राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम को सरकार ने देश के नागरिकों को कुपोषण मुक्त करने के लिए शुरू किया है। देश के कई राज्यों में गरीबी के चलते लोगों को पर्यात मात्रा में भोजन नहीं मिल पाता। ऐसे परिवार में किसी गर्भवती महिला के साथ शिशु पर भी उसका असर होता है। आज देश में लगभग हर तीसरा बच्चा कुपोषित है। देश की परिस्थितियों को देख कर सरकार ने National Nutrition Programme-2023 को शुरू किया है इसके जिसके माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाएगा और गरीब परिवारों तक पोषण से भरपूर पौष्टिक आहार पहुंचाया जायेगा व उनके स्वास्थ्य सम्बन्धी जांच की जायेगी। राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम–2023 सम्बन्धित अधिक जानकारी
जैसे – राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम के माध्यम से उम्मीदवारों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं व इस प्रोग्राम को कौन-कौन से राज्यों में शुरू किया गया है आदि आर्टिकल में दिया जा रहा है। पूरी जानकारियों के लिए उम्मीदवार दिए गए लेख को पढ़ें।
Table of Contents
राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम (National Nutrition Programmes)
नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे के हिसाब से देश में सबसे ज्यादा कुपोषण का शिकार बिहार राज्य में है, जहां सर्वे से पता चला है की 48.3 बच्चे कुपोषित है जिन्हे ढंग से खाना तक नहीं मिल पाता। ICDS-CAS(कॉमन एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर) मोबाइल एप्लीकेशन पर ग्रोथ चार्ट के ऑटोप्लेटिंग की मदद से बच्चों की शारीरिक विकास का पता लगता है। वह बच्चे जिनकी उम्र 0-5 साल है उनका वजन नापा जाता है। आंगनवाड़ियों में बच्चों की ऊँचाई मापी जाती है और इन सब का रिकॉर्ड CAS एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में रिकॉर्ड किया जाता है। राष्ट्रीय पोषण अभियान को कई राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में रह रही महिलाओं और बच्चों के कल्याण हेतु शुरू किया जा रहा है।
आर्टिकल | National Nutrition Programmes in India state wise |
कार्यक्रम का नाम | राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम |
लाभार्थी | देश के महिलाये व बच्चे |
उद्देश्य | देश के बच्चों व गर्भवती महिलाओं को कुपोषित होने से बचाना |
पोषण संबंधी कार्यक्रम
NITI Aayog द्वारा तैयार एक प्लान बनाया गया है जिसमे 2023 तक “कुपोषित मुक्त भारत” या कुपोषण मुक्त भारत का लक्ष्य रखा गया है। केंद्र सरकार द्वारा देश के बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के लिए तमाम कोशिशे जारी की गयी है। कुपोषित मुक्त भारत का नाम सरकार ने बदल कर National Nutrition Programme रख दिया है। सरकार ने कुपोषण के मामले को पहली प्राथमिकता दी है और देश से कुपोषण को मिटने के लिए सरकार गंभीर रूप से प्रयास कर रही है। हर साल की तरह 1 से 7 सितम्बर तक नुट्रिशन सप्ताह मनाया जाता है। राष्ट्रीय कुपोषण अभियान की शुरुवात 2018 में की गयी इसके अंतर्गत देश के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषण संबंधी परिणामों को और अधिक सुधार करना है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में बजट को लेकर साल 2020-21 और 2021-22 के लिए पोषण सामग्री परिणाम को और मजबूत करने के लिए पोषण कार्यक्रम और पोषण अभियान को मिलाने का फैसला किया है। नयी योजना को मिशन 2.0 का नाम दिया गया है। अपने दूसरे केंद्रीय बजट में financial year 2020-21 के लिए पोषण संबंधी कार्यक्रमों को और अधिक बढ़ावा देने के लिए 35,600 करोड़ देने का एलान किया है और साल 2021-22 के लिए आंगनवाड़ी और पोशन 2.0 का कुल बजट का अनुमान 20,105 करोड़ रुपये है।
राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम के अंतर्गत विभाग
राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम के अंतर्गत कौन कौन से विभाग हैं जिनके माध्यम से National Nutrition Programmes को बढ़ावा दिया जाता है उनकी सूची लेख में नीचे दी जा रही है। इन केंद्रों में पोषण अभियान चलाया जा रहा है जिसके माध्यम से महिलाओ, लड़कियों, बच्चों को खाने के आहार दिए जा रहे है जिससे उनके शारीरिक विकास में वृद्धि हो पाए।
- आगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
- आशा, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र
- सामुदायिक केंद्रों में
- सहायता समहू के माध्यम से राष्ट्रीय पोषण अभियान
National Nutrition Programmes का उद्देश्य
National Nutrition Programmes का उद्देश्य देश के बच्चों को कुपोषण से मुक्त करना है। इस प्रोग्राम के माध्यम से लोगो को कुपोषण को लेकर जागरूक किया जा सकता है। इस मिशन द्वारा स्टंटिंग (सही तरह से विकसित नहीं हो पाना), अल्पपोषण (आधा पेट खाना खिलाना), एनीमिया (खून की कमी जो की छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोर लड़कियों के बीच पायी जाती है), और कम वजन के बच्चों को अभियान के जरिये उनके विकास हेतु सहायता प्रदान करना ही इसका उद्देश्य है ताकि कोई भी बच्चा कुपोषण का शिकार न बने। इसके साथ प्रोग्राम के माध्यम से गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को मेडिकल समस्या के साथ मेडिकल सेंटर में भेजा जाता है, ताकि वह उनकी अच्छे से देखभाल की जा सके।
[फॉर्म] निक्षय पोषण योजना 2023
National Nutrition Programmes के मुख्य लाभ
राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम के माध्यम से देश के बच्चों पर क्या असर पड़ता है व उन्हें कौन-कौन से लाभ प्राप्त होते हैं उसकी जानकारी लेख में नीचे दी जा रही हैं।
- राष्ट्रीय परिषद् में अब तक पोषण अभियान की 3 बैठक की जा चुकी है। जिसमे इन मुद्दों को मुख्या रूप से शामिल किया गया जिसके तहत कुपोषण को पूरी तरह मिटाया जा सके।
- साल 2020 तक सभी राज्यों/ संग राज्यों क्षेत्रों और 718 जिलों को कुपोषण रहित बनाना।
- 315 जिलों और 268 अतिरिक्त जिलों को पोषण अभियान हेतु जागरूक करना।
- बच्चे के जन्म के पहले 1000 दिनों के दौरान किये जाने वाले रहत पैकेज को प्रदान करवाना।
पोषण अभियान किन-किन लोगो के लिए जारी किया गया है?
गर्भवती महिला | धात्री महिला (बच्चे की माँ के बाद जो पालनहार स्त्री होती है उसे धात्री या धाय कहा जाता है) |
किशोरियां | छोटे बच्चे |
The National Nutrition Mission is a landmark initiative that seeks to reduce under-nutrition and low birth weight, bring down anaemia among young children, women and adolescent girls and to reduce the prevalence of stunting among children.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 7, 2018
राष्ट्रीय पोषण अभियान अंतर्गत सेवाएं
आंगनबाड़ी सेवाएं
आगनबाड़ी सेवाओं का उद्देश्य वह बच्चे जिनकी उम्र 0-6 साल, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओँ के स्वास्थ्य एवं सही पोषण में सुधार लाने का कार्य इसका लक्ष्य है। इस योजना द्वारा 6 तरह की सेवाएं उपलब्ध कराई गई है। जिनमे पूरी तरह से आहार प्रदान करना, अनौपचारिक शिक्षा (informative education),पोषाहार एवं स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करना, टीकाकरण, स्वास्थ्य सम्बन्धी जांच एवं रेफरल सेवाएं उपलब्ध की गयी है। कई तरह की खाने की चीजें इसके अंतर्गत लाभार्थियो को प्रति महीने दी जाती है। जिससे उनका शारीरिक विकास और अच्छे से हो पाए।
