केदारनाथ धाम (kedarnath temple) भारत के उत्तराखंड राज्य में रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है ये प्रसिद्ध मंदिर रुद्रप्रयाग से 86 km दूर है। उत्तराखंड के चार धामों बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री आदि में से एक केदारनाथ धाम भी है।
केदारनाथ मंदिर का शिवलिंग बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है। हिन्दू मान्यताओं में इस धाम को बहुत महत्व दिया जाता है हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने यहाँ आते है, केदारनाथ धाम मन्दाकनी नदी के किनारे 3553 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

केदारनाथ उत्तराखंड के सबसे विशाल शिव मंदिरों में से है, ये मंदिर चारों तरफ से बड़ी-बड़ी पहाड़ियों से घिरा हुआ है। जिससे इस मंदिर की सुंदरता में चार चाँद लग जाते है, इस प्रसिद्ध मंदिर का नाम सबने सुना होगा क्या आप जानते है केदारनाथ धाम कहां है, और इतना प्रसिद्ध क्यों है अगर नहीं जानते है तो आज हम आपको बताएँगे।
केदारनाथ धाम कहां है ?
उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ धाम स्थिर है। ये मंदिर हिमालय पर्वत की गोद में बसा हुआ है यह मन्दिर एक छह फीट ऊँचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है, हर साल यहां लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए दूर-दूर के शहरो से भगवान शिव के दर्शन करने पहुंचते है।
ऐसा माना जाता है, चार धाम की यात्रा यमनोत्री से शुरू, फिर गंगोत्री, उसके बाद केदारनाथ यात्रा और अंत में बद्रीनाथ की यात्रा करने से ही हमारी यात्रा सफल होती है। केदारनाथ में नर नारायण मूर्ति के दर्शन करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट होते है। उनके बाद ही हमें आने वाले जीवन की कामना करनी चाहिए इसलिए बद्रीनाथ से पहले केदारनाथ धाम जाना जरुरी है।
मंदिर जाने का कुल रास्ता 21 km है। आपदा की वजह से ये रास्ता और बढ़ गया है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक 5 km का रास्ता है, उससे आगे गौरीकुंड से केदारनाथ जाने का 16 km लंबा रास्ता है।
सरकार के अनुसार, वर्तमान में केदारनाथ धाम जाने के लिए प्रतिदिन 9000 तीर्थयात्रियों के पंजीकरण की अनुमति है, इससे अधिक लोग नहीं जा सकते है। केदारनाथ जाने के लिए 21 फरवरी से रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुके है। सरकार के अनुसार अभी तक 11 लाख लोग अपना registration करवा चुके है।
About of the kedarnath dham
उत्तराखंड राज्य में स्थित चार धामों में से केदारनाथ धाम सबसे पवित्र है भगवान शिव को समर्पित ये एक मंदिर है आइये जानते है केदारनाथ धाम की अन्य रोचक बातें –
केदारनाथ धाम दर्शन शुरू | 25 अप्रैल 2023 सुबह 6:20 बजे |
केदारनाथ स्थल | रुद्रप्रयाग जिला, उत्तराखंड |
केदारनाथ पैदल यात्रा दुरी | 21 km |
केदारनाथ की ऊंचाई | 3,583 m |
केदारनाथ से बद्रीनाथ की दूरी | 245 km |
केदारनाथ निर्माता | पाण्डव वंश के जनमेजय आदि पुरुष |
पंजीकरण प्रकिर्या | ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों |
Official Website | registrationandtouristcare |
केदारनाथ धाम कैसे जाएं,कैसे पहुंचे
