Court Marriage कैसे करें? नियम एवं शर्तें, फीस, डाॅक्यूमेंट, आवेदन प्रक्रिया

कई लोग कोर्ट मैरिज (Court Marriage) को ज्यादा अच्छा विकल्प मानते हैं। क़ानूनी रूप से पति-पत्नी बनने के लिए कोर्ट मैरिज एक आसान उपाय है। कोर्ट मैरिज न सिर्फ लम्बे समय तक चलने वाले शादी के फंक्शन से बचाता है, बल्कि कम खर्च में कानूनी रूप से पति-पत्नी का दर्जा प्राप्त कर सकते है जिसके बाद वह साथ रह सकते हैं। कोर्ट मैरिज के लिए आपको कुछ नियम शर्तों को पूरा करना होता है। नीचे आर्टिकल में Court Marriage कैसे करें? इसकी आसान प्रक्रिया आप जान सकेंगे।

Court Marriage कैसे करें? नियम एवं शर्तें, फीस, डाॅक्यूमेंट, आवेदन प्रक्रिया Court Marriage Process In Hindi
Court Marriage Process In Hindi

भारत में हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के तहत तलाक लेने के लिए भी कुछ नियम शर्तें रखी गयी हैं जिनके आधार पर ही नागरिक विवाह या तलाक के लिए आवेदन कर सकते हैं।

Court Marriage किसे कहते है ?

Court Marriage उसे कहा जाता है जब दो व्यक्ति आपसी सहमति और परिवार के किसी सदस्य की हाजरी में कानूनी रूप से विवाह करते है. वो भी बिना किसी धार्मिक या पारंपरिक रस्मों का पालन किए। भारत में कोर्ट मैरिज स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के तहत की जाती है। यह प्रक्रिया विशेषकर उन जोड़ों के लिए है जो अलग-अलग धर्म या जाति से संबंधित हैं या जो अपने विवाह को सरल और निजी रखना चाहते हैं।

कोर्ट मैरिज कैसे करें? जानें नियम और शर्तें

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देश में कोर्ट मैरिज विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत court Marriage होती है। जिसके अंतर्गत सभी धर्मों और जातियों के लड़के या लड़कियां विवाह कर सकते हैं। बशर्ते वह बालिग़ हों और कोर्ट मैरिज के नियमों और शर्तों को पूरा करते हों।

नियम और शर्तें

  • विवाह करने के लिए दोनों पक्षों की पूर्ण सहमति होगी अनिवार्य है.
  • इसके लिए आपको रजिस्ट्रार को नोटिस देना होता है।
  • दोनों पक्षों को मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए।
  • कोर्ट मैरिज से पहले वर- वधु और गवाहों को विवाह अधिकारी के समक्ष एक घोषणा पत्र पर अपने हस्ताक्षर करने होते हैं।
  • कोर्ट मैरिज करने वाले जोड़े पहले से किसी शादी के बंधन में न बंधे हों।
  • यदि किसी लड़का या लड़की का पूर्व में विवाह हुआ हो तो वह वैध न हो या पहली शादी से जुड़े पति या पत्नी की मृत्यु हो चुकी हो।
  • यदि लड़का लड़की एक दूसरे के रिश्तेदारी में भाई-बहन लगते हैं, तो इस स्थिति में भी हिन्दू धर्म के लड़की लड़का एक दूसरे से कोर्ट मैरिज नहीं कर सकते।
  • शादी करने वाले लड़का या लड़की दोनों की मानसिक और शारीरिक स्थिति सही होनी चाहिए।
  • कोर्ट मैरिज किसी भी धर्म या जाति के बीच हो सकती है। लेकिन इसके लिए लड़का और लड़की दोनों का बालिग होना आवश्यक है।
  • लड़के की आयु 21 और लड़की की आयु 18 से ऊपर होनी चाहिए।
  • शादी के समय दोनों पक्ष वर और वधु दोनों की सहमति होनी जरूरी है।
  • दोनों पक्ष स्वेछा से शादी में शामिल होने चाहिए।
  • विवाह की इच्छा रखने वाले लड़का-लड़की दोनों में से किसी एक ने अपने विवाह की सूचना देने से पूर्व 30 दिनों तक उसी शहर में निवास किया हो जहाँ वह शादी करना चाहते हैं।

