भारत में जहाँ 17-18 वीं शताब्दी में अपने साम्राज्य विस्तार के लिए विभिन्न राजा महाराजाओं और मुग़ल शासकों के बीच आपसी तनाकशी चल रही थी वही अंग्रेजों के आगमन से बंगाल जैसे सबसे समृद्धशाली प्रदेश की राजनीति में भी कई बदलाव देखने को मिले। बंगाल मुगल साम्राज्य के अंतर्गत आने वाले सभी प्रांतों में से सर्वाधिक संपन्न था।
आप सभी जानते हैं की भारतीय इतिहास में बंगाल प्रान्त का अपना विशेष स्थान रहा है। बंगाल एक समृद्ध प्रान्त था जहाँ हर कोई अपना शासन करना चाहता था। बंगाल ने 10 हिन्दू शासन देखे तो कभी मुगलों का राज।
1757 की प्लासी युद्ध के बाद बंगाल का राजनीतिक नक्शा ही बदल दिया गया। बंगाल के नबाबों के समय इस प्रान्त में कई राजनीतिक,सामाजिक परिवर्तन देखे गए।
तो चलिए जानते हैं आखिर क्या था बंगाल के नवाबों का इतिहास? साथ ही साथ जानेंगे बंगाल के इतिहास (Bengal history in Hindi) के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में।
Table of Contents
बंगाल के नवाबों का इतिहास (1713-1765)
1690 ईस्वी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने कलकत्ता की नींव रखी और ब्रिटिश वाणिज्यिक उपनिवेश को स्थापित किया था। 1700 ईस्वी के मध्यकाल में बंगाल भारत का एक समृद्धशाली प्रदेश था। इस प्रान्त में मुगलों का अधिकार हुआ करता था।
1700 ई. में मुगल शासक ओरंगजेब ने मुर्शिद कुली खां (मोहम्मद हादी/ मिर्जा हादी) को बंगाल प्रान्त का दीवान नियुक्त किया था। 1717 में मुग़ल शासक फरुख्सियर ने एक शाही फरमान जारी किया इस फरमान में अंग्रेजों को व्यापार करने की छूट दी गयी थी। फरुख्सियर के शाही फरमान से अंग्रेजों को बंगाल ही नहीं अपितु देश के सभी हिस्सों में कब्ज़ा कर लिया था। इसी प्रकार से मराठा साम्राज्य के इतिहास के बारे में जानिए।
बंगाल के नबाब और उनके कार्यकाल
क्रमांक | बंगाल नवाब | सन्न |
1 | मुर्शीद कुली खाँ | 1713-1727 ई. |
2 | शुजाउद्दीन | 1727-1739 ई. |
3 | सरफराज खाँ | 1739-1740 ई. |
4 | अलीवर्दी खाँ | 1740-1756 ई. |
5 | सिराजुद्दौला | 1756-1757 ई. |
6 | मीर जाफर | 1757-1760 ई. |
7 | मीरकासिम | 1760-1763 ई. |
8 | मीर जाफर | 1763-1765 ई. |
9 | निजाम-उद्दौला | 1765-1766 ई. |
10 | शैफ-उद्दौला | 1766-1770 ई. |
11. | मुबारक-उद्दौला | 1770-1775 ई. |
मुर्शिद कुली खां (1713-1727 ई.)
- मुर्शिद कुली खान को मोहम्मद हादी/ मिर्जा हादी नाम से भी जाना जाता है।
- फरुख्सियर के शासनकाल में मुर्शिद कुली खां को बंगाल का सूबेदार बनाया गया था।
- मुर्शिद कुली खां ओरंगजेब के शासनकाल में दीवान बनाया गया था।
- 1719 में मुर्शिद कुली खा को उड़ीसा का क्षेत्र प्रदान किया गया था।
- इसने राजधानी ढाका से मुर्शिदाबाद स्थानांतरित की।
- मुर्शिद कुली खां द्वारा भूमि बंदोबस्त में इजारेदारी प्रथा को शुरू किया गया था और किसानों को इसी ने तकावी ऋण देना प्रारम्भ किया।
शुजाउद्दीन (1727-1739 ई.) एवं सरफराज खाँ (1739-1740 ई.)