आंगनबाडी से मिलने पौष्टिक आहार:
गर्भवती महिला एवं धात्री महिला | गेहूं सोया बर्फी, आटा बेसन लड्डू, खिचड़ी |
6 महीने से 3 साल के बच्चों | हलुआ(प्रीमिक्स), बाल आहार, खिचड़ी |
3 साल से 6 साल के बच्चे को | मीठी लाप्सी, पौष्टिक खिचड़ी, नमकीन दलिया, उपमा, |
11 से 14 साल की किशोरी बालिका | गेहूं सोया बर्फी, खिचड़ी |
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
इस योजना के तहत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिला व माताओं को ₹6000 की आर्थिक सहायता राशि प्रदान की जाती है। यह सहायता राशि सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है ताकि गर्भावस्था के समय महिलाओँ को अपने बच्चे के समय अपना और ध्यान रख सके।
किशोरी बालिका योजना (SAG):
स्कीम फॉर एडोलसेंट गर्ल्स यानि देश की किशोरी बालिका के हित में इस योजना को शुरू करवाया गया है। यह योजना महिला एवं विकास विभाग द्वारा चलायी गयी है। वह बालिका जिनकी उम्र 11-14 है। इस योजना के अंतर्गत लड़कियों को 450 ग्राम घी महीने में दिया जायेगा। किशोरियों में आत्म विकास बढ़ाया जाएगा, उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास किया जायेगा, पोषण एवं स्वास्थ्य स्तर में सुधार किया जाएगा और उन्हें औपचारिक, अनौपचारिक शिक्षा देने के अलावा कुशल बनाकर आत्म निर्भर बनाया जाएगा
वर्तमान में चल रही राष्ट्रीय पोषण अभियान कार्यक्रम
देश में कुपोषण को मिटाने के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रम की शुरुवात की गयी है सभी कार्यक्रम की जानकारी लेख में नीचे दी जा रही है।
- एकीकृत बाल विकास योजना(INTEGRATED CHILD DEVELOPMENT SCHEME): योजना के अन्तर्गत 6 साल के बच्चों, गर्भवती महिलाओ और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को स्वास्थ्य, पोषण एवं शैक्षणिक सेवाओं का एकीकृत राहत पैकेज प्रदान करना इसका उद्देश्य है।
- विशेष पोषण कार्यक्रम(SPECIAL NUTRTION PROGRAMME): इसके अंतर्गत आने वाली आगनबाड़ी सेवाएं, प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना ,आशा, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक केन्द्रो, सहायता समहू के माध्यम से राष्ट्रीय पोषण अभियान चलाया जा रहा है जिसके माध्यम से महिलाओ, लड़कियों, बच्चों को खाने के आहार दिए जा रहे है।
- मध्याह्न भोजन कार्यक्रम(MID DAY MEAL): मिड डे मील के अंतरगत वह बचे जो स्कूल पढ़ने पढ़ रहे है उन छात्रों को दोपहर के समय फ्री में भोजन कराना इसका उद्देश्य है जिससे कोई भी बचा भूखा न रहे।
- राष्ट्रीय पोषण संबंधी एनीमिया प्रोफिलैक्सिस प्रोग्राम(NATIONAL NUTRITION ANAEMIA PROPHYLAXIS PROGRAMME)यह एक ऐसी इस्थिति है जिसमे व्यक्ति की लाल कोशिकाएं काम होती है और खून की मात्रा पूरे शरीर को नहीं मिल पाती और कई स्वास्थ्य समस्या पैदा होने लगती है। इसे ध्यान में रखते सरकार ने यह योजना का आरम्भ किया है।
- गेहूं आधारित पोषण कार्यक्रम(WHEAT BASED NUTRITION PROGRAMME): बाल विकास मंत्रायल द्वारा इस योजना के अंतर्गत जिन बच्चों की आयु 0 से 6 साल तक है और जो महिलाएं गर्भवती/स्तनपान कराने वाली है उन्हें को पौष्टिक/ऊर्जायुक्त(energy) भोजन प्रदान करना इसका लक्ष्य है।
- बलवाड़ी पोषण कार्यक्रम(BALWADI NUTRITION PROGRAMME): जिसे किंडरगार्टन कहा जाता है इसका एक मात्र उद्देश्य यह है की बच्चों का शारीरिक तथा मानसिक विकास और अच्छे से हो सके।
- विटामिन ए की कमी के कारण दृष्टिहीनता की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम(NATIONAL PROGRAM FOR PREVENTION OF BLINDNESS DUE TO VITAMIN A DEFICIENCY): योजना के अंतर्गत कई तरह की सुविधाएं शामिल की गयी है.