केदारनाथ धाम जाने के लिए आप बस, कार और दो पहिया गाड़ी किसी भी वाहन से जा सकते है। इन गाड़ियों से आप सिर्फ सोनप्रयाग तक ही जा सकते है, इससे आगे पैदल का रास्ता है। मंदिर पहुंचने के लिए सारी व्यवस्था की गयी है।
अगर आप पैदल नहीं जाना चाहते है, तो उसके लिए घोड़े – खच्चर और कंडी की व्यवस्था है आप इनकी मदद से आराम से मंदिर के दर्शन कर सकते है।
यदि आप ऋषिकेश से केदारनाथ धाम की यात्रा बस या कार के द्वारा करते है, तो मदिर तक पहुंचने तक बीच में कितने स्टेशन आने है और कितनी दुरी पर है ये हम आपको बताएगे ताकि केदारनाथ पहुंचने में आपको कोई समस्या न आये।
- ऋषिकेश से देवप्रयाग – 71 km
- देवप्रयाग से श्रीनगर – 35 km
- श्रीनगर से रुद्रप्रयाग – 32 km
- रुद्रप्रयाग से गुप्तकाशी – 45 km
- गुप्तकाशी से सोनप्रयाग – 31 km
- सोनप्रयाग से गौरीकुंड – 5 km
- गौरीकुंड से केदारनाथ – 16 km
अब यहाँ हेलीकाप्टर की व्यवस्था हो गयी है, जो आपको सीधे केदारनाथ मंदिर तक पहुंचाएगा। अगर आप देहरादून से हेलीकॉप्टर में जाना चाहते है तो देहरादून से सीधे केदारनाथ मंदिर जा सकते है।
इसके अलावा आप ‘सीतापुर हेलीपैड‘ जो गुप्तकाशी से 26 km आगे है, यहाँ से आप अपनी टिकट बुकिंग ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन बुक करवा सकते है। यहां से केदारनाथ पहुंचने में 5 से 7 मिनट का समय लगेगा। इसके अतिरिक्त पवन हंस दैनिक आधार पर फाटा से केदारनाथ के लिए 12 हेलीकाप्टर की व्यवस्था की गयी है।
12 उड़ानों में से नौ उसी दिन लौट आती है, बाकि की तीन उड़ाने दूसरे दिन आती है यहां से मंदिर जाने के लिए पहली उड़ान सुबह के 6:50 बजे रवाना होकर सुबह के 7:00 बजे वह पहुँचती है।
हेलीकाप्टर से केदारनाथ जाने का किराया
- फाटा से केदारनाथ – 4,798 रु प्रतिव्यक्ति (आना – जाना दोनों ) किराया है ऑनलाइन बुकिंग करने के लिए उनकी Official Website Pawanhans.co.in पर जाकर अधिक जानकारी ले सकते है।
- सिरसी से केदारनाथ – 5498 रु प्रतिव्यक्ति (आना – जाना दोनों )
- गुप्तकारी से केदारनाथ – 7750 रु प्रतिव्यक्ति (आना – जाना दोनों )
IRCTC Heli yatra बुकिंग सर्विस के अनुसार 25 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच सभी उड़ाने फुल हो गयी है इससे आगे की बुकिंग आप IRCTC Heli yatra ऑफिसियल वेबसाइट heliyatra.irctc.co.in पर जाकर करवा सकते है
केदारनाथ धाम कब जाएं
इस साल 2023 में केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल सुबह 6:20 पर खुल रहे है, अब कई लोगो के मन में सवाल उड़ता है कि केदारनाथ धाम कब जाये वैसे मंदिर जाने का कोई सही समय नहीं होता है।
यदि आप अच्छे से मंदिर के दर्शन करना चाहते है, तो आपके लिए अप्रैल, मई और जून का महीना ये सही समय है इस समय वहाँ का मौसम बहुत अच्छा होता है इस मंदिर की अधिक ऊंचाई होने से यहाँ का मौसम काफी ठंडा होता है
अधिकांश समय यहाँ बर्फ पड़ी रहती है, जिससे ठण्ड और बढ़ जाती है मई, जून का मौसम अच्छा है, क्योकि ये समय अधिकतर छुट्टियों का होता है इसकी वजह से यहाँ पर आपको बहुत भीड़ देखने को मिलेगी।
इसके अलावा केदारनाथ जाने का सही समय सितम्बर का महीना है, क्योकि इस समय बारिश भी कम होती है और भीड़ भी ज्यादा नहीं होती है ऐसे में आप केदारनाथ मंदिर के साथ-साथ वहाँ के आस-पास की जगह को भी अच्छे से देख पाएंगे।
