हर साल मुख्य रूप से दो नवरात्रियाँ पड़ती हैं। हिन्दू धर्म में ऋतुओं और महीनों के नाम पर नवरात्रियों का नाम रखा गया है जिसमें से चैत्र नवरात्री (बसंत) में मनाई जाती है। चैत्र माह हिन्दुओं का नए साल का पहला महीना होता है इसी महीने की शुरुआत से माँ दुर्गा के 9 रूप की भी पूजा की जाती है। हर दिन माँ के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है और मन्त्र उच्चारण किया जाता है। नवरात्री में माता शक्ति की पूजा विशेष फलदायी होती है। सभी 9 रूपों की पूजा विधि अलग-अलग है और माँ दुर्गा के सभी अवतारों के पीछे विशेष कथा है। माँ दुर्गा के नौ रूपों के नाम (Navratri 9 Devi Names (Nav Roop) क्या है आज हम आपको सभी रूपों के नाम और उनकी महिमा के बारे में बताएंगे।
हिंदी कैलेंडर अप्रैल [चैत्र – वैशाख]
Table of Contents
माँ दुर्गा के नौ रूपों के नाम (Nav Roop) in hindi
- मां शैलपुत्री (Shailputri)
- मां ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini)
- चंद्रघण्टा देवी (Chandraghanta Devi)
- कूष्मांडा माता (Kushmanda Mata)
- स्कंदमाता (skandamata)
- कात्यायनी माता (Katyayani Mata)
- कालरात्रि माता (Kalaratri Mata)
- महागौरी माता (Mahagauri Mata)
- सिद्धिदात्री माता (Mata Siddhidatri)
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दुर्गा सप्तशती ग्रन्थ में नवदुर्गा के नाम
हिन्दुओं के धार्मिक ग्रन्थ दुर्गा सप्तशती के अंतर्गत देवी कवच स्त्रोत में निम्नलिखित श्लोक में माँ दुर्गा के नौ रूपों के नाम इस प्रकार दिए गए हैं। –
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।
माँ दुर्गा के नौ रूपों के नाम (Maa Durga Nav Roop) और उनकी सवारी
स्वरुप | 9 Devi Names (नवदुर्गा) (माता के 9 रूप) | माता की सवारी /वाहन |
प्रथम स्वरूप | मां शैलपुत्री (Shailputri) – पर्वत की पुत्री (शैल -पर्वत ,पुत्री -बेटी) | नंदी (बैल) |
द्वितीय स्वरूप | ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini) – तपस्या और भक्ति की माँ | कोई नहीं |
तृतीय स्वरूप | चंद्रघण्टा देवी (Chandraghanta Devi)- राक्षसों/असुरों का नाश करने वाली | चीता |
चतुर्थ स्वरूप | कूष्मांडा माता (Kushmanda Mata) – ब्रह्मांड की देवी | सिंह |
पंचम स्वरूप | स्कंदमाता (skandamata) – मातृत्व और बच्चों की देवी (इन्हें पद्मासना देवी भी कहा) | शेर |
षष्ठम स्वरूप | कात्यायनी माता (Katyayani Mata) – शक्ति की देवी | सिंह |
सप्तम स्वरूप | कालरात्रि माता (Kalaratri Mata) – साहस और शुभता की देवी (इनका एक नाम शुभंकारी भी है) | गधा |
अष्ठम स्वरूप | महागौरी माता (Mahagauri Mata) – सुंदरता और महिलाओं की देवी (इनकी आयु 8 वर्ष मिनी गयी है) | बैल |
नवम स्वरूप | सिद्धिदात्री माता (Mata Siddhidatri) – ”शक्ति और सिद्धियों की देवी’ | कमल का फूल |
माँ दुर्गा के नौ रूपों के नाम
हिन्दू धर्म में चैत्र नवरात्री का विशेष महत्त्व है। माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों की अपनी विशेषता है। Navratri me mata durga के 9 अवतार माता शक्ति का परिचय देती हैं –
- माता रानी के नौ दिनों में प्रथम दिन (first day of Navratri) माता शैलपुत्री (shailputri mata) को समर्पित है।नौ रूपों में पहला रूप शैलपुत्री है।
- Maa durga का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini)
- तीसरा रूप चंद्रघण्टा देवी (Chandraghanta)