जानें कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन प्रक्रिया

  • लड़का और लड़की जो शादी करना चाहते हैं इसकी लिखित सूचना अपने जिले के विवाह अधिकारी को देंगे।
  • सूचना देते समय आपको अपनी आयु और निवास स्थान (रेजिडेंस) के जरूरी दस्तावेजों को भी देना होता है।
  • विवाह अधिकारी द्वारा इस सूचना को प्रकाशित किया जाता है।
  • आपके द्वार दी गयी सूचना की एक फोटो कॉपी ऑफिस में एक विशिष्ट स्थान पर लगायी जाती है।
  • सूचना की दूसरी प्रति उस ज़िला कार्यालय में विवाह पक्ष के जहाँ स्थाई रूप से निवासी कर रहे हैं वहां पर प्रकाशित की जाती है।
  • विवाह अधिकारी की उपस्थिति में दोनों पक्ष यानी लड़का लड़की और तीन गवाह, कोर्ट मैरिज के घोषणा पर हस्ताक्षर करते हैं।
  • इसके बाद अधिकारी इस घोषणा पर हस्ताक्षर करता है।
  • इसके बाद court marriage, विवाह अधिकारी के ऑफ़िस में या इसी के आस पास उचित दूरी के भीतर किसी भी स्थान पर सम्पन्न किया जाता है।
  • विवाह अधिकारी की उपस्थिति में वर और वधू का फाॅर्म स्वीकार किया जाता है।
  • विवाह अधिकारी द्वारा मैरिज सर्टिफिकेट पत्र पुस्तिका में एक प्रमाण पत्र दर्ज करता है।
  • यदि दोनों पक्षों वर और वधु और अन्य तीन गवाहों द्वारा हस्ताक्षर कर लिए जाते हैं तो यह सर्टिफिकेट Court Marriage का निर्णायक प्रमाण होता है। 

ऑनलाइन कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रेशन फॉर्म

आप कोर्ट मैरिज का ऑनलाइन फॉर्म भारत सरकार की वेबसाइट courtmarriage-gov.in पर जाकर भी भर सकते हैं।

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एक दिन में कोर्ट मैरिज कैसे करें ?

कोर्ट मैरिज एक क़ानूनी प्रक्रिया है। इसमें वर -वधु दोनों को ही कुछ नियम शर्तों को पूरा करना होता है। Court Marriage के लिए आपको जरूरी दस्तावेज और गवाहों की आवश्यकता होती है। कोर्ट मैरिज के नियमों के पालन करते हुए आवेदक को 1 महीने से अधिक का समय लग जाता है। जिसके बाद ही आप कोर्ट मैरिज कर सकते हैं।

यदि आपको लगता है आपके कोर्ट मैरिज के बाद से आपकी या आपके पार्टनर की जान को खतरा है तो आप इसके लिए पुलिस से सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं।

आपको अपना जीवन साथी चुनने का पूरा अधिकार है यदि आप बालिग़ हैं। आपके द्वारा क़ानूनी तौर पर कोर्ट मैरिज की गयी है और आपको अपने प्राणों की रक्षा करने के लिए पुलिस की सहायता अवश्य लेनी चाहिए।

कई बार पुलिस द्वारा भी आपको प्रोटेक्शन देने से आनाकानी की जाती है। यदि आपको कोर्ट मैरिज के बाद प्रताड़ित किया जा रहा है या जान से मारने की धमकी दी जा रही है तो आप इस स्थिति में एक वकील द्वारा इंटीमेशन लेटर तैयार करवा लें और इसे वकील द्वारा लड़की और लड़के के घर और दोनों के निकट थाने और एसपी ऑफ़िस में भेज दिया जायेगा।

इस इंटीमेशन लेटर के साथ में आपका कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट को अटैच करके पुलिस स्टेशन भेज दिया जाता है।