अगर आप केदारनाथ मंदिर के दर्शन के साथ अपनी फैमिली और दोस्तों के साथ बर्फ का मजा लेना चाहते है तो अक्टूबर का महीना बहुत अच्छा है इस महीने मंदिर के कपाट बंद होते है इस महीने यहाँ पर काफी बर्फ गिरी हुई होती है जिसका आप पूरा मजा ले सकते है
अधिकांश लोग केदारनाथ यात्रा के बाद हेमकुंड साहिब की यात्रा करना पसंद करते है। जो की दुनिया का सबसे ऊंचा गुरुद्वारा है। बहुत कम लोगो को इस तीर्थ स्थल में जाने का सौभाग्य मिलता है।
केदारनाथ जाने के लिए Registration प्रक्रिया
केदारनाथ मंदिर जाने से पहले आपको अपना पंजीकरण (ईपास) करवाना अनिवार्य है देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से आप मंदिर की पूजा, आरती और रूम का प्रबन्ध आसानी से कर सकते है मंदिर में प्रवेश करने के लिए आपके पास ईपास होना अनिवार्य है।
Covid-19 के बाद से यहाँ के नियम कानून काफी सख्त हो गए है। सरकार की ओर से जानकारी दी गयी है सभी यात्रियों को पंजीकरण के साथ-साथ अपना मेडिकल चेकअप करवाना होगा।
अगर आप अपनी गाडी से जा रहे है तो आपको अपनी गाडी का रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। रजिस्ट्रेशन करते समय अपनी डिटेल्स और मोबाइल नंबर सही से भरे।
- रजिस्ट्रेशन करने के लिए यात्री को सरकार की ऑफिसियल वेबसाइट registrationandtouristcare.uk.gov. पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।
- रजिस्ट्रेशन करने के लिए आपको register /login पर अपना नाम, मोबाइल नंबर सहित अन्य पूछी गयी सभी जानकारी को भर देना है।
- जानकारी भरने के बाद आपका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा।
- इसके अलावा आप अपने WhatsApp नंबर से 8394833833 से भी रजिस्ट्रेशन करवा सकते है इसके लिए आपको इस नंबर पर “Yatra” मैसेज करना है इसके बाद आपसे कुछ सवाल पूछे जायेगे उनका सही-सही जवाब देकर आपके रजिस्ट्रेशन की प्रकिर्या पूरी हो जाएगी।
- आप किसी भी माध्यम रजिस्ट्रेशन करवा सकते है इसके अलावा आप 8394833833 पर भी संपर्क कर सकते है।
- रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया एकदम नि:शुल्क है।
Kedarnath dham ओपनिंग डेट 2023
केदारनाथ धाम बहुत ऊंचाई पर बसा हुआ है जिसकी वजह से यहाँ अधिक बर्फ़बारी होती है मंदिर के कपाट 6 महीने बंद और 6 महीने खुले होते है इस साल 2023 में केदारनाथ धाम की ओपनिंग डेट 25 अप्रैल सुबह 6:20 मिनट पर खुलेगा फिर आप भगवान के दर्शन कर सकते है।
कपाट खुलने के कई दिन पहले से यहाँ तैयारी शुरू हो जाती है सबसे पहले 20 अप्रैल को भैरवनाथ जी की पूजा होगी, 21 अप्रैल को बाबा केदारनाथ की पंचमुखी डोली उखीमठ से केदारनाथ के लिए प्रस्थान होगी।
मंदिर तक पहुंचने के लिए पूरी पैदल यात्रा होती है 24 अप्रैल को केदारनाथ पहुंच कर 25 अप्रैल को पूरी विधि-विधान से पूजा करने के बाद भगवान केदार के दर्शन कर सकते है।
केदारनाथ के आस-पास घूमने की जगह
केदारनाथ अपने आप में एक स्वर्ग है अगर आप एक बार यहां आ गए तो जाने का मन नहीं करेगा। केदारनाथ धाम के साथ आप यहां आस-पास की कुछ जगहों का आनंद उठा सकते है आइये जानते है कौन से जगह है वो –
सोनप्रयाग
- केदारनाथ से 18 km पहले सोनप्रयाग पड़ता है कहा जाता है कि यह भगवान शिव और पार्वती का विवाह स्थल है मंदाकिनी नदी और बासुकी नदी इस बिंदु पर एक साथ आती हैं यहां की सुन्दर पहाड़िया बर्फ से ढकी रहती है।

