शिक्षा किसी भी देश के विकास के लिए कितनी आवश्यक है, इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार शिक्षा को प्रोत्साहित करती रहती है। Nipun Bharat Mission के द्वारा देश के छात्रों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए नई शुरुआत की गयी है। इसी कड़ी में निपुण भारत योजना को भी जोड़ा गया है। वर्ष 2020 में लायी गयी शिक्षा नीति के बेहतर क्रियान्वयन के लिए शुरु किया गया है।
आज इस लेख के माध्यम से हम आप को निपुण भारत योजना के बारे में सभी आवश्यक जानकरी देंगे। निपुण भारत योजना क्या है ,इसके उद्देश्य और गाइडलाइन सभी की जानकारी आप हमारे इस लेख में जान सकेंगें।
Table of Contents
निपुण भारत योजना
NIPUN Bharat Mission का पूरा नाम National Initiative for Proficiency in Reading with Understanding & Numeracy है। केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा क्षेत्र में विकास के लिए भारत निपुण योजना की शुरुआत 5 जुलाई 2021 में की गयी थी।
इस योजना में प्री – स्कूल के विद्यार्थियों में शिक्षा की नींव को मजबूत बनाया जाएगा और इसके लिए सभी सरकारी और गैर स्कूलों में इस मिशन के अंतर्गत सहयोग प्रदान किया जाएगा।
Nipun Yojana का संचालन स्कूल शिक्षा व साक्षरता विभाग द्वारा किया जाएगा। निपुण योजना स्कूली शिक्षा कार्यक्रम समग्र शिक्षा अभियान का एक हिस्सा होगी।
NIPUN Bharat Yojana Highlights
योजना का नाम | निपुण भारत योजना |
मंत्रालय | शिक्षा मंत्रालय |
विभाग | स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (Department of School Education & Literacy) |
योजना की शुरुआत | 5 जुलाई 2021 |
निपुण भारत मिशन PDF | यहाँ क्लिक करें |
ऑफिसियल वेबसाइट | nipunbharat.education.gov |
निपुण भारत मिशन की कार्यान्वयन प्रकिया
- इसके लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 5 स्तरीय तंत्र की स्थापना की जाएगी। जिसमें राष्ट्रीय, राज्य, जिला, ब्लॉक और स्कूल स्तर पर संचालन होगा।
- योजना का संचालन शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा किया जाएगा।
- इस मिशन के अंतर्गत 3 से 9 वर्ष के बच्चों की शिक्षा पर ध्यान दिया जाएगा।
- इसके अंतर्गत प्री स्कूल 1, प्री स्कूल 2 और प्री स्कूल 3 (बाल वाटिका) के बाद ग्रेड 1, ग्रेड – 2 और ग्रेड 3 की कक्षायें होंगी।
- इन छात्रों को इन कक्षाओं के दौरान भाषा और गणित का बेहतर ज्ञान दिया जाएगा।
NIPUN Bharat Yojana का उद्देश्य
- निपुण भारत मिशन के अंतर्गत ग्रेड 3 में पढ़ रहे बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता में निपुण बनाना है। जिससे उन्हें वर्ष 2026-2027 तक पढ़ने, लिखने व अंक गणित करने की क्षमता मिल सके।
- इससे सभी छात्रों को आगे की पढ़ाई और पाठ्क्रमों में आसानी हो जाएगी और पहले से ही अन्य जानकारी को समझने में समर्थ हो पाएंगे।
- Annual Status Of Education Report के निष्कर्षों के अनुसार लगातार कई वर्षों से स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने वाले अधिकतर भारतीय छात्र बुनियादी अंक गणित पढ़ और समझ नहीं पाते।
- इसी तथ्य को ध्यान में रखकर निपुण भारत मिशन की शुरुआत की गयी थी जिससे बच्चों की बुनियादी शिक्षा को मजबूत बना सकें।
NIPUN Bharat Mission के भाग
निपुण भारत योजना को सरकार द्वारा 17 भागों में विभाजित किया गया है। यह भाग कुछ इस प्रकार है।
- परिचय
- मूलभूत संख्यामकता और गणित कौशल
- मूलभूत भाषा और साक्षरता को समझना
- शिक्षा और सीखना: बच्चों की क्षमता और विकास पर ध्यान
- योग्यता आधारित शिक्षा की ओर स्थानांतरण
- लर्निंग एसेसमेंट
- शिक्षण -अधिगम प्रक्रिया: शिक्षक की भूमिका
- राष्ट्रीय मिशन: पहलू एवं दृष्टिकोण
