तलाक (Divorce) के नियम, प्रक्रिया, Divorce कैसे लिया जाता है

शादी हर किसी की जिंदगी का एक खूबसूरत पल होता है, लेकिन आजकल के समाज में बहुत कम कपल ख़ुशी-खुशी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर पाते हैं। शादीशुदा जिंदगी में कई बार पति-पत्नी के बीच मतभेद पैदा होते हैं और यह मतभेद कई मामलों में इतने अधिक बढ़ जाते हैं की तलाक (Divorce) लेने की नौबत तक आ जाती है। भारत में विशेषता हिंदू धर्म के युवक को तलाक लेने के लिए काफी लंबी प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है।

यहाँ हम आपको तलाक (Divorce) के नियम, प्रक्रिया, Divorce कैसे लिया जाता है के बारे में स्टेप बाई स्टेप जानने को मिलेगा। Talaq Ke New Rules in Hindi के बारे में विस्तार से जानने के लिए आर्टिकल को अंत तक पढ़ें।

Talaq Ke New Rules In Hindi
Talaq Ke New Rules In Hindi

यदि आप कानूनी रूप से पति-पत्नी बनना चाहते हैं तो इसके लिए आप कोर्ट मैरिज कर सकते हैं, इसके नियम और प्रक्रिया के बार में जानिए।

तलाक (Divorce) के नए नियम

तलाक लेने के नए नियमों के तहत पति-पत्नी को एक से अधिक आधार पर तलाक (Divorce) लेने का अधिकार है। इसे Hindu Marriage Act 1955 section -13 के तहत वर्णित किया गया है।

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यदि पति पत्नी आपसी सहमति से तलाक चाहते है तो इसका प्रावधान भी विशेष विवाह अधिनियम, 1954 की धारा 28 और तलाक अधिनियम, 1869 की धारा 10A में किया गया है।

हिन्दू धर्म में तलाक लेने के लिए कुछ नियम शर्तें रखी गयी हैं। तलाक (Divorce) के नये नियम के अनुसार आपको नीचे दिए गए शर्तों का पूरा करना आवश्यक है –

  • विवाहित जोडा (Husband and wife) एक या इससे भी अधिक साल से एक दूसरे से अलग रह रहे हों।
  • यदि पति या पत्नी को एक दूसरे के साथ रहने में परेशानी आती है तो इस स्थिति में भी तलाक/Divorce लिया जा सकता है।
  • ऐसी स्थिति जब पति एवं पत्नी दोनों की आपसी सहमति हो की उनकी शादी पूरी तरीके से टूट चुकी है और वह इस कारण से तलाक के लिए आवेदन कर सकते हैं।

हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 में तलाक (Divorce) का आधार

आपको बता दें की हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 को मुस्लिम धर्म को छोड़कर हिंदू, सिख ,बौद्ध, जैन धर्म के व्यक्तियों पर लागू किया जाता है। Hindu Marriage Act 1955 section -13 के तहत विवाह विच्छेद या तलाक (Divorce) लेने के लिए निम्नलिखित आधार दिए गए है -:

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1. व्यभिचार (Adultry)- इस स्थिति में यदि विवाहित युगल (पति या पत्नी) में से कोई भी एक किसी दूसरे व्यक्ति से शादी के बाद संबंध रखता है तो इसे तलाक /विवाह विच्छेद का आधार माना जा सकता है।

2.परित्याग (Desertion)- यदि पति या पत्नी में दोनों में से किसी एक ने अपने पार्टनर को छोड़ दिया हो। और Divorce के लिए अप्लाई करने से पूर्व लगातार 2 साल से साथ नहीं रह रहे हों। यदि परिवार को छोड़कर सन्यास ले लिया हो।

3.क्रूरता (Cruelty)- यदि पत्नी या पति दोनों में से किसी को भ अपने साथी से शारीरिक, मानसिक या यौन प्रताड़ना मिलती है तो इसे भी तलाक (Divorce) लेने का आधार माना जायेगा।

4.धर्मांतरण (Proselytisze)- विवाहित युगल यानी पति -पत्नी दोनों में से यदि कोई भी एक अपने धर्म को त्यागकर अन्य धर्म स्वीकार करता है तो इस स्थिति को भी तलाक (Divorce) लेने का आधार माना गया है।

5.मानसिक विकार (Unsound Mind)- ऐसी स्थिति जहाँ पति या पत्नी में से कोई भी एक कभी न ठीक होने वाली मानसिक स्थिति अथवा पागलपन से ग्रस्त हो और ऐसे में दोनों का साथ रहना असंभव हो।