- 1727 ईस्वी में मुर्शिद कुली खां की मृत्यु के बाद शुजाउद्दीन को 1727-1739 ई. में बंगाल का नबाब बनाया गया।
- 1739-1740 ई. में सरफराज खाँ को बंगाल का नबाब बनाया गया।
- इन दोनों के ही शासन काल में कुछ विशेष कार्य नहीं किये गये।
अलीवर्दी खाँ (1740-1756 ई.)
- 1740 में सरफराज और अलीवर्दी खां के बीच गिरिया का युद्ध हुआ जिसमें अलीवर्दी खां ने सरफराज को मार गिराया और अलीवर्दी खां बंगाल के नबाब बने।
- अलीवर्दी खाँ मुग़ल शासकों के अधीन नहीं रहे वह केवल नाममात्र मुगल शासनो के अधीन था उसने अपने शासन काल में मुगलों को कभी भी राजस्व नहीं दिया।
- अलीवर्दी खाँ ने मराठों को चौथ देना स्वीकार किया जिसमे अलीवर्दी खां ने 12 लाख रुपए वार्षिक चौथ मराठाओं को देना स्वीकार किया था।
- अलीवर्दी खाँ के शासनकाल में बंगाल सबसे अधिक समृद्ध प्रान्त था इसे ”भारत का स्वर्ग” कहा जाने लगा था।
सिराजुद्दौला (1756-1757 ई.)
- 1756 ईस्वी में अलीवर्दी खाँ के बाद उनकी बेटी के पुत्र सिराजुद्दौला को बनगाल का नबाब बनाया गया था।
- सिराज -उद-दौला का पूरा नाम का पूरा नाम मिर्जा मुहम्मद सिराज–उद-दौला था।
- अक्टूबर 1756 में मनिहारी के युद्ध में सिराजुद्दौला ने पूर्णियां (आधुनिक बिहार) के नबाब शौकत जंग को पराजित कर मार डाला था।
- 4 जून 1756 ई. को सिराज -उद-दौला ने कासिम बाजार (पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में) पर अपना अधिकार जमाया था।
20 जून 1756 ई (ब्लैक हॉल घटना)
- 20 जून 1756 ई को सिराजुदौला ने फोर्ट विलियम (अंग्रेजों की व्यापारिक कोठी) पर अपना अधिकार कार लिया और उसी रात सिराजुदौला ने 146 अंग्रेजों को 18 फुट लंबी कोठी में बंद कर दिया था अगले दिन इस कोठी से कुल 23 अंग्रेज ही जिन्दा बच सके। यह घटना ब्लैक हॉल के नाम से जानी जाती है।
- इस घटना का उल्लेख जे.जेड.हालवेल ने अपनी पुस्तक में किया था।
- कुछ इतिहासकार ब्लैक हाल जैसी घटना को झूठा बताते हैं।
- सिराजुद्दौला ने कलकत्ता का नाम बदलकर अलीनगर रखा था।
- ईस्ट इंडिया कम्पनी के कप्तान रॉबर्ट क्लाइव ने कलकत्ता के सेठ मानिक चंद्र को घूस देकर 1757 में कलकत्ता पर अपना अधिकार कर लिया था।
- 9 जनवरी 1757 ई (अलीनगर की संधि)– रॉबर्ट क्लाइव और बंगाल नवाब सिराजुद्दौला के मध्य अलीनगर की संधि हुई थी जिसके अनुसार कलकत्ता में अंग्रेजों को किले के निर्माण और सिक्के ढालने का अधिकार प्रदान किया गया था।
प्लासी का युद्ध – 23 जून 1757
- रॉबर्ट क्लाइव ने कलकत्ता के व्यापारी अमीचन्द्र की सहायता से सिराजुद्दौला के सेनापति मीर जफ़र और उसके दीवान दुर्लभ राय तथा कलकत्ता के सबसे बड़े व्यापारी जगत सेठ को अपनी ओर षड्यंत्र से मिला दिया था।
- 23 जून 1757 (प्लासी का युद्ध)- 1757 में रॉबर्ट क्लाइव और बंगाल नवाब सिराजुद्दौला के बीच प्लासी का युद्ध हुआ जिसमे सिराजुद्दौला की हार हुयी। इस युद्ध में मीर जफ़र और उसके दुर्लभ राय ने क्लाइव का साथ दिया। (प्लासी का मैदान वर्तमान समय में पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में है।)
- प्लासी के युद्ध में सिराज का साथ मीर मदान और मोहन लाल ने दिया था। इस युद्ध में अंग्रेजी सेना में लगभग 3200 और सिराजुद्दौला की सेना में 50000 सैनिक मौजूद थे।
- इस युद्ध में अंग्रेजों की जीत हुयी और सिराजुदौला इस युद्ध में मारा गया।
- प्लासी का युद्ध भारत में अंग्रेजों के शासन करने की पहली बड़ी कामयाबी थी।
मीर जाफर (1757-1760 ई.)