- स्कूल की तैयारी
- मिशन की सामरिक योजना
- मिशन कार्यान्वयन में विभिन्न हितग्राहियों की भूमिका
- SCERT और DIET के माध्यम से शैक्षणिक साहित्य
- दीक्षा/NDEAR का लाभ उठाना, डिजिटल संसाधनों का भंडार
- निगरानी और सूचना प्रौद्योगिकी ढांचा
- मिशन की स्थिरता
- माता पिता एवं सामुदायिक जुड़ाव
- अनुसंधान, मूल्यांकन एवं दस्तावेजी करण की आवश्यकता
निपुण भारत के हित धारकों की सूची
1. | CBSE (सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ सेकेंडरी एजुकेशन) |
2. | राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश (States & UTs) |
3. | स्टेट काउंसिल ऑफ़ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग |
4. | सेंट्रल स्कूल आर्गेनाइजेशन |
5. | नेशनल काउंसिल ऑफ़ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग |
6. | मुख्य शिक्षक |
7. | कम्युनिटी एवं पैरेंट |
8. | डिस्ट्रिक्ट इंस्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग |
9. | ब्लॉक रिसर्च सेंटर तथा क्लस्टर रिसोर्सेज सेंटर |
10. | डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर एवं ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर |
11. | सिविल सोसाइटी आर्गेनाइजेशन |
12. | प्राइवेट स्कूल |
13. | गैर सरकारी संगठन (Non Government Organization) |
यहाँ जानिये नेशनल मिशन की भूमिका व कार्य के बारे में
इस मिशन के तहत मूलभूत शिक्षा पर ध्यान दिया जाएगा। विद्यार्थियों को बेहतर बेसिक/प्राथमिक शिक्षा प्रदान करके तैयार किया जाएगा। बता दें की इस योजना के लिए मिशन की रणनीती और दस्तावेजों को तैयार किये जाने के साथ साथ स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग शिक्षा मंत्रालय के रूप में कार्य भी करेगा।
इस के अतिरिक्त मिशन निदेशक एवं एजेंसी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्तर पर कार्यन्वयन किया जाएगा। नेशनल मिशन का प्रसाशनिक संचरण पांच स्तरों पर होता है। इस बारे में आप आगे जान सकते हैं –
National Level Mission (राष्ट्रीय स्तर):
ये राष्ट्रिय स्तर पर आयोजित किया जाएगा। इसका सञ्चालन स्कूल शिक्षा और साक्षारता विभाग द्वारा किया जाएगा। इस के अंतर्गत बच्चों को लर्निंग गैप्स, अस्सेस्मेंट, लर्निंग स्ट्रेटेजी डॉक्युमनेट्स बनाने, लर्निंग मैट्रिक्स तैयार करने जैसे कार्य किये जाएंगे।
State Level Mission (राज्य स्तर पर):
इसे राज्य स्तर पर आयोजित किया जाएगा। इस स्तर पर संचालन की जिम्मेदारी स्कूल शिक्षा विभाग की होगी। और इसके लिए स्टेट रिपेयरिंग समिति का गठन किया जाएगा और राज्य स्तर पर कार्यान्वयन राज्य के सेक्रेटरी हेड द्वारा किया जाएगा।
District Mission (जिला स्तर पर):
इस योजना को डिस्ट्रिक्ट लेवल पर संचालित किया जाएगा। इसका सञ्चालन डिप्टी मजिस्ट्रेट और डिप्टी कमिश्नर करेंगे। जिला स्तर पर इस योजना को तैयार करने के लिए जिला शिक्षा ऑफिसर, कमिटी के सदस्य सीईओ, डिस्ट्रिक्ट अफसर ऑफ़ हेल्थ आदि सदस्य बनाए जाते हैं।
Block Cluster Mission:
इस स्तर पर मिशन के कार्यान्वयन ब्लॉक लेवल पर होता है। इस स्तर पर मिशन का संचालन करने और साथ ही इसकी निगरानी करने की जिम्मेदारी एजुकेशन ऑफिसर और ब्लॉक रिसोर्सेज पर्सन की होती है।
Shool Managment Committie & Community Participation:
इस मिशन का संचालन स्कूल और कम्युनिटी लेवल पर किया जाएगा। देश भर में शिक्षा अभियान से संबंधित जागरूकता फैलाने का कार्य इस मिशन के माध्यम से किया जाएगा।
मिशन के अंतर्गत स्कूल मैनेजमेंट शिक्षकों और अभिभावकों के द्वारा भी योगदान दिया जाएगा। इससे बच्चों की शिक्षा में सुधार लाने के लिए सभी को इस मिशन के माध्यम से जागरूक किया जाएगा।
