हर साल भारत देश में 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस बनाया जाता है। ये दिन उन शहीदो की याद में मनाया जाता है जो 1999 में भारत देश के लिए लड़े थे।
कारगिल विजय दिवस को भारत में बहुत महत्वपूर्ण दिवस माना जाता है। भारत देश आजाद होने के बाद भी पाकिस्तान ने भारत पर चार बार कब्ज़ा करने की कोशिश की।
अंत में 1999 में भारत और पाकिस्तान देश के बीच भयानक लड़ाई हुई जिस लड़ाई का नाम कारगिल युद्ध रखा। पाकिस्तान के सैनिकों ने भारत की कारगिल की चोटियों पर कब्ज़ा कर दिया है।
जिस वजह से भारत और पाकिस्तान देश के बीच महायुद्ध हुआ जो लगभग 60 दिन तक चला और इसका समापन 26 जुलाई को हुआ। तब से ही कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। भारत देश के सभी वीर जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है।
“मैं हूँ भारतीय सेना का वीर जवान, कभी नहीं झुकने दूंगा भारत का मान
तिरंगा है मेरी आन, बान, कभी नहीं होने दूंगा भारत का अपमान“
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कारगिल विजय दिवस का इतिहास
पाकिस्तान के द्वारा शुरू किया गया युद्ध 26 जुलाई को समाप्त हुआ। भारत के सैनिकों ने पाकिस्तान की सेना को मारकर फिर से विजय हासिल कर ली। भारतीय सेना हमेशा से अपनी जीत का परिचय देती आयी है।
भारत आजादी के बाद भी पाकिस्तान भारत देश पर अपना कब्ज़ा करने के लिए संघर्ष करता रहता है। लगातार युद्ध होने के बाद देश का माहौल ख़राब हो रहा था जिसे शांत करने के लिए फ़रवरी 1999 को दोनों देशों के बीच लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर हुए।
इस पत्र में कश्मीरी मुद्दा और अन्य मुद्दे को शांत करने की घोषणा हुई थी। इस घोषणा पत्र के बाद भी पाकिस्तान देश चुप नहीं बैठा। सन 1999 में सियाचीन ग्लेशियर पर कब्ज़ा करने के इरादे से पाकिस्तान ने चोरी चुपके अपनी सेना को भेज दिया।
पाकिस्तान अपना दबाव डालकर कश्मीर के मुद्दे को अपनी तरफ करना चाहता था। जिसके लिए उनकी सेना ने सियाचीन ग्लेशियर पर अपना कब्ज़ा कर दिया था।
भारतीय सेना को उतने ऊँचे पहाड़ पर हथियार ले जाने में बड़ी कठिनाई आयी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अंत में भारतीय सेना वहाँ पहुंच ही गई।
महत्वपूर्ण जानकारी
युद्ध में भाग लेने वाले देश | भारत और पाकिस्तान |
स्थान | कारगिल, जम्मू-कश्मीर |
सन | 1999 |
कमांडर और लीडर | वेद प्रकाश मलिक( भारत) और परवेज़ मुशर्रफ (पाकिस्तान) |
ऑपरेशन विजय
18 हजार फीट की ऊंचाई जहाँ पर कड़ाके की ठण्ड होती है। भारतीय सेना वहाँ अपने हथियार और सेना के साथ पहुंच गई थी। भारतीय सेना ने लगभग 2 महीने तक अपने साहस और हौसले के साथ युद्ध लड़ा।
कई सैनिकों के बलिदान के बाद अंत में भारतीय सेना को विजय की प्राप्ति हुई। भारतीय सेना के पास कम हथियार होने के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी। ये युद्ध सभी भारतीय नागरिको को याद रहेगा और प्रत्येक भारतीय नागरिक को हमारे देश की सेना पर गर्व होता है।
भारतीय सेना को नुकसान
