आय दिन देश में अपराधों की सीमा बढ़ती जा रही है। अपराधों की भी अपनी कुछ श्रेणियां होती हैं। संगीन अपराधों की बात की जाए तो इसमें मर्डर यानि हत्या, किडनेपिंग, रेप जैसे कई अमानवीय कुकर्म शामिल हैं।
कई बार आपराधिक मामलों की तहकीकात के लिए पुलिस को साक्ष्यों को जुटाने में कई महीने या साल तक लग जाते हैं। आज के दौर में जितने अपराध बढ़ते जा रहे हैं उतने ही टेक्नोलॉजी भी विकसित की जा रही है।
कई मामलों में अपराधी बहुत शातिर निकल जाता है और ऐसे में अपराध को अंजाम देने वाले व्यक्ति को सजा देना मुश्किल होता है।
आपने कभी न कभी न्यूज़ चैनल में किसी अपराधी का नार्को या पॉलीग्राफ टेस्ट किया जायेगा यह सुना होगा। क्या आप जानते हैं Polygraph & Narco Test क्या होता है? और नार्को या पॉलीग्राफ टेस्ट को क्यों और कैसे किया जाता है?
तो चलिए जानते हैं नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट के बारे में अधिक विस्तार से जानने के लिए आप किसी भी अच्छे डॉक्टर से बात कर सकते है उससे पहले ये जान ले की कही वो डॉक्टर फर्जी तो नहीं है जो असली डॉक्टर होते है उनका एक रजिस्ट्रेशन नंबर होता है, पर क्या आप जानते हो डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन नंबर कैसे लेना है।
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Polygraph & Narco Test क्या होता है?
भारत में ऐसे कई केस हैं जहाँ अपराधी के नार्को टेस्ट के लिए कोर्ट द्वारा आदेश दे दिया जाता है। जब कोई अपराधी अपने बयानों से पुलिस को गुमराह करने की कोशिश करता है तो ऐसे में पुलिस के लिए केस सॉल्व करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
पॉलीग्राफ टेस्ट या नार्को टेस्ट दोनों के लिए कोर्ट से परमिशन लेनी पड़ती है। भारत में कई शातिर अपराधियों और आतंकवादियों पर नार्को और पॉलीग्राफी टेस्ट किये जा चुके हैं।
किसी भी अपराधी पर नार्को टेस्ट किया जायेगा या नहीं इसके लिए सबसे पहले आपको कोर्ट से परमिशन लेनी होती है। नार्को टेस्ट द्वारा अपराधी के सच और झूठ को पकड़ा जा सकता है।
जब कोई अपराधी अपने अपराध को स्वीकार नहीं करता है तो ऐसे में कुछ विशेष परिस्थितियों में नार्को या पॉलीग्राफ टेस्ट कराया जाता है। Polygraph & Narco Test से आरोपियों का झूठ और सच बड़ी ही आसानी से पकड़ा जा सकता है।
नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट दोनों में ही अपराधी से कुछ सवाल पूछे जाते हैं जिनके आधार पर आरोपी के झूठ को पकड़ा जाता है। लेकिन पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट में काफी अंतर पाया जाता है।
Narco and Polygraph Test meaning in Hindi
Narco एक यूनानी (greek) शब्द है जिसे हम english में Anesthesia नाम से भी जानते हैं। narco को हिंदी में बेहोश होना या बेहोशी से जाना जाता है।
जबकि पॉलीग्राफ एक मशीन होती है जिसे झूठ पकड़ने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इसे लाई डिटेक्टर के नाम से भी जानते हैं। Narco and Polygraph Test के लिए उस व्यक्ति की सहमति होनी जरुरी है।
नार्को या पॉलीग्राफ टेस्ट क्यों और कैसे किया जाता है?