ऐसे कर सकते हैं कोर्ट मैरिज के खिलाफ आपत्ति दर्ज

  • यदि किसी व्यक्ति को इस विवाह से किसी भी प्रकार की आपत्ति होती है तो वह अपनी दर्ज करा सकता है।
  • यह व्यक्ति वर या वधु दोनों के नज़दीकी रिश्तेदार या दूर के रिश्ते में कोई भी हो सकता है।
  • यदि दर्ज आपत्ति का कोई सटीक आधार होता है तो ऐसी स्थिति में दर्ज की गयी आपत्तियों की जांच की जाती है।
  • यह आपत्ति संबंधित जिले के विवाह अधिकारी के सामने दर्ज करा सकते हैं।
  • ऐसी आपत्ति यदि स्वीकार कर ली गयी है, तो ऐसे में कोई भी पक्ष अपील दर्ज कर सकता है।  
  • यह अपील आप आपके स्थानीय ज़िला न्यायालय में विवाह अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में दर्ज करा सकते है।
  • यह अपील आपत्ति को स्वीकार कर लेने के 1 महीने के अंदर दर्ज करा सकते हैं।

court में शादी के लिए लगने वाला शुल्क और दस्तावेज

कोर्ट मैरिज के लिए न्यूनतम 1000 रुपए की फ़ीस चार्ज की जाती है। कागजी कार्यवाही और वकीलों को मिलकर आपको 10 हजार से 20 हजार रुपए तक का ख़र्चा करना पड़ सकता है। आपको कोर्ट में शादी के लिए इन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी –

  • आवेदन पत्र (जिसमें सभी जानकारियों को भरा गया हो)
  • लड़का लड़की दोनों का पैन कार्ड और पहचान पत्र
  • शादी करने वाले कपल यानी लड़का-लड़की दोनों की पासपोर्ट साइज फोटो
  • लड़के और लड़की का निवास प्रमाण पत्र
  • 10वीं की मार्कशीट
  • यदि लड़का या लड़की तलाकशुदा हैं, तो इस स्थिति में तलाक के कागज़ात
  • विधवा महिला /लड़की या विधुर लड़के के मामलें में पहले पति पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र
  • शादी करते समय गवाहों की फोटो

court Marriage के लाभ

  • इसमें ज्यादा खर्चा नहीं होता।
  • आपको मैरिज सर्टिफिकेट मिलता है जो लीगल डाक्यूमेंट्स की तरह काम करता है।
  • विदेश में रहने के लिए स्पाउस वीजा की आवश्यकता होती है उस समय कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट काम आता है।
  • Court Marriage certificate जॉइंट प्रोपर्टी ,जॉइंट वर्क आदि में काम आता है।

कोर्ट मैरिज से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs) –

क्या कोर्ट मैरिज के बाद तलाक ले सकते हैं ?

जी हाँ ! लेकिन आप कोर्ट मैरिज के बाद एक साल तक तलाक नहीं ले सकते। कुछ विशेष परिस्थितियों में तलाक ले सकता हैं।

भारत में शादियों का रेजिस्ट्रेशन किस एक्ट के तहत किया जाता है ?

देश में विवाह का पंजीकरण हिंदू मैरिज एक्ट 1955 या स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत किया जा सकता है।

किस वर्ष से सुप्रीम कोर्ट ने विवाह का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है ?

2006 से सुप्रीम कोर्ट ने विवाह का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है।

मैरिज रेजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की जरुरत क्यों होती है ?

नए बैंक अकाउंट खुलवाने, वीजा अप्लाई करने, पासपोर्ट आदि के लिए इसकी आवश्यकता होती है। मैरिज रेजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट आपके विवाहित होने का प्रमाण है।

किस अधिनियम के तहत कोर्ट में शादी कराई जाती है ?

विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत कोर्ट में शादी होती है।

कोर्ट मैरिज के लिए लीगल ऐज क्या होनी चाहिए ?

Court Marriage के लिए लड़के की आयु 21 से अधिक और लड़की की आयु 18 से अधिक होनी चाहिए।

court marriage में कितना समय लगता है ?

देश में कोर्ट मैरिज को पूरा होने में 1 से डेढ़ महीना लग जाता है।

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