इस्लाम में रमजान (Ramadan) का महीना सबसे पवित्र महीना माना जाता है। Ramadan का महीना 29 या 30 दिन का होता है। सभी मुस्लिम देशों में रमजान का काफी महत्त्व है इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा (उपवास) रखते हैं। हिन्दू धर्म में जिस तरह से नवरात्रियों में 9 दिनों के उपवास का महत्त्व है उसी प्रकार मुस्लिम धर्म में रमजान काफी पवित्र त्यौहार माना गया है। रमजान को मुस्लिम धर्म में नेकी का मौसम भी कहा जाता है। मुस्लिम लोग इस दिन अपने अल्लाह की इबादत करते हैं और नेकी के कार्य करते हैं। रमजान महीना हिलाल (वर्धमान चाँद) को देखकर शुरू किया जाता है। एक महीने तक चलने वाले उपवास रमजान क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्त्व है?
सभी के बारे में आज के लेख में आप जान पाएंगे। रमजान का इतिहास (Ramadan History in hindi) जानने के लिए लेख को अंत तक पढ़ें।
हिंदी कैलेंडर अप्रैल 2023 [चैत्र – वैशाख] 2080
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रमजान क्यों मनाया जाता है?
सभी मुस्लिम देशों में रमजान एक बड़ा त्यौहार होने के साथ साथ मुस्लिमों का पवित्र महीना है। इस्लाम कैलेंडर में 12 महीनों में से पहला महीना मुहर्रम (muharram) है और 12 वां महीना जु अल-हज्जा है। रमजान इस्लामी पंचांग का नौवां महीना है। रमजान को रमदान भी कहा जाता है। मुस्लिम समुदाय में इस महीने को सभी महीनों में से सबसे पवित्र मानागया है। इस पवित्र माह रमजान में मुस्लिम समुदाय उपवास रखता हैए और अल्लाह की इबादत करता है।
इस्लाम धर्म में 5 बुनियादी स्तम्भ हैं जिसमें से रमजान एक है। रमजान (Ramadan) इस्लामी कैलेंडर का 9 वां महीना है इसी महीने की 27 वीं रात को शब् -ए -कद्र के दिन कुरआन का अवतरण हुआ था। कुरान इस्लाम का सबसे पवित्र ग्रंथ है। कुरान में हर मुस्लिम के लिए रोजा अनिवार्य किया गया है। Ramjan का महीना मुस्लिमों के लिए वर्षभर का मार्ग दर्शन करने वाला पाक महीना है।
इस्लाम के 5 बुनियादी स्तम्भ
मुस्लिम धर्म में पांच बुनियादी स्तम्भ में से एक रमजान है। मुस्लिम रमजान के पाक महीने में रोजा (उपवास) रखते हैं। islam के 5 मूल स्तम्भ निम्नलिखित हैं –
- सोम (उपवास)
- जकात (दान या कर) और सदका (दान धर्म ,स्वेछिक दान,परोपकार)
- तरावीह (प्राथना करना) – रमजान के महीने में विशेषकर सुन्नी मुसलमानो द्वारा रात में की जाने वाली अतिरिक्त नमाज (प्रार्थना) है।
- कुरान का परायण -कुरान इस्लाम की पवित्र किताब है जिसे अल्लाह ने अपने फरिश्ते जिब्राइल अलैहिस्सलाम द्वारा पैगम्बर मुहम्मद साहब को सिनाई थी।
- नेक काम करना ,बुरे कार्यों से दूर रहना ,उदार रहना।
क्या है रमजान का महत्व (importance of Ramadan)
इस्लाम कैलेंडर में रमजान 9 वां महीना है। मुस्लिमों के सबसे पवित्र ग्रन्थ माने जाने वाला कुरआन रमजान माह की 27 वीं रात शब्-ए कद्र को अवतरित हुआ था। Ramadan के दिन मुस्लिम तरावीह की नमाज पढ़ने ,कुरान पढ़ने और समाज की उन्नति के लिए अल्लाह की इबादत करते हैं। रमजान का महीना पवित्र महीना है जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग अधिक से अधिक दान -पुण्य का कार्य करते हैं और जरूरतमंद व्यक्तियों की सहायता करते हैं। रमजान की पहली और अंतिम तारीख को इस्लामी कैलेंडर (हिजरी कालदर्शक) द्वारा निर्धारित किया जाता है। मुस्लिमों के रमजान माह का आरम्भ हिलाल (चाँद) देखकर शुरू किया जाता है।
Ramadan की विशेषताएं
- इस महीने उपवास रखा जाता है।
- मुस्लिम धर्म के लोगों द्वारा दैनिक रमजान में सूर्यास्त होने पर अपने उपवास को समाप्त किया जाता है।
- और अल्लाह से समाज के कल्याण के लिए सामूहिक रूप से नमाज अदा की जाती है।
- रमजान (Ramadan) के महीना 29 या कभी कभी 30 दिन का होता है।
- रात में तरावीह की नमाज अदा की जाती है।
- कुरान तिलावत की जाती है।