18 हजार फीट की ऊंचाई पर युद्ध लड़ना कोई आसान काम नहीं है। 2 महीने से चल रहे दोनों देशों के बीच परमाणु परिक्षण से सेना पर काफी दबाव पड़ गया था।
अधिक समय से चल रहे युद्ध से भारतीय सेना को बहुत नुकसान पंहुचा। भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध में अपने 527 से अधिक सैनिको को खोया। इतना ही नहीं इस युद्ध में लगभग 1300 से अधिक सैनिक घायल भी हुए।
मृत्यु और हानि (आंकड़ों के अनुसार)
वितरण | भारत | पाकिस्तान |
सैन्य शक्ति | 30,000 | 5,000 |
मृत सेना | 527 | 350 – 453 |
घायल सेना | 1363 | 665 से अधिक |
Pow | 8 | – |
ध्वस्त हेलीकाप्टर | 1 | – |
ध्वस्त फाइटर प्लेन | 1 | – |
क्रेश फाइटर प्लेन | 1 | – |
कारगिल युद्ध का कारण
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी सेना प्रमुख जहाँगीर करामात के बीच काफी तनाव बढ़ गया था जिसके चलते पुरे राज्य में अशांति का माहौल बन गया।
परेशान जनता ने पाकिस्तान देश को छोड़ कर भारत देश की ओर पलायन करना शुरू कर दिया। ऐसा माना जाता है की उस समय 10 लाख से अधिक लोग भारत देश आए थे। पड़ोसी देश होने के नाते यहाँ की सरकार ने उन्हें रहने और खाने की सुविधा दी।
जिसे देखकर पाकिस्तान ने युद्ध करने का ठान ली। पाकिस्तान भारत को हमलें की धमकिया देता रहा। भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने युद्ध को रोकने के लिए कई प्रयास किए। पाकिस्तान लगातार युद्ध का दबाव बनाता रहा।
जिसके चलते पुरे देश में अशांति फ़ैल गई। भारत में हुए तीसरे युद्ध के बाद अगला युद्ध कारगिल की लड़ाई के रूप में लड़ा। जिसमे भारतीय सेना को विजय प्राप्ति हुई और पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा।
कारगिल युद्ध स्मारक (इंडिया)
कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को याद करने करने के लिए इंडियन एयर फाॅर्स द्वारा एक मेमोरियल बनाई गई है। ये स्मारक द्रास में टोलोलिंग की तलहटी में स्थित है स्मारक का निर्माण शहर से 5 km की दुरी पर किया हुआ है।
कारगिल युद्ध में शहीद हुए सभी जवानों का नाम इसमें अंकित किया गया है। इतना ही नहीं इसके प्रमुख द्वार पर माखनलाल चतुर्वेदी जी की कविता पुष्प की अभिलाषा लिखी हुई है। शहीद जवानों के प्रति सहानुभूति और उनके बलिदान को हमेशा अपने दिल में सँजो कर रखने के लिए मेमोरियल के द्वार पर सैनिक के नाम और कविता अंकित की हुई है।
जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहाँ आते है। इसी मेमोरियल के पास एक म्यूज़ियम भी मनाया गया है। जहाँ पर विभिन्न हथियार, वीर जवानों को चित्र, युद्ध से जुड़े जरुरी दस्तावेज आदि रखे हुए है। कारगिल ऑपरेशन विजय दिवस को सम्मान देने और देश की जीत की खुशी में इस म्यूज़ियम को बनाया गया है।
आने वाली पीढ़ी को अपने वीर जवानों के द्वारा दिए गए बलिदान के बारें ये स्मारक बेहद महत्वपूर्ण है। आज कल के बच्चों को अपने देश का इतिहास, स्मारकों का महत्व, और ऐतिहासिक जगहों पर ले जाना चाहिए। जिससे उन्हें भारत की सभ्यता का ज्ञान प्राप्त हो सके।
वतन पर मिटने वालों का यही निशान बाकी होता है
सिर पर सेना की पगड़ी और बदन पर तिरंगा का कफ़न होता है।
