अंग्रेजी कैलेंडर ग्रेगेरियन के अनुसार विश्वभर में नए साल की शुरुआत जनवरी माह से होती है। भारत में 79.8 प्रतिशत हिन्दू जनसँख्या निवास करती है। हिन्दू नव वर्ष हर साल शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है। साल 2023 में हिंदू नव सवंत्सर 2080, 22 मार्च 2023 (बुधवार) से शुरू होने जा रहा है। 22 मार्च को Hindu Nav Varsh 2023 से चैत्र नवरात्री भी शुरू हो रहे है। धार्मिक दृष्टि से हिन्दुओं का नया साल काफी महत्वपूर्ण होता है इस नववर्ष में प्रकृति में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते हैं।
भारत में कई बार मनाया जाता है नया साल
प्रत्येक वर्ष हिन्दू नव वर्ष 22 मार्च से शुरू होता है। हिन्दू पंचांग, ग्रेगेरियन कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है। वर्ष 2023 से हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2080 शुरू हो गया है। आईये जानते हैं हिन्दू नव वर्ष कब व क्यों मनाया जाता है? और Hindu Nav Varsh का ऐतिहासिक और वैज्ञानिक महत्त्व क्या है सभी के बारे में विस्तार से।
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सनातन (हिन्दू) नववर्ष क्या है ?
आमतौर पर दुनियाभर में लोग नए साल को ग्रेगेरियन कैलेंडर (अंग्रेजी कैलेंडर) के अनुसार 1 जनवरी को मानते हैं। हर साल विश्वस्तर पर नए साल का आगाज जनवरी महीने से होता है। नववर्ष को दुनिया में अलग अलग स्थानों में अलग अलग तिथियों में मनाया जाता है। भारत में नए साल का मानव और जीव-जंतु के जीवन में एक सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। भारत का हिन्दू समुदाय का कैलेंडर विक्रम संवत पर आधारित है। विश्वभर में अलग अलग देश और समुदाय द्वारा अपने नए साल को अपने कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है।
चीन के लोग लूनर कैलेंडर के आधार पर ,इस्लाम के लोग हिजरी सम्वत ,पारसी नवरोज ,पंजाब में नया साल वैशाखी और जैन समुदाय में दीवाली के अगले दिन अपना नया साल मनाते हैं। हिन्दुओं द्वारा चैत्र महीने की शुक्ल प्रतिपदा को नया साल मनाया जाता है। हिन्दुओं के नए साल को हिन्दू नव सवंत्सर या नया संवत के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दुओं का नया साल चैत्र माह से शुरू होता है इसमें महीने की दिनों की संख्या चन्द्रमा की कला पर निर्धारित होती है। Hindu Nav Varsh चैत्र के महीने से शुरू होता है और चैत्र का महीना 30 या 31 दिन का होता है जोकि ग्रेगोरियन कैलेंडर के 22 मार्च से शुरू होता है।
हिंदी कैलेंडर अप्रैल 2023 [चैत्र – वैशाख] 2080, विक्रम सम्वत
Hindu Nav Varsh 2023 कब है ?
भारत में अलग अलग स्थानों में हिन्दू के नए साल को अलग अलग नाम से भी जाना जाता है और विभिन्न भागों में हिन्दू नव वर्ष को दो तीन प्रमुख तिथियों को मनाया जाता है। इसमें पहली दो तिथियां मार्च और अप्रैल के महीने में आती हैं। पहली तिथि को मेष संक्रांति या वैशाख सक्रांति या विषुव /विषुवत संक्रांति ,सौरमण युगादी भी कहा जाता है।
दूसरी तिथि को वर्ष प्रतिपदा (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) या चन्द्रमण युगादी कहा जाता है। तीसरी तिथि बलि प्रतिपदा (कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा) है जोकि दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। हिन्दुओं का नया साल अंग्रेजी कैलेंडर के मार्च महीने से शुरू होता है। वर्ष 2023 में हिन्दू नववर्ष (Hindu Nav Varsh 2023) 22 मार्च 2023 (विक्रम संवत 2080) बुधवार को मनाया जायेगा।
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हिन्दू नव वर्ष कब मनाया जाता है?
नए साल को मनाये जाने के पीछे धार्मिक, ऐतिहासिक और वैज्ञानिक कारण होते हैं। भारतीय समाज में प्रकृति को सबसे ऊपर रखा गया है प्रकृति को माँ का दर्जा दिया गया है। वातावरण में नयी सकारात्मक ऊर्जा का संचार प्रकृति के शांत और कोमल स्वाभाव से ही आता है। हिन्दू नव वर्ष हर साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। इसे मनाये जाने के पीछे कई ऐतिहासिक और वैज्ञानिक कारण हैं।
Hindu Nav Varsh को हर साल चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। यह दिवस ग्रिगोरियन कैलेंडर के मार्च या अप्रैल महीने से शुरू होता है। प्रत्येक वर्ष हिन्दुओं के नए साल का आरम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। hindu nav varsh Chaitra Shukla Pratipada को ही मनाया जाता है इसके पीछे कई कारण हैं। शास्त्रों में कुल 60 सम्वंत बताये गए हैं।
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हिन्दू नववर्ष (Hindu Nav Varsh) क्यों मनाया जाता है?