- प्लासी युद्ध की सफलता के बाद क्लाइव ने मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया था।
- इसी समय मुर्शिदाबाद के एक दरबारी ”हाजिर तबियत” ने मीर जाफर का नाम “रॉबर्ट क्लाइव का गधा” रख दिया था।
- अंग्रेजों द्वारा इसी के समय बांटों और राज करो नीति की शुरुआत की गयी थी।
- 1760 में जफ़र के समय ईस्ट इन्डिया कम्पनी का गवर्नर वेंसिटार्ट को बनाया गया था।
- सितम्बर 1760 में ईस्ट इन्डिया कम्पनी के गवर्नर वेंसिटार्ट और मीर कासिम के बीच एक समझौता हुआ जिसके अनुसार कासिम को बंगाल का नया नवाब बनाये जाने का प्रस्ताव कुछ शर्तों के साथ रखा गया था।
मीरकासिम (1760-1763 ई.)
- मीर कासिम मीर जाफर का दामाद था।
- अक्टूबर 1760 में गवर्नर वेंसिटार्ट अपनी सेना को लेकर मुर्शिदाबाद पहुंचे और जाफर के स्थान पर उसने मीर कासिम को बंगाल का नया नवाब नियुक्त किया।
- मीर जाफर को 15000 रुपए के मासिक पेंशन पर मुर्शिदाबाद से कलकत्ता भेजा गया।
- मीर कासिम ने नवाब बनने के बाद सबसे पहले अपनी सेना का पुनर्गठन किया और इसके लिए एक जर्मन अधिकारी समरू को नियुक्त किया।
- मीर कासिम द्वारा अपनी राजधानी को मुर्शिदाबाद से मुंगेर लाया गया था।
- मेरे कासिम ने बंगाल की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए नए नए कर लगाए और पुराने करों में वृद्धि की।
- जून 1763 में मीर कासिम के आदेश पर पटना में एक जर्मन अधिकारी समरू ने कासिम के विरोधी एलिस ,राम नारायण ,जगत सेठ ,उम्मीद राय, राज बल्लभ आदि की हत्या की थी। इस घटना को इतिहास में पटना हत्याकांड के नाम से जाना जाता है।
- इस घटना के बाद अंग्रेजों ने मीर कासिम को नवाब पद से हटाकर मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया था।
मीर जाफर (1763-1765 ई.) (दूसरी बार बंगाल का नवाब )
- जुलाई 1763 में मीर जाफर को दुबारा से बंगाल का नवाब घोषित किया गया। और नन्द कुमार को मीर जाफर का मंत्री बनाया गया।
- इसी समय मीर जाफर ने अंग्रेजों को बंगाल में व्यापार करने में विशेष छूट दी थी।
- 1764 में मीर कासिम ने बंगाल का नवाब बनाने के लिए एक बार फिर से प्रयास किया उसने अवध के नवाब शुज़ा उद दौला और मुगल शासक शाहआलम द्वितीय के साथ मिलकर एक संयुक्त सेना का निर्माण किया।
बक्सर का युद्ध – 22 /23 अक्टूबर 1764
- अक्टूबर 1764 में मीर कासिम ,शुज़ा उद दौला और मुग़ल शासक शाहआलम द्वितीय के की संयुक्त सेना ने बक्सर के मैदान में अपना डेरा जमाया था।
- 22/23 अक्टूबर 1764 में बक्सर का युद्ध मीर कासिम ,शुज़ा उद दौला और मुग़ल शासक शाहआलम द्वितीय के की संयुक्त सेना और अंग्रेजी सेना के बीच हुआ था। इस युद्ध में अंग्रेजों की जीत हुई।
- अंग्रेजी सेना का नेतृत्व हेक्टर मुनरो ने किया अंग्रेजों की सेना में मीर जाफर की सेना भी शामिल थी।