- चौथा रूप कूष्मांडा माता (Kushmanda Mata) ,
- देवी माँ दुर्गा का पांचवा रूप स्कंदमाता (skandamata),
- छठा रूप कात्यायनी माता (Katyayani Mata) का है।
- durga mata का सातवां रूप कालरात्रि माता (Kalaratri Mata)
- आठवां रूप महागौरी माता (Mahagauri Mata),
- माँ दुर्गा का अंतिम और नवां स्वरुप सिद्धिदात्री (Mata Siddhidatri) है।
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1. शैलपुत्री (Shailputri)
शैलपुत्री (Shailputri mantra) – ॐ देवि शैलपुत्र्यै नमः॥
देवी दुर्गा के नवरूपों में से प्रथम रूप माँ शैलपुत्री (Shailputri) का है। नवरात्री में पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। शैलपुत्री का नाम संस्कृत के शैल से लिया गया है। शैल का हिंदी में अर्थ होता है पहाड़ और पुत्री का अर्थ है बेटी। माता शैलपुत्री को सती भवानी, माँ पार्वती, हेमावती के नाम से भी जाना जाता है। अपने पूर्व जन्म में माता शैलपुत्री राजा दक्ष की पुत्री बनी थी उस समय माता सती नाम से जानी गयी थी। माता शैलपुत्री का वाहन नंदी है। उनके माथे पर अर्थचन्द्र और दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है। माता लाल गुलाबी वस्त्र धारण करती हैं।
माता शैलपुत्री (Shailputri) के अन्य नाम –
- वृषारूढ़ा
- सती
- माँ पार्वती
- हेमावती
2. ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini)
माता ब्रह्मचारिणी (mata Brahmacharini mantra)- ॐ देवि ब्रह्मचारिण्यै नम:।
Devi Names (Nav Roop) दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini) है। नवरात्री के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी को तपस्या और भक्ति की देवी के कहा जाता है। ब्रह्मचारिणी के ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। इसी प्रकार माता ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का आचरण करने वाली देवी। माता ने भगवन शंकर को पति स्वरुप प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी इसी कारण माता को तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है। माता के आभूषण रुद्राक्ष के बने है और उनके हाथों में माला और पानी का पात्र है।
3. चंद्रघण्टा देवी (Chandraghanta Devi)
माता चंद्रघण्टा (mata Chandraghanta mantra) – ॐ देवी चंद्रघंटायै नम:
माता दुर्गा का तीसरा अवतार चंद्रघण्टा देवी (Chandraghanta Devi) है। नवरात्री के तीसरे दिन चंद्रघण्टा देवी की पूजा की जाती है। इनका वाहन चीता है। माता के माथे पर आधा चाँद के आकर का तिलक लगा है इसी कारण माता को चंद्रघण्टा नाम से जाना जाता है। चण्डघण्टा देवी असुरों के नाश करने वाली देवी हैं।
4. कूष्मांडा माता (Kushmanda Mata)
माता कूष्मांडा (mata Kushmanda mantra) – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्माण्डायै नम:।
देवी कूष्मांडा माता (Kushmanda Mata) को ब्रह्माण्ड की देवी कहा जाता है। कूष्माण्डा का अर्थ है गोलाकार। ‘कू’ का अर्थ है छोटा, ‘ष् ’ का अर्थ है -ऊर्जा और ‘अंडा’ का अर्थ है ब्रह्मांडीय गोला। इस प्रकार माता कुष्मांडा को गोलाकार ब्रह्माण्ड की देवी कहा गया है। माता के आठ हाथ हैं जिसमें से 6 हाथों में चक्र,धनुष ,बाण ,तलवार ,माला है और दो अन्य हाथों में शहद और पानी का पात्र है। माता का वाहन शेर है।
5. स्कंदमाता (skandamata)
माता स्कंदमाता (mata skandamata mantra) – ॐ देवी स्कंदमतै नमः