Hindu Nav Varsh को मनाये जाने के पीछे कई ऐतिहासिक और प्राकृतिक कारण मौजूद हैं –
- चैत्र का महीना हिन्दुओं के लिए नयी चेतना और उल्लास का प्रतीक है।
- चैत्र प्रतिपदा के दिन बसंत ऋतु का आगमन होता है और चैत्र माह और हिन्दू के नए साल के पहले दिन का धार्मिक महत्त्व भी है इसी दिन माँ शक्ति की पूजा और अध्यात्म से जुड़ने के लिए नवरात्री का पहला दिन शुरू होता है।
- हिन्दू नववर्ष विक्रम सम्वत पर आधारित है। इस कैलेंडर में सभी 12 महीनों के नाम राशियों के नाम पर आधारित हैं। ऐसी मान्यता है की ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी। प्रकृति इसी दिन नया रूप धारण करती है।
- इसी दिन प्रतिपदा के दिन आज से 2045 वर्ष पूर्व उज्जयनी नरेश विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रमणकारियों शकों से भारत की रक्षा की थी इसी दिन से उन्होंने काल गणना शुरू की थी।
- विक्रमादित्य द्वारा की गयी काल गणना को विक्रम सम्वंत नाम से जाना गया। उनके इस विजयी अभियान को याद करते हुए प्रतिपदा संवत्सर के रूप में मनाई जाती है।
- इसी दिन भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ था। और इसी दिन युधिष्ठर का राज्याभिषेक भी किया गया था।
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चैत्र शुल्क प्रतिपदा हिन्दू नव वर्ष का महत्त्व
जीवन में नए संचार और नयी शुरुआत के लिए देशभर में नए साल को बड़ी ही धुमधाम से मनाया जाता है। आमतौर पर नया साल अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर साल 1 जनवरी से शुरू होता है और 31 दिसंबर को समाप्त होता है। हिन्दू धर्म में नए साल को मार्च अप्रैल महीन से मनाया जाता है। सामन्यता मार्च 22 से नए साल की शुरुआत होती है। हिन्दू के नए साल का पहला महीना चैत्र है जो ईसाई कैलेंडर के मार्च से अप्रैल महीने से शुरू होता है।
भारतीय नववर्ष का हिन्दू समाज में काफी महत्त्व है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दो ऋतुओं का संधिकाल है इसमें रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। प्रकृति में नया संचार देखने को मिलता है। माँ शक्ति की भक्ति के 9 दिनों के प्रथम दिन की शुरुआत इसी दिन होती है। इसी दिन भगवान् राम का राज्याभिषेक किया गया। इसी दिन से फसल पकने का प्रारम्भ होता है। नक्षत्रों की शुभ स्थिति होती है इस दिन किसी भी शुभ कार्य को करने का शुभ मुहूर्त होता है।
भारतीय नववर्ष कैसे मनाएं ?
मानव जीवन में नयी शुरुआत के लिए या शुभ कार्यों के लिए काल गणना की जाती है। हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए मुहूर्त देखा जाता है। हमारे जीवन में ग्रह ,नक्षत्र, का काफी प्रभाव पड़ता है। एक साल में 365 दिन होते हैं और हिन्दू धर्म में नए साल को चैत्र माह से शुरू किया जाता है। चैत्र माह की शुरुआत अंगेजी कैलेंडर के मार्च अप्रैल महीने से होती है। हिन्दू नव वर्ष (Hindu Nav Varsh) को हिन्दू समाज के लोगों द्वारा मनाया जाता है। हिन्दू नए साल को इस प्रकार मनाते हैं –
- इस दिन एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनायें दी जाती हैं।
- अपने दोस्तों, परिवार और रिश्तेदारों को शुभ सन्देश भेजा जाता है।
- घरों के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों की माला बनाकर लटकाई जाती है।
- घर और धार्मिल स्थलों की साफ़ सफाई और पूजा पाठ और हवन किया जाता है।
- घरों में रंगोली और ऐपण बनाये जाते हैं।
- अपनी अपनी छतों पर पताका और ध्वजारोहण किया जाता है।
- विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक महोत्सवों में भाग लें।
- इस दिन अपने उदेश्यों को पूरा करने का संकल्प लें।
हिन्दू नव वर्ष 2023 से सम्बंधित अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)-
2023 में हिन्दू नववर्ष (Hindu Nav Varsh) 22 मार्च 2023 (बुधवार) ,विक्रम सम्वत 2080 को मनाया जायेगा।
hindu का नया साल (new year) मार्च- अप्रैल महीने से शुरू होता है।
हिन्दुओं का नए साल का पहला महीना चैत्र होता है।
इंडियन गवर्नमेंट का ऑफिसियल कैलेंडर भर्तियां राष्ट्रीय पंचांग या भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर है। यह कैलेंडर शक सम्वत पर आधारित है। इसके साथ साथ ईसाई कैलेंडर ग्रिगोरियन को भी भारत सरकार द्वारा आधिकारिक कैलेंडर के रूप में अपनाया गया है।
भारत में हिन्दू समाज नए साल को चैत्रशुक्ल प्रतिपदा को मनाता है। सामान्यता दुनयाभर में नए साल की शुरुआत 1 जनवरी से मानी जाती है लेकिन कई ऐसे देश हैं जहाँ नए साल को अलग अलग तिथियों में मनाया जाता है। भारत में नए साल की शुरुआत हिन्दू धर्म में चैत्र माह से होती है।
हिन्दू नववर्ष को देश के अलग-अलग राज्यों में विभिन्न नामों से जाना नाता है। महराष्ट्र ,गोवा और कोंकण में इसे गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है। कर्नाटक, आंध्र -प्रदेश ,तेलंगाना में उगादि ,रास्थान के मारवाड़ी क्षेत्र में थापना नाम से जाना जाता है।