- सभी मुस्लिम लोग अल्लाह से उन्नति और कल्याण के लिए दुआ करते हैं और मौन व्रत रखते हैं।
- जकात (दान) देना
- अल्लाह को सुक्रिया अदा करना।
- रमजान के महीने के गुजरने के बाद शव्वाल (दसवें महीने)की पहली तारिख को ईद उल फितर मनाया जाता है।
रमजान का इतिहास (Ramadan History in hindi)
इस्लाम मान्यता के अनुसार रमजान के महीने में ही अल्लाह ने पैगम्बर मोहम्मद साहब को आसमानी किताब कुरान की आयतों को सुनाया था। उसी समय से इस्लाम द्वारा इस्लामिक कैलेंडर के नौवें महीने रमजान को पवित्र महीना माना गया है। यह महीना इसलिए भी खास है क्यूंकि यह सभी मुस्लिमों को नेकी की राह में चलने की प्रेरणा देता है। रमजान (Ramadan) में खुदा की इबादत की जाती है और इस माह के पुरे 30 दिनों तक रोजा (उपवास) रखा जाता है।
पाक माह रमदान के 3 अशरे (भाग)
Ramadan या रमजान के 30 दिनों को 3 भागों में बांटा गया है जिनका विशेष महत्त्व है जो इस प्रकार से हैं –रेहमत ,बरकत ,मगफिरत।
- रेहमत – रमजान (Ramadan) महीने के पहले 10 दिन रेहमत के होते हैं इन दिनों अल्लाह की इबादत की जाती है और नमाज पढ़ी जाती है। इन दस दिन में दान -पुण्य भी किया जाता है।
- बरकत – रमदान के दूसरे भाग में 10 दिन बरकत के होते हैं। इन 10 दिनों में अनजानें में की गयी अपनी गलतियों के लिए अल्लाह से माफी मांगी जाती है और नेक भले इंसान को बरकत देने की प्रार्थना की जाती है।
- मगफिरत -आखिरी 10 दिन में खुदा से अपने पापों से मुफ़्ती मिलने और अल्लाह की पनाह मिलने के लिए प्रार्थना की जाती है।
रमजान में रोजा (fasting in ramadan)
इस्लामिक कैलेंडर चन्द्रमा के विभिन्न चरणों के मासिक चक्रों का अनुसरण करता है। इस्लाम में चंद्र माह का आरम्भ नवजात अर्धचंद्र के बढ़ने के साथ शुरू होता है। रमजान की पहली और आखिरी तिथि को इस्लामी कैलेंडर द्वारा निर्धारित किया जाता है। रमजान हिलाल (बढ़ते हुए चाँद) को देखकर शुरू किया जाता है।
इस महीने मुस्लिम समुदाय के लोग उपवास के दिन सूर्योदय होने से पहले कुछ खा लेते हैं जिसे सहरी कहा जाता है इसके बाद पूरे दिन कुछ नहीं खाते यहाँ तक पानी भी नहीं पीते हैं। शाम को सूर्य अस्त के बाद रोजा खोला जाता है और कुछ खाया जाता है जिसे इफ्तारी कहा जाता है।
रमजान क्यों मनाया जाता है? से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)-
इस्लामिक कैलेंडर के 12 महीनों में से 9 वें महीने को सबसे पाक /पवित्र माना गया है। रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना है इस महीने में मुस्लिम उपवास रखते हैं जिसे रोजा कहा जाता है।
हर साल रमजान इस्लामिक पंचांग के अनुसार नौवें महीने में पड़ता है यह 29 या 30 दिन का होता हैं। यह चंद्र कैलेंडर पर आधारित है। रमदान की तिथि निश्चित नहीं है हर साल यह बदल सकती है।
हर साल मुस्लिम लोग रमजान के पवित्र माह में 29 या 30 दिन पुरे माह रोजा रखते हैं।
मुस्लिम समुदाय द्वारा शव्वाल की पहली तारीख को ईद -उल फितर (Eid-ul-Fitr) मनाया जाता है।
शब् -ए कद्र या लैलतुक कद्र मुस्लिम समुदाय के पवित्र महीने रमजान की एक शुभ रात है। यह इसलिए शुभ मानी गयी है क्यूंकि मुस्लिम मान्यतानुसार इसी रात पृथ्वी पर जिब्रील जिबरील नाम के फ़रिश्ते द्वारा पैगम्बर मुहम्मद पर कुरान की आयतों का अवतरण किया गया था।
रोजा इस्लाम में उपवास को कहा जाता है। रोजा फ़ारसी शब्द से आया है जिसका मतलब होता है -रोज ,दैनिक। मुस्लिम में रोजा के समय दिन में कुछ नहीं खाया जाता न ही पानी या कोई अन्य तरल पिया जाता है।
इस्लामी कैलेंडर में 12 महीने होते हैं। मुसलमानों का पहला महीना मुहर्रम ,दूसरा सफर ,तीसरा रबी अल-अव्वल,चौथा महीना रबी अल-थानी,पांचवा जमाद अल-अव्वल,छठवां जमाद अल-थानी,सातवां रज्जब ,आठवां शआबान,नौवां रमजा़न, दसवां शव्वाल, ग्यारवां ज़ु अल-क़ादा और अंतिम और बारहवां महीना ज़ु अल-हज्जा होता है।