NIPUN Bharat Mission द्वारा साक्षरता व संख्यात्मकता में किए जाने वाले सुधार
- विद्यार्थियों को शिक्षा में प्रोत्साहन देना : बच्चों को ज्यादा से ज्यादा आधारभूत साक्षरता के साथ सामाजिक ज्ञान भी प्रदान किया जाये। बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए आवश्यक है कि निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखें –
- लिंगभेद से मुक्त पुस्तके, चित्र, पोस्टर, खिलौने आदि के माध्यम से शिक्षित करें।
- बालक और बालिकाओं से उचित और समान अपेक्षाओं को प्रदर्शित करें।
- विद्यार्थियों को उनकी रूचि के अनुसार शिक्षा में प्रोत्साहित करना।
- ऐसे पाठ्यक्रम (कहानिया और कविताएं ) जिनमे छात्र और छात्राओं को समान भूमिकाओं में पेश किया जा सके।
- लिंग पक्षपाती कथनों का कक्षा में किसी भी प्रकार से प्रयोग न किये जाने का प्रयास करना।
- लर्निंग अस्सेस्मेंट : बच्चों की सीखने की क्षमता का आकलन करना। इसके लिए उनके द्वारा सीखे गए विभिन्न पाठ्यक्रमों में उनके विकास का आकलन किया जाता है, जिससे बच्चे की सीखने की क्षमता को ट्रैक किया जा सके। इसके लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
- विद्यालय मॉडल : इस मॉडल के अनुसार ये बहुत आवश्यक है की बच्चे को स्कूल भेजा जाए। ऐसा इसलिए क्यूंकि बच्चे स्कूल जाने पर न सिर्फ शिक्षा प्राप्त करते हैं बल्कि उन्हें स्कूल जाकर अपने साथ के बच्चों, शिक्षकों और अन्य सहयोगियों से भी सीखने का अवसर मिलता है।
- आप की जानकारी के लिए बता दें की एनईपी (नेशनल एजुकेशन पॉलिसी) के अंतर्गत एक 3 माह का स्कूल प्रिपरेशन मॉड्यूल निर्धारित किया गया है। जिसके माध्यम से बच्चे प्री स्कूल शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। जिससे उन्हें आगे स्कूल जाने में कोई परेशानी न हो। क्योकि स्कूल जाने के लिए आवश्यक है की बच्चे के पास न्यूनतम कौशल एवं ज्ञान हो।
यहाँ जानिये आधारभूत साक्षरता तथा संख्यामकता के प्रकार
मूलभूत भाषा एवं साक्षरता
- मौखिक पठन प्रवाह
- धवनियात्मक जागरूकता
- लेखन
- शब्दावली
- रीडिंग कंप्रीहेंशन
- मौखिक भाषा का विकास
- प्रिंट के बारे में अवधारणा
- डिकोडिंग
- कल्चर ऑफ रीडिंग
मूलभूत संख्यामकता और गणित कौशल
- गणितीय तकनीकें
- पूर्व संख्या अवधारणाएं
- आकार एवं स्थानिक समाज
- मापन
- नंबर एंड ऑपरेशन ऑन नंबर
- पैटर्न
Nipun Bharat Lakshya के कार्यान्वयन हेतु जारी किया गया बजट
केंद्र सरकार द्वारा निपुण भारत मिशन की शुरुआत 2020 में लायी गयी नयी शिक्षा नीति के सफलतापूर्वक कार्यान्वयन हेतु की गयी है। केंद्र सरकार ने इसके लिए अच्छा ख़ासा बजट जारी किया है।
जानकारी के लिए बता दें की NIPUN Bharat Mission के सफलतापूर्वक कार्यान्वयन हेतु राज्य और केंद्र शाषित प्रदेशों को देश भर में समग्र शिक्षा योजना के तहत 2688.18 करोड़ रूपए प्रदान करने की मंजूरी दी है।
मूलभूत भाषा एवं साक्षरता की आवश्यकता
- भाषा- साक्षरता एवं गणितीय कौशल की एक मजबूत नींव का प्रारंभिक वर्षों में विकास करना बहुत आवश्यक है। जिस से बच्चे भविष्य में बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सके।
- विद्यार्थियों के शारीरिक विकास के साथ साथ मस्तिष्क के विकास के लिए प्रारंभिक साक्षरता का विकास होना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है।
- छात्रों को मूलभूत भाषा एवं साक्षरता प्रदान करने के बाद बच्चे समझ के साथ पढ़ सकते है। ऐसा मथुरा पायलट प्रोजेक्ट के निष्कर्षों के अनुसार कहा गया है।
- प्रारंभिक मूलभूत भाषा एवं साक्षरता बच्चों को शुरआती वर्षों में प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है। ऐसा इसलिए क्यूंकि बच्चों के मस्तिष्क का 85% विकास 6 वर्ष की आयु तक हो जाता है। और तबतक उन्हें मूलभूत शिक्षा मिल जानी चाहिए।