देवी स्कंदमाता (skandamata) को बच्चों और मातृत्व की देवी माना गया है। माता शेर पर सवार हैं। माता के 4 हाथ हैं जिसमें से उनके दो हाथ में कमल का पुष्प और तीसरे हाथ में उनका पुत्र कार्तिकेय है। माता सिंह की पीठ पर विराजमान हैं। स्कन्द कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण माता स्कंदमाता नाम से जानी जाती हैं। भगवन स्कन्द माता की गोद में बाल रूप में विराजित हैं।
6. कात्यायनी माता (Katyayani Mata)
माता कात्यायनी (mata Katyayani mantra) – ॐ देवी कात्यायन्यै नम:।
देवी कात्यायनी को नवदुर्गा का षष्ठम स्वरुप माना गया है। माता हरे गुलाबी वस्त्रों को धारण किये हुए है। उनके चारों हाथों में तलवा, ढाल, कमल, त्रिशूल हैं। माता शेर पर सवार है। माता कात्यायनी अमरकोष में पार्वती माता के लिए दूसरा नाम है। माता Katyayani के अन्य नाम उमा, कात्यायनी, काली, गौरी, हेेमावती और ईश्वरी है। महिषासुर के वध के लिए महर्षि कात्यायन के यहाँ माता ने अश्विन कृष्ण चतुर्दशी को पुत्री रूप में जन्म लिया था। महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप में जन्मी माता का नाम उनके नाम पर रखा गया।
7. कालरात्रि माता (Kalaratri Mata)
कालरात्रि माता (Kalaratri Mata mantra) – ॐ देवी कालरात्रियै नम:
देवी दुर्गा के 9 रूपों में से सातवां रूप माँ कालरात्रि का है। माँ कालरात्रि को साहस की देवी कहा जाता है। माता की तीन नेत्र हैं बाल बिखरे हुए और शरीर में खोपड़ियों की माला है। माता के चार हाथों में से एक हाथ में त्रिशूल ,वज्र ,कैंची और एक हाथ में रक्त का प्याला है। माता का वहां गधा है। माता कालरात्रि का यह स्वरुप अत्यधिक भयानक है। माता की पूजा विशेष रूप से सिद्धियों को प्रपात करने के लिए की जाती है।
8. महागौरी माता (Mahagauri Mata)
महागौरी माता (Mahagauri Mata mantra) – ॐ देवि महागौरी नम:
माता का यह स्वरुप सौन्दर्य और महिलाओं से सम्बंधित है। माता अपने वहां सफ़ेद बैल पर विराजमान हैं। देवी शक्ति माँ दुर्गा महागौरी के हाथों में त्रिशल, मिनी ड्रम, और कमल का फूल है। दुर्गा पूजा के आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है। माता का यह स्वरुप काफी आकर्षित है। माता की आयु 8 वर्ष मानी गयी है। इनके सभी वस्त्र और आभूषण सफेद रंग के हैं, माता को इसी कारण श्वेताम्बरधरा भी कहा गया है।
9. सिद्धिदात्री माता (Mata Siddhidatri)
सिद्धिदात्री माता (Siddhidatri Mata mantra) – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नम:।
माँ भवानी शक्ति स्वरुप दुर्गा का नवां रूप सिद्धिदात्री है। माता को सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी माना गया है। नवरात्री के 9 वें दिन सिद्धिदात्री माता की पूजा की जाती है। माता के दाहिनी हाथ में चक्र ,ऊपर वाले हस्त में गदा ,बायीं हाथ में शंख और कमल है। माता सिंह पर विराजमान है।
माँ दुर्गा के नौ रूपों के नाम से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)-
नवदुर्गा माँ भगवती के Devi Names (Nav Roop) इस प्रकार हैं –शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी ,चंद्रघंटा ,कुष्मुण्डा,स्कंदमाता ,कात्यायनी,कालरात्रि ,महागौरी ,सिद्धिधात्री।
माता दुर्गा के अस्त्र -त्रिशूल,धनुष -बाण,चक्र,गदा और कमल,अभय,अग्नि,भाला,माल,परशु,भाला,वज्र,कमण्डल,रस्सी आदि हैं।
maa durga की सवारी बाघ,बेल,शेर,गधा,पुष्प (कमल पुष्प) है।