6 आपसी सहमति – Hindu Marriage Act 1955 धारा-13B के तहत पति-पत्नी के आपसी सहमति को भी तलाक लेने का आधार माना गया है।

नोटविशेष विवाह अधिनियम, 1954 (Special Marriage Act, 1954) की धारा-27 में इसके तहत विधि विधान से संपन्न किये विवाह से तलाक के लिए प्रावधान किये गए हैं।

Divorce के प्रकार

भारत में तलाक मूलतः 2 प्रकार के होते हैं। –

  • आपसी सहमति से तलाक
  • एकतरफा तलाक इसे विवादित तलाक भी कहा जाता है।

आपसी सहमति से तलाक के नियम

  • भारत के Hindu Marriage Act 1955 के तहत आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए दोनों पति पत्नी शादी के एक साल बाद न्यायालय में आवेदन कर सकते हैं।
  • यदि पति पत्नी तलाक के लिए न्यायालय का रुख करते हैं तो आपसी सहमति से तलाक के नियम के अंतर्गत न्यायालय दोनों पक्षों में सलाह के लिए कम से कम 6 महीने का समय देता है।
  • यदि सुलह के दिए गए समय में दोनों पक्षों में सहमति नहीं होती तो न्यायालय इसके बाद तलाक का आदेश देता है।
  • कोई भी तलाक शुदा इंसान दूसरी शादी तभी कर सकेगा जब अपील का अधिकार न हो या अपील की अवधि पूरी हो चुकी हो या ख़ारिज कर दी गयी हो।

एकतरफा तलाक (Divorce) के नये नियम

इस प्रकार के तलाक में दोनों पक्षों की सहमति नहीं होती। एकतरफा तलाक में एक पक्ष तलाक लेना चाहता है लेकिन दूसरा नहीं। आप एकतरफा तलाक के लिए आवेदन कर सकते हैं यदि इसको लेने के कारण उचित हैं।

आप हिन्दू धर्म के व्यक्ति हैं तो आप हिन्दू मैरिज एक्ट 13 के तहत कुछ प्रमुख आधारों के अनुसार एकतरफा तलाक ले सकते हैं। यदि मुस्लिम धर्म से सम्बंधित हैं तो आपको मुस्लिम मरीज एक्ट की धारा 2 के अनुसार तलाक के लिए आवेदन कर सकते हैं।

विवाह विच्छेद / तलाक के लिए जरुरी दस्तावेज

यदि आप किसी कारण से तलाक लेने की सोच रहे हैं तो आपको याचिका के लिए कुछ दस्तावेज (documents) की जरूरत होगी। आपको निम्नलिखित दस्तावेजों को तैयार करना होगा –

  • शादी का प्रमाण पत्र (Marriage certificate)
  • शादी के समय की कुल चार फोटो ( wedding photos)
  • आवास का प्रमाण (Proof of residence)
  • सुलह के प्रयासों के साक्ष्य (Evidence of reconciliation efforts)
  • तीन साल का इनकम टैक्स स्टेटमेंट (Income tax statement for three years)
  • लड़के का पेशा व आय का विवरण (Profession and income details)
  • एक साल अलग रहने का प्रमाण (Proof of living apart for one year)
  • पति-पत्नी दोनों पक्षों के परिवार के बारे में पूरी जानकारी (Information about the family of both sides)
  • संपत्ति व स्वामित्व का ब्यौरा (Property and ownership details)

पत्नी इन आधार पर ले सकती है तलाक

  • यदि पति शादी के बाद बलात्कार (rape) का दोषी पाया जाता है।
  • यदि विवाह के समय पत्नी की आयु 15 वर्ष से कम रही हो तो वह अपनी 18 साल की होने से पहले तलाक ले सकती है।

देश में तलाक के कारण

आजकल की परिस्थिति में हर छोटी बात में पति पत्नी के बीच तलाक लेने की नौबत तक आ जाती है। निम्न कारणों से भारत में विवाहित जोड़े तलाक के लिए आवेदन कर सकते हैं। –

  • पति या पत्नी दोनों में से किसी का धर्म परिवर्तन
  • कुष्ठ रोग
  • छूत की बीमारी वाले यौन रोग के कारण
  • क्रूरता/अत्याचार
  • व्यभिचार
  • परित्याग
  • सन्यास
  • व्यक्ति के जीवित होने की कोई खबर न होना

Divorce (तलाक) कैसे लिया जाता है, जानें

भारत में तलाक लेने के लिए हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के अंतर्गत कोई स्त्री या पुरुष न्यायालय में आवेदन कर सकते हैं। यह अधिनियम हिन्दू, सिक्ख, बौध धर्म मानने वाले व्यक्तियों सहित उन व्यक्तियों पर भी लागू होता है जो मुस्लिम, ईसाई, पारसी, यहूदी धर्म से सम्बंधित न हों।

  • हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के तहत तलाक के लिए आप पारिवारिक न्यायालय (Family Court) में या जिला न्यायालय (District Courts) में जाकर आवेदन कर सकते हैं।
  • आवेदन दोनों पक्षों में से किसी भी एक द्वारा उस जिला न्यायालय या पारिवारिक न्यायालय में किया जा सकता है जहाँ दूसरा पक्ष आवेदन के समय रहता हो।
  • या पति-पत्नी जिस क्षेत्र में अंतिम समय साथ में रहे हों।
  • तलाक के लिए दोनों पक्ष को कोर्ट में याचिका संयुक्त रूप से दायर करनी होगी।
  • दोनों पक्ष (पति-पत्नी) के हस्ताक्षर याचिका पर किये हुए होने चाहिए।
  • दोनों पक्षों का ब्यान लेने के बाद पति -पत्नी को मतभेद के बारे में जानकारी देनी होती है।
  • मतभेद के कारणों को स्पष्ट करना होता है।
  • दोनों पक्षों का ब्यान लिए जाने के बाद कोर्ट में दोनों पक्षों से एक पेपर पर हस्ताक्षर करवाए जाते हैं।
  • इसके बाद तलाक को रोकने के लिए दोनों पक्षों में सुलह के लिए 6 माह का समय दिया जाता है।
  • यदि 6 माह में दोनों पक्षों में कोई सहमति नहीं बनती तो अंतिम सुनवाई के लिए दोनों को कोर्ट में उपस्थित होना होगा।
  • अंतिम या दूसरा प्रस्ताव 18 महीने की अवधि में नहीं लाया जाता है तो अदालत तलाक के आदेश को पारित नहीं करेगी।
  • इस दौरान कोई भी पक्ष आदेश के पारित होने से पूर्व अपनी सहमति को वापस ले सकता है। और तलाक के लिए आदेश नहीं दिया जा सकता है।
  • अदालत द्वारा दूसरे प्रस्ताव में तलाक का आदेश दिया जा सकता है।

अधिनियम जिनके तहत तलाक लिया जा सकता है

भारत में अलग-अलग धर्मों के लोग निवास करते हैं। तलाक लेने के लिए अलग-अलग धर्मों में अपनी-अपनी व्यवस्था है। भारत में अलग-अलग धर्मों के लिए अधिनियम निम्नलिखित हैं –

  • स्पेशल मैरिज एक्ट 1954
  • हिंदू मैरिज एक्ट 1955
  • इंडियन डिवोर्स एक्ट
  • मुस्लिम पर्सनल लॉ
  • पारसी मैरिज एक्ट 1936

Talaq से जुड़े सवाल-जवाब

सवाल: क्या कोई पति या पत्नी तलाक के लिए शादी के बाद 1 साल के भीतर आवेदन कर सकते हैं ?
जवाब: नहीं ! शादी के बाद कम से कम 1 साल के बाद ही कोई व्यक्ति तलाक के लिए आवेदन कर सकता है। पति -पत्नी के एक साल अलग -अलग रहने के बाद ही कोर्ट द्वारा तलाक के लिए आवेदन पर विचार किया जा सकता है।

सवाल: Talaq/तलाक क्या होता है ?
जवाब: एक विवाहित जोड़ा जब एक दूसरे के साथ नहीं रहना चाहता और अपने पति पत्नी के रिश्ते को समाप्त करना चाहते हैं तो इस स्थिति में तलाक लिया जाता है। विवाह के विच्छेद को ही तलाक या Divorce कहा जाता है।

सवाल: एकतरफा तलाक (Unilateral Divorce) क्या है ?
जवाब: पति -पत्नी दोनों में से यदि सिर्फ एक पक्ष ही तलाक लेने की इच्छा रखता है लेकिन दूसरा नहीं तो यह एक तरफ़ा तलाक की श्रेणी में आता है।

सवाल: सबसे अधिक तलाक किस देश में होते हैं ?
जवाब: आपको बता दे की भारत में 1 प्रतिशत से भी कम तलाक के केस हैं। रूस तलाक लेने के मामले में सबसे टॉप पर है। रूस में प्रति हजार में से 5 लोगों में तलाक होता है।

सवाल: राष्ट्रीय सरकारी सेवाएं पोर्टल की वेबसाइट क्या है ?
जवाब:
National Government Services Portal की वेबसाइट services.india.gov.in पर जाकर आप विवाह पंजीकरण और तलाक के लिए आवेदन पत्र प्राप्त कर सकते हैं।

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