यह दोनों टेस्ट झूठ का पता लगाने के लिए किये जाते है। नार्को टेस्ट को फोरेंसिक एक्सपर्ट ,जाँच अधिकारी ,डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक की उपस्थिति में किया जाता है।
इस test में एक अपराधी या किसी व्यक्ति को truth drug नाम की साइको एक्टिव दवा दी जाती है या फिर sodium Pentothal या sodium Amytal नाम का इंजेक्शन लगाया जाता है।
इन दवा का असर होते ही अपराधी व्यक्ति ऐसी स्थिति में पहुंच जाता है जहाँ व्यक्ति कुछ -कुछ बेहोशी की हालत में पहुंच जाता है।
इस टेस्ट में दवा के असर से व्यक्ति की तार्किक शक्ति कम हो जाती है और व्यक्ति ज्यादा गति में नहीं बोल पाता है। व्यक्ति अपने सोचने समझने की क्षमता को खो देता है। इस स्थति में व्यक्ति से केवल केस से सम्बंधित प्रश्नों को ही पूछा जाता है। इस टेस्ट में दिए जाने वाले ड्रग से व्यक्ति की तार्किक शक्ति कमजोर हो जाती है।
ऐसे में उस व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता कुछ देर के लिए ख़त्म हो जाती है। जिससे उस व्यक्ति द्वारा सच बोलने की सम्भावना काफी बढ़ जाती है। नार्को टेस्ट में व्यक्ति के शरीर की प्रतिक्रिया को भी देखा जाता है।
नार्को टेस्ट करने से पहले व्यक्ति का परिक्षण
किसी व्यक्ति का नार्को टेस्ट किये जाने से पहले उस व्यक्ति का शरीर का परिक्षण किया जाता है। शारीरिक परिक्षण में उस व्यक्ति के शरीर का टेस्ट लिया जाता है और यह देखा जाता है की क्या व्यक्ति नार्को टेस्ट को लेने के लायक है या नहीं।
यदि व्यक्ति बीमार ,अधिक आयु का है या फिर उस व्यक्ति की दिमागी स्थिति सही नहीं है तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति पर नार्को टेस्ट का परिक्षण नहीं किया जा सकता।
व्यक्ति की सेहत ,आयु ,लिंग को देख कर ही उस व्यक्ति को नार्को टेस्ट की दवाइयां दी जाती हैं। कई बार अधिक मात्रा में डोज देने से नार्को टेस्ट विफल हो जाता है। इसलिए नार्को टेस्ट को करने से पहले कई सावधानियां बरतनी होती हैं।
कई बार अधिक डोज के कारण व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है। या उस व्यक्ति को मौत भी हो सकती है।
पॉलीग्राफ टेस्ट
पॉलीग्राफ टेस्ट में एक मशीन का प्रयोग किया जाता है। पॉलीग्राफ मशीन द्वारा आरोपी व्यक्ति का झूठ पकड़ा जाता है। किसी संगीन अपराध में लिप्त व्यक्ति के खिलाफ सबूत पेश करने के लिए पॉलीग्राफ टेस्ट काफी सहायक होता है।
इस टेस्ट में आरोपी की हर्ट रेट, ब्लर्ड प्रेसर और दिमाग के सिग्नल में होने वाले परिवर्तन को देखा जाता है।
नार्को या पॉलीग्राफ टेस्ट दोनों के लिए पहले कोर्ट से परमिशन लेनी होती है। परमिशन मिलने पर इस टेस्ट में आरोपी व्यक्ति को एक कमरे में ले जाकर अपराध से सम्बंधित सवालों को पूछा जाता है। यदि पूछे गए सवाल का जबाब वह गलत देता है तो उसके दिमाग से एक सिग्नल P300 (P3) निकलता है।
साथ ही साथ उसके हर्ट रेट और ब्लर्ड प्रेसर में भी परिवर्तन आ जाता है। इन परिवर्तन या सिग्नल्स को कंप्यूटर में सहेजकर इन सिग्नल्स की जाँच की जाती है।
नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट में अन्तर
कई बार लोग नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट दोनों को एक ही समझते हैं जबकि ऐसा नहीं है दोनों ही परीक्षणों में काफी अंतर पाया जाता है। Narco Test और Polygraph Test में क्या अंतर होता है? आइये जानते हैं –