- इस युद्ध में अंग्रेजों की जीत के बाद अवध के नवाब शुज़ा उद दौला और मुग़ल शासक शाहआलम द्वितीय ने आत्मसमर्पण कर दिया और कासिम अपनी जान बचाकर दिल्ली चला गया।
- बक्शर युद्ध के बाद भारत में वास्तविक रूप से अंग्रेजों की सत्ता स्थापित होनी प्रारम्भ हुयी थी। क्यूंकि अब अंगेजों के सामने बंगाल में कोई प्रतिद्वंदी नहीं था।
Bengal history in Hindi
बंगाल एक ऐसा प्रांत था जहाँ पर हर शासक अपना अधिकार जमाना चाहता था। एक ऐसा प्रान्त जो कृषि युक्त भूमि से समृद्ध होने के साथ -साथ भौगोलिक स्थिति के हिसाब से भी काफी समृद्ध था। भारत में सिकंदर के आक्रमण के समय बंगाल में गंगारिदयी नाम का साम्राज्य था।
गंगारिदयी साम्राज्य के बाद इस प्रान्त में पाल वंश ने 400 वर्षों तक राज किया। पाल वंश के बाद यहाँ सेन राजवंश ने अपना अधिकार जमाया था जिसके बाद इस राजवंश को दिल्ली मुस्लिम शासकों द्वारा पराजित किया गया। 16 वीं शताब्दी में मुगल शासकों ने अपना शासन स्थापित किया।
बंगाल में 10 हिन्दू शासकों ने शासन किया जो इस प्रकार से है –
- पाल वंश
- सेन वंश
- इलियास वंश (प्रथम पर्व)
- बायाजिद वंश
- गणेश वंश
- इलियास वंश (द्बितीय पर्व)
- हाबसि वंश
- हुसेन वंश
- शूर वंश
- कररानि वंश
हिन्दू शासकों के बाद बंगाल में इन नवाबों का शासन रहा –
- मुर्शिदकुलि जाफर खान
- सुजाउद्दिन
- सरफराज खान
- अलीबर्दी खान
- सिराजुद्दौला
- मीर जाफर
- मीर कासिम
- मीर जाफर (द्बितीय बार)
- नाजम उद दौला
- सइफ उद दौला
1757 में हुए प्लासी का युद्ध अंग्रेजों के लिए वरदान साबित हुआ। 1757 के इस युद्ध में अंग्रेजों ने बंगाल में अपनी धाक जमाई थी। सन्न 1905 में अंग्रेजों ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए बंगाल का विभाजन किया। इसके 6 वर्ष बाद जनता का आक्रोश देखते हुए फिर से 1911 में बंगाल को एक कर दिया गया।
1947 में भारत आजाद हुआ जिसके बाद देशी रियासतों के विलय का कार्य किया गया। राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 की सिफारिस पर पडोसी राज्यों के बांग्लाभाषी क्षेत्रों को पश्चिम बंगाल (west bengal) में समायोजित कर दिया गया।
1947 में आजाद भारत के मुस्लिम प्रधान क्षेत्र जो की बंगाल का पूर्वी हिस्सा था उसे बांग्लादेश बना दिया गया और शेष बंगाल के पश्चिमी भाग जहाँ हिन्दू आबादी अधिक थी उसे भारत का हिस्सा बना दिया गया।
बंगाल के नवाबों का इतिहास (1713-1765) से सम्बंधित प्रश्नोत्तर –
1905 में बंगाल का विभाजन किया गया था।
बक्सर का युद्ध मीर कासिम ,शुज़ा उद दौला और मुग़ल शासक शाहआलम द्वितीय की संयुक्त सेना औरअंग्रेजी सेना के बीच हुआ था।
22 -23 अक्टूबर 1764 को बक्सर का युद्ध हुआ था।
23 जून 1757 प्लासी का युद्ध रॉबर्ट क्लाइव और बंगाल नवाब सिराजुद्दौला के बीचहुआ जिसमें सिराजुद्दौला की हार हुयी।