं।
रेड डाटा बुक के संस्करण
अब तक कुल 5 बार रेड डाटा बुक का संस्करण हो चुका है। जो कि पशु-पक्षियों तथा जीव-जंतुओं के लिए अलग-अलग है।
- प्रथम रेड डाटा बुक – स्तनधारी (Mammals) यह प्राणी जगत समूह है जो अपने छोटे-छोटे बच्चों को दूध पिलाती है।
- दूसरी रेड डाटा बुक – यह पक्षी जगत का एक ऐसा समूह है जो हवा में उड़ सकते हैं।
- तीसरी रेड डाटा बुक – इस बुक में मरुस्थलीय उभयचर को रखा गया है, जो मरुस्थल जैसे- रेगिस्तान में पाए जाते हैं।
- चौथी रेड डाटा बुक – इसमें उन जीव जंतुओं को रखा गया है जो पानी में पाए जाते हैं जैसे- मछलियां।
- पाँचवी रेड डाटा बुक – इसमें पौधों और वनस्पतियों को रखा गया है।
Red Data Book में विलुप्त होने वाले जीवों के नाम
पृथ्वी पर सभी जीव जंतुओं का लेखा-जोखा रेड डाटा बुक में मौजूद है तथा विलुप्त हो जाने पर विशेष रूप में इन्हें रेड डाटा बुक में लिखा जाता है। नीचे कुछ जीव-जंतुओं के नाम दिए गए हैं जो कि जो कि रेड डाटा बुक के अनुसार संसार से विलुप्त हो चुके हैं।
- डायनासॉर
- डोडो
- पॉन्डिचेरी शार्क
- गंगा नदी शार्क
- पूकोडे लेक बारबो
- मालाबार सिवेट
- कोंडना रातो
- कश्मीर हिरन
- घड़ियाल
- टॉड की चमड़ी वाला मेंढक
- सफ़ेद धब्बेदार झड़ी मेंढक
रेड डेटा बुक: रंग विभाजन
IUCN द्वारा रेड डाटा बुक में निम्नलिखित रंग की श्रेणियों को शामिल किया गया है –
रंग | प्रजाति की खतरे की स्थिति |
सफ़ेद | दुर्लभ प्रजाति |
हरा | खतरे की प्रजाति से बाहर |
संतरा | विलुप्त होने वाली प्रजाति |
अंबर | कमजोर प्रजातियां |
काला | विलुप्त प्रजाति |
लाल | गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियां |
स्लेटी | दुर्लभ या लुप्तप्राय प्रजातियां जिनमें वैज्ञानिक जानकारी और विश्लेषण उपलब्ध नहीं है |
रेड डाटा बुक के फायदे और नुकसान
- Red Data Book सभी पक्षियों, जानवरों और अन्य प्राणियों को उनके संरक्षण की स्थिति के बारे में पहचानने में मदद करता है।
- इस बुक की मदद से विश्व स्तर पर लगभग सभी प्रजातियों के विलुप्त होने के जोखिम का अनुमान लगाया जा सकता है।
- रेड डाटा बुक के प्रयोग से किसी भी प्रजाति की जनसंख्या का मूल्यांकन किया जा सकता है।
- रेड डाटा बुक सभी पौधों, जानवरों तथा अन्य प्रजातियों का पूरा रिकॉर्ड रखती है पर इसमें रोगाणुओं के बारे मैं किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी गई है।
- इस बुक में उपलब्ध जानकारी अधूरी है तथा इसमें लुप्त और विलुप्त दोनों प्रजातियों की कई प्रजातियों का अध्ययन पूर्ण रूप से नहीं किया गया है।
Red Data Book FAQ’s
रेड डाटा बुक एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें जानवरों, पौधों, कवकों और स्थानीय प्रजातियों की दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजाति का डेटा रखा जाता है।
रेड डाटा बुक को IUCN (International Union Of Conservation Nature) द्वारा चलाया जाता है तथा इसे समय-समय पर अपडेट भी किया जाता है।
रेड डाटा बुक की शुरुआत IUCN द्वारा 1968 में की गई थी।
Red Data Book में लगभग 147500 से अधिक प्रजातियों को रखा गया है।