पॉलीग्राफ टेस्ट (Polygraph Test) | नार्को टेस्ट (Narco Test) |
पॉलीग्राफ या लाई डिटेक्टर टेस्ट द्वारा अपराधी या आरोपी के झूठ को पकड़ने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। | नार्को टेस्ट द्वारा भी अपराधी या आरोपी के झूठ को पकड़ा जाता है। और आरोपी से किये जाने वाले सवालों का जबाब भी आरोपी सही देता है। |
पॉलीग्राफ टेस्ट के समय आरोपी या अपराधी व्यक्ति की शारीरिक प्रतिक्रियाओं का आंकलन किया जाता है। इस टेस्ट में शरीर के हाव-भाव, ब्लड प्रेशर,आरोपी की पल्स रेट और धड़कन यानि हार्ट रेट , शरीर से निकलने वाले पसीने ,हाथ और पैर की हलचल सभी पर नजर रखी जाती है। | नार्को टेस्ट में आरोपी /अपराधी को एक कृत्रिम निंद्रा की स्थिति (hypnotic state) में डाल दिया जाता है। |
पॉलीग्राफ का अर्थ होता है झूठ पकड़ने वाला यंत्र इस टेस्ट में आरोपी के झूठ को पकड़ा जा सकता है लेकिन उससे सच नहीं बुलवाया जा सकता | पॉलीग्राफ टेस्ट के विपरीत Narco Test में आरोपी से सच बुलवाया जाता है। इस टेस्ट को ट्रुथ सीरम (Truth Serum) नाम से भी जानते हैं। |
पॉलीग्राफ टेस्ट में आरोपी को किसी भी प्रकार की साइकोट्रापिक या रसायन का कोई डोज नहीं दिया जाता है। | पॉलीग्राफ के विपरीत Narco Test के दौरान आरोपी को सोडियम पेंटोथल नाम की साइकॉट्रॉपिक दवा इंजेक्ट की जाती है। जिसके बाद इस दवा से आरोपी बेहोशी की हालत में चला जाता है। इस टेस्ट में आरोपी को दिए जाने वाले डोज से आरोपी के सोचने समझने की क्षमता को कुछ समय के लिए बंद कर दिया जाता है। |
पॉलीग्राफ टेस्ट की आवश्यकता
पॉलीग्राफ टेस्ट की अनुमति कुछ खाश स्थितियों में ही दी जाती है; जैसे –
- यौन दुर्व्यवहार
- गलत गवाह बनने के खिलाफ
- नशीली दवाओं के प्रयोग
- निजी अन्वेषक
- वकील के अनुरोध पर
- निजी अन्वेषक आदि
Polygraph & Narco Test से सम्बंधित सवाल
Narco Test एक ऐसा टेस्ट है जो सच छुपाने वाले अपराधी या आरोपियों से सच उगलवाने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट में अपराधी व्यक्ति की सहमति भी जरुरी है। नार्को टेस्ट में आरोपी व्यक्ति से सच जानने के लिए उसे एक कृत्रिम निंद्रा की स्थिति (hypnotic state) में डाल दिया जाता है। नार्को टेस्ट के दौरान आरोपी को sodium Pentothal या sodium Amytal नाम का इंजेक्शन दिया जाता है।
Polygraph Test भी अपराधी के झूठ को जानने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट की प्रक्रिया अगल है। पॉलीग्राफ टेस्ट में व्यक्ति को कोई ड्रग नहीं दिया जाता न ही कोई इंजेक्शन। इस टेस्ट में आरोपी या संदिग्ध व्यक्ति के शरीर को मशीन की तारों से जोड़ा जाता है और उससे सवाल पूछा जाता है। इस टेस्ट में उस व्यक्ति की हार्ट बीट ,पल्स ,ब्लड प्रेशर हाथ पैर के मूवमेंट पर नजर रखी जाती है। यदि व्यक्ति झूठ बोलता है या गलत बोलता है तो उसके दिमाग के सिग्नल, हार्ट बीट ,पल्स ,ब्लड प्रेशर हाथ पैर के मूवमेंट में परिवर्तन देखा जाता है।
नार्को या पॉलीग्राफ टेस्ट को हिंदी में (Narco and Polygraph Test meaning in Hindi) बेहोश होना या बेहोशी होता है वहीँ पॉलीग्राफ एक मशीन होती है जिसे झूठ पकड़ने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इस मशीन को व्यक्ति के शरीर से जोड़ा जाता है।