- बच्चों को खसरा का टीका के साथ नौ महीने में 100000 आईयू इंजेक्शन की एक ख़ुराक।
- डीपीटी(diphtheria, pertussis, titnus) बूस्टर टीका के साथ16 से 18 महीने में 200000 आईयू इंजेक्शन की खुराक ।
- पांच वर्ष की उम्र तक हर छह महीने में 200000 आईयू इंजेक्शन लगाया जाता है।
- नेशनल गोइटर कंट्रोल प्रोग्राम(NATIONAL GOITER CONTROL PROGRAM): यह आज देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। देश में 167 मिलियन लोगों को आयोडीन की कमी से होने का खतरा रहता है। हलाकि इसे ठीक नहीं किया जा सकता लेकिन इसे बढ़ने से रोका जा सकता है।
- अनुप्रयुक्त पोषण कार्यक्रम(APPLIED NUTRTION PROGRAMME): सभी बच्चों, गर्भवती महिलाओ, एवं किशोरियों का मानसिक व शारीरिक संतुलन बनाये रखने के लिए देश में इन कार्यकर्मो की शुरुवात की गयी है जिससे देश में कुपोषण शिकार होने से बच सके इसके अंतर्गत कई तरह के जागरूक कार्यक्रम, पोषण सम्बन्धी बाते, खान पान सम्बंधित जानकारियों को बताया जा रहा है।
POSHAN अभियान रिपोर्ट
भारत में परिवर्तनकारी पोषण रिपोर्ट 2019 | क्लिक करें |
भारत में परिवर्तनकारी पोषण रिपोर्ट 2020 | क्लिक करें |
महत्वपूर्ण जानकारी
35 प्रतिशत बच्चे जिनकी उम्र 0-5 साल के बीच भारत में कुपोषित पाए जाते है। बिहार और उत्तर प्रदेश इन मामलो में सबसे आगे पाया गया है। जिसके बाद झारखण्ड, मेघालय और मध्य प्रदेश में बच्चे कुपोषण का शिकार पाए गए है।
National Nutrition Programmes सम्बन्धित प्रश्न उत्तर
इस प्रोग्राम का लाभ गर्भवती महिला, नवजात शिशु , धात्री महिलाओं को, किशोरियों व बच्चों को प्रदान किया जाएगा।
योजना के तहत लाभार्थियों को 6000 रुपये तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार किया जा सके।
आशा, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, आगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से, सहायता समहू के माध्यम से राष्ट्रीय पोषण अभियान, सामुदायिक केंद्रों में, प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना के माध्यम से प्रोग्राम
योजना के तहत 6 साल के बच्चों, गर्भवती महिलाओ और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को स्वास्थ्य सेवायें आदि को लाभान्वित किया जाएगा।
मध्य प्रदेश में 5 साल से छोटे उम्र के बच्चे 42% कुपोषण से ग्रस्त है, बिहार में 48.3 बच्चे, उत्तर प्रदेश में 46.3, झारखण्ड में 45.3, मेघालय में 42%, गुजरात में 39.7 %, महाराष्ट्र में 36.1%, कर्नाटक में 32.9%, असम में 32.8% बच्चे कुपोषण का शिकार है।
इस प्रोग्राम का उद्देश्य देश के बच्चों व गर्ववती महिलाओं को कुपोषण से बचाना है।