कवच टेक्नॉलॉजी एक प्रकार का ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम (automatic train protection system) है। जिससे होने वाले ट्रैन हादसे को रोका जा सकता है। वर्ष 2022 में भारत के रेल मंत्री द्वारा कवच टेक्नोलॉजी का सफल ट्रॉयल हुआ जिसके बाद इस कवच का प्रयोग करने की मंजूरी मिल गई। लेकिन हाल ही में हुई ओडिशा रेल हादसे कवच टेक्नोलॉजी के खिलाफ काफी प्रश्न उठ रहे है। ओडिशा रेल हादसे में 280 लोगों ने अपनी जान गवा ली और 900 से ज्यादा लोग अभी तक घायल है।
अगर इस ट्रैन में कवच होता तो इतने सारे लोगों की जान नहीं जाती। तो आइये जानते है कवच टेक्नोलॉजी क्या है? ये ट्रैन को रोकने में कैसे मदद करती है। कवच से जुड़ी सभी जानकारी को प्राप्त करने के लिए आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
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कवच टेक्नोलॉजी क्या है?
कवच टेक्नोलॉजी भारत में निर्मित एक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है। यदि कोई दो ट्रैन पटरी पर आमने-सामने आ जाती है तो इस स्थिति में ट्रैन को ट्रैन में बैठे यात्री को किसी प्रकार का नुकसान न पहुंचे इसलिए कवच टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है। kawach सामने वाली ट्रैन के पास आने पर स्वयं ही कवच ब्रेक लगा देती है। जिससे कोई दुर्घटना नहीं होती है और न किसी की जान जाती है।
कैसे ये ट्रेन कि टक्कर को रोकता है?
रेल कवच एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस है। इसमें रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइसेस लगा हुआ है। जो हर रेलवे स्टेशन पर 1 किलोमीटर की दुरी पर उपलब्ध होता है। जैसे ही कोई ट्रैन पटरी पर उतरती है तो ये डिवाइसेस चालू हो जाता है।
ये सिस्टम लोको पालयट को सतर्क कर देता है। ये कवच सिस्टम दो ट्रैन को आपमें-सामने आने पर कुछ दुरी से ही सिग्नल दे देता है। और ट्रैन रुक जाती है। ऐसे में किसी भी यात्री को कोई हानि नहीं पहुँचती है।
स्वदेशी कवच टेक्नोलॉजी
भारत देश में बनी कवच टेक्नोलॉजी पर आज कल काफी सवाल उठ रहे है। भारत के रेल मंत्री ने कहा की कवच टेक्नोलॉजी को इस साल 2000 किलोमीटर रेल नेटवर्क पर उपयोग किया जायेगा।
जिससे देश में हो रहे रेल हादसे को शून्य किया जा सकेगा। कवच का आरंभ 2022 से हुआ था। ये कवच स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली से दुनिया की सबसे सस्ती सुरक्षा प्रणाली है।
जो एक ही पटरी पर आने वाली दो ट्रेनों को निर्धारित समय के अंदर दूसरी ट्रैन की जानकारी दे देती है। इस स्थिति में ट्रैन ऑटोमैटिक रुक जाती है। और बड़ी दुर्घटना होने से बच जाते है।
कवच के फीचर्स
- जब कोई दो ट्रैन एक ही पटरी पर आमने-सामने आ जाती है तो इस स्थिति में कवच ट्रैन को 380 मीटर की दुरी पर ही इंचन को खुद रोक देती है।
- यदि भविष्य में रेल इंजन ब्रेक लगाने में असफल हो गया तो ऐसी स्थिति में कवच ऑटोमैटिक सिस्टम से ब्रेक लगा देता है।
- रेड लाइट आने पर कवच आपने आप सीटी बजाना शुरू कर देता है।
आरडीएसओ के साथ मिलकर किया था डेवलप
रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (RDSO) की सहायता से कवच का निर्माण किया गया था। रेलवे ने इस सिस्टम पर 2012 से काम करना शुरू कर दिया था।
कवच का पहला ट्रायल 2016 में हुआ था। जिसमें एक ट्रैन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार थे और दूसरी तरफ रेलवे बोर्ड के चैयरमैन सवार थे। दोनों ट्रेनों में कवच सिस्टम होने के कारण आमने-सामने आनी वाली ट्रैन टकराई नहीं।
380 मीटर की दुरी पर दोनों ट्रैन रुक गई और ये परीक्षण सफल रहा। 2022 साल के अंत तक कवच टेक्नोलॉजी को चरणबद्ध तरीके से इंस्टॉल किया। इस कवच को साउथ रेलवे स्टेशन के 1445 किलोमीटर रूट और 77 ट्रेनों में जोड़ा गया है।
इसके अलावा दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा को जोड़ने का भी काम चल रहा है। कवच का इस्तेमाल करने के लिए ट्रैन की स्पीड 160 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई है।
कवच टेक्नोलॉजी की खास बात
- ख़राब स्थिति में सिग्नल पार करने में मदद करता है कवच।
- कवच की सहायता से लोको पायलट को रोज की सभी ट्रेनों का अपडेट और सिग्नल की स्थिति दिखाई देगी।
- स्टेशन के रेड सिग्नल पर पहुंचने में खुद ही ब्रेक लगा देगी।
- अगर कभी रेल का इंजन ख़राब हो गया तो ये कवच खुद ही ब्रेक लगा देगी।
- सुरक्षा के मामले में ये कवच काफी सस्ता है।
- लूप लाइन पार करते समय कवच टेक्नोलॉजी की मदद से रेल की गति 30 किलोमीटर प्रतिघंटा हो जाएगी।
- ये कवच किसी दुर्घटना में एसओएस फीचर को स्पोर्ट करती है।
- ये टेक्नोलॉजी मौसम ख़राब होने पर मौसम की सभी जानकारी दे देता है।
KAVACH से जुड़े सवालों के जवाब-
ये कवच एक प्रकार का ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम (automatic train protection system) है। जो अधिकांश ट्रेनों में मौजूद होता है। इस कवच की सहायता से एक पटरी पर दो ट्रैन आमने-सामने आने पर ट्रैन ऑटोमैटिक सिस्टम से खुद रुक जाती है।
भारतीय रेलवे ने रेल में यात्रा कर रहे यात्रियों को सुरक्षा प्रदान के लिए कवच टेक्नोलॉजी का आरम्भ किया। जब कोई लोको पायलय ब्रेक नहीं लगा पाता है, ट्रैन के ब्रेक ख़राब हो जाते है। या फिर सामने से कोई ट्रैन आ जाती है तो ऐसी स्थिति में कवच टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है।
कवच टेक्नोलॉजी का उद्घाटन भारतीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा सन 2022 में हुआ था। इसका पहला ट्रायल 2016 में हुआ था।
जब कभी दो ट्रैन एक ही पटरी पर उतर जाते है इस स्थिति में दोनों ट्रेनों की टक्कर न हो उसके लिए कवच टेक्नोलॉजी को एक्टिव किया जाता है।