- प्रारंभिक भाषा और साक्षारता सिर्फ बोलना, पढ़ना और सुनना ही नहीं होता। बल्कि इस के माध्यम से व्यक्ति अपने आसपास के बारे में समझ विकसित करता है और उस बारे में अपनी एक सोच बनाता है।
- ये बहुत आवश्यक है की ये बुनियादी साक्षारता उन्हें शुरूआती वर्षों में ही मिल जाए, जिससे उन्हें आगे जाकर अपनी समझ विकसित कर ले जिस से उन्हें आगे जाकर कोई परेशानी न हो।
प्रारंभिक भाषा और साक्षारता में नीचे दिए गए पॉइंट्स को ले सकते हैं –
- पढ़ने और लिखने का ज्ञान होना।
- अपनी क्लास में लिखने की अवधारणा (Concept )
- प्रारंभिक शिक्षा की अवधि के दौरान लिखने का कौशल इमर्जेंट राइटिंग, कन्वेंशनल राइटिंग एवं राइटिंग कंपोजिशन के माध्यम से विकसित करना।
ये हैं मूलभूत भाषा एवं साक्षरता के प्रमुख घटक
- रीडिंग कंप्रीहेंशन
- प्रिंट के बारे में अवधारणा
- लेखन
- मौखिक भाषा का विकास
- शब्दावली
- धावनी के माध्यम से जागरूकता
- डिकोडिंग
- पढ़ने का प्रभाव
- पढ़ने की संस्कृति
कुछ महत्वपूर्ण कदम भाषा और साक्षरता विकास को बढ़ाने के लिए
- कहानियां एवं कविताएं सुनना, बताना और लिखना
- सॉन्ग एंड राइम्स
- अनुभव साझा करना
- एक प्रिंट समृद्धि वातावरण बनाना
- ऊंचे स्वर में पढ़ना
- ड्रामा और रोल प्ले
- पिक्चर रीडिंग
- शेयर ट्रेडिंग
- कक्षा की दीवारों का उपयोग करना
- अनुभव आधारित लेखन
- मिड डे मील
मूलभूत संख्यामक और गणित कौशल
इस का अर्थ हुआ दैनिक जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान करने और उसमें तर्क करने और संख्यामकता अवधारणा को लागू करने की क्षमता होना।
जान छात्र निम्नलिखित कौशल प्राप्त कर लेते हैं तब उनमे मूलभूत संख्यात्मक और गणित कौशल की समझ आ जाती है।
- कम या ज्यादा एवं छोटा या बड़ा की समझ विकसित करना
- एकल वस्तु एवं वस्तुओं के समूह के बीच संबंध स्थापित करने की क्षमता
- मात्राओं की समझ
- मात्राओं का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रतियों का उपयोग करना
- संख्याओं की तुलना करना आदि
आवश्यकता प्रारंभिक गणित कौशल की
- विद्यार्थियों द्वारा संख्याओं और स्थानिक समझ का दैनिक जीवन में उपयोग जा सकता है।
- दैनिक जीवन में तार्किक सोच और तर्क को विकसित कर सकते हैं
- प्रारंभिक वर्षों के दौरान गणितीय कौशल महत्वपूर्ण होता है।
- आधारभूत संख्यमकता का रोजगार में एवं घरेलू स्तर पर योगदान
प्रारंभिक गणित के प्रमुख घटक
- नंबर एंड ऑपरेशन ऑन नंबर
- फ्री नंबर अवधारणाएं
- डाटा संधारण
- आकार एवं स्थानिक समझ
- माप तोल
- पैटर्न
- गणितीय संचार
निपुण भारत मिशन से सम्बंधित प्रश्न उत्तर –
इस मिशन का पूरा नाम National Initiative For Proficiency in Reading with Understanding & Numeracy है।
NIPUN भारत को शिक्षा विभाग द्वारा 5 जुलाई 2021 को आरम्भ किया गया।
प्री-स्कूल (ग्रेड-3) के 4 से 10 वर्ष की आयु छात्रों को आधारभूत साक्षारता और संखायात्मकता ज्ञान प्रदान कर उन्हें लिखना, पढ़ना व अंकगणित करने की क्षमता में सुधार करना है।
डाटा संधारण, गणितय संचार, पैटर्न, मापतोल, नंबर एंड ऑपरेशन ऑन नंबर पैटर्न्स आदि, और मूल भूत भाषा एवं साक्षारता केमौखिक भाषा को विकास, रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन, लेखन, शब्दावली, डिकोडिंग आदि है।
इस लेख के माध्यम से हमने आप को निपुण भारत मिशन के बारे में सभी आवश्यक जानकारी देने का प्रयास किया है। उम्मीद है आप को लेख में दी गयी जानकारी उपयोगी लगी होगी। यदि आप को इस लेख से संबंधित कोई अन्य जानकारी चाहिए तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते हैं।
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