त्रियुगीनारायण
- केदारनाथ से 15 कम पहले त्रियुगीनारायण मंदिर आता है हिन्दू धर्म में इस मंदिर को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है कहा जाता है यह पर शिव और पार्वती माँ की शादी हुई थी शादी के इस समारोह को भगवान विष्णु ने देखा था भगवान ब्रह्मा भी शादी में मौजूद थे इसलिए आप यहाँ पर एक साथ विष्णु, शिव और पार्वती माँ की पूजा कर सकते है।

शंकराचार्य समाधि
- यहां पर आपको शंकराचार्य का मंदिर है हिंदू धर्म के कई विचारधाराओं को एक साथ लाने और इसकी नींव बनाने का श्रेय दिया जाता है यहाँ पर आपको गर्म पानी वाला झरना मिलेगा जो हर मौसम में एक जैसा होता है।

इन जगहों के अलावा आप भैरव नाथ मंदिर,गौरीकुंडो, चोराबारी ताल, वासुकी तालो, ऊखीमठो, गुप्तकाशी और देवरिया ताल आदि धार्मिक स्थानों पर जाकर अपनी यात्रा को और यादगार बना सकते है।
केदारनाथ में पूजा करने का क्रम
मदिर में पूजा करने का क्रम सुबह में कालिक पूजा – महाभिषेक पूजा – अभिषेक – लघु रुद्राभिषेक – षोडशोपचार पूजन – अष्टोपचार पूजन – सम्पूर्ण आरती – पाण्डव पूजा – गणेश पूजा – श्री भैरव पूजा – पार्वती जी की पूजा – शिव सहस्त्रनाम
केदारनाथ यात्रा कौन नहीं कर सकता आवेदन
- 13 साल से कम उम्र वाले बच्चे केदारनाथ धाम नहीं जा सकते है।
- गर्भवती महिलाएं 6 सप्ताह से अधिक वाली महिला के लिए अनुमति नहीं है।
- 75 वर्ष से ऊपर वाले व्यक्ति नहीं जा सकते है।
केदारनाथ यात्रा से जुडी कुछ खास बातें (kedarnath yatra)
- केदारनाथ जाने से पहले अपना रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य उसके बिना आपको जाने नहीं दिया जाएगा।
- रजिस्ट्रेशन के साथ-साथ मुख्य दस्तावेज जैसे – आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पेन कार्ड, वोटर आईडी सभी दस्तावेज आपके आस होने जरुरी है।
- यात्रा में जाने से पहले अपना मेडिकल टेस्ट करवा ले क्योकि वहां 14000 फीट की ऊंचाई है, जिससे आपका स्वास्थ्य ख़राब हो सकता है।
- पैदल यात्रा के दौरान अपने साथ खाने-पीने की चीज़े रखें उसके साथ जरुरी दवाइयों का बैग भी रखे, वहाँ का मौसम कभी भी बदल सकता है।
- प्रत्येक व्यक्ति को covid- 19 की वैक्सीन लगनी अनिवार्य है आपके पास वैक्सीन लगवाने का प्रमाण पत्र होना जरुरी है।
- अपने साथ जरुरी चीज़े रैनकोट, गरम कपडे, वाटरप्रूफ जूते, कंबला आदि जरूर रखें।
महत्वपूर्ण सवालों के जवाब (FAQs)
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार केदारनाथ मंदिर लगभग 1200 पुराना है।
यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में मंदाकनी नदी के पास गढ़वाल हिमालय श्रृंखला पर स्थित है।
मई, जून,सितम्बर और अक्टूबर का महीना यात्रा करने के लिए सही है क्योकि इन महीने ज्यादा बारिश नहीं होती है।
केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडव भाइयों द्वारा कुरु क्षेत्र युद्ध के बाद युद्ध के दौरान अपने परिजनों की हत्या की वजह से भगवान शिव बहुत क्रोधित थे शिव पड़ावों को माफ़ नहीं करना चाहते थे उनसे छिपने के लिए उन्होंने एक बैल का रूप ले लिया और अब से केदारनाथ धाम में बस गए।
केदारनाथ कपाट खुलने की तिथि 25 अप्रैल 2023 और बंद होने की तिथि 15 नवबंर है।