कारगिल युद्ध का वर्णन (तिथि और घटनाएं)
तिथि | घटनाक्रम |
3 मई | पाकिस्तान सेना के कारगिल में घुसपैठ, स्थानीय लोगों द्वारा सूचित किया गया |
5 मई | 5 भारतीय सेना को Patrol के लिए भेजा जिन्हें इतना प्रताड़ित किया की उनकी मृत्यु हो गई |
9 मई | युद्ध के दौरान भरी मात्रा में गोलाबारी हुई जिसके चलते काफी मात्रा में हथियारों की हानि हुई |
10 मई | द्रास, काक्सर और मुश्कोह क्षेत्र में घुसपैठ की जानकारी मिली |
10 मई | भारतीय सेना ने अपने अन्य जवानों को कारगिल क्षेत्र की और भेजा |
26 मई | इंडियन एयर फाॅर्स ने घुसपैठियों पर हमला किया |
27 मई | भारतीय वायु सेना ने अपने 2 फाइटर प्लेन मिग-21 और मिग-27 और इसमें से एक फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता था जिसे उन्होंने गवा दिए . |
28 मई | पाकिस्तान ने भारतीय वायुसेना के MI-17 को मार गिराया, उसमे बैठे 4 सेना की मृत्यु हो गई |
1 जून | पाकिस्तान द्वारा हमला किया गया |
5 जून | भारतीय सेना द्वारा विभिन्न दस्तावेज को पेश किया भारतीय सेना 3 पाकिस्तानी सैनिकों से मिले जी युद्ध में शामिल थे। |
6 जून | युद्ध की स्थिति देखकर भारतीय सेना ने अपनी सैन्य सुरक्षा को बढ़ावा दिया। |
9 जून | बटालिक सेक्टर की 2 खास जगह पर भारतीय सेना ने फिर से कब्ज़ा प्राप्त कर दिया था। |
11 जून | पाकिस्तान आर्मी के प्रमुख़ जनरल परवेज़ मुशर्रफ और जनरल स्टाफ के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अज़ीज़ खान का पाकिस्तान सेना में शामिल होने का सबूत मिला। |
13 जून | भारतीय सेना ने द्रास में टोलोलिंग को सुरक्षित कर दिया |
15 जून | प्रेसिडेंट बिल क्लिंटन ने फ़ोन पर बात करके पाकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ को कारगिल से पाकिस्तान सेना को वापिस आने का आदेश दिया |
29 जून | कारगिल की 2 महत्वपूर्ण जगह – पॉइंट 5060 और पॉइंट 5100 पर भारत ने अपना कब्ज़ा कर लिया |
2 जुलाई | भारतीय सेना ने कारगिल में तीन ओर हमले किए |
4 जुलाई | भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर अपना कब्ज़ा करने के लिए 11 घंटे तक युद्ध लड़ा फिर जाकर उन्हें सफलता मिली |
5 जुलाई | द्रास स्थान पर भारतीय सेना ने अपना कब्ज़ा कर लिया |
11 जुलाई | भारतीय सेना ने महत्वपूर्ण जगह बतालिन चोटी पर अपना अधिकार प्राप्त कर दिया उससे पाकिस्तान ने अपने कदम पीछे कर दिए |
14 जुलाई | भारत के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कारगिल ऑपरेशन को विजय घोषित किया और पाकिस्तान से बातचीत करने के लिए कुछ शर्त निश्चित की |
26 जुलाई | अंत में कारगिल युद्ध समाप्त हुआ भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को मौत के घाट उतार दिया |
कारगिल वॉर में शहीद हुए वीर
भारत देश के वीर जवान जिन्होंने अपनी देश की रक्षा के लिए खुद का बलिदान दे दिया। उनका ये बलिदान हम कभी नहीं भूलेंगे। सभी भारतीय नागरिको को उन पर बहुत गर्व है।
kargil war के दौरान 1300 से अधिक जवान घायल हुए और 527 से अधिक सैनिक शहीद हो गए। देश के कुछ ऐसे वीर जवान जिन्होंने देश को आजादी दिलाने में बहुत बड़ा योगदान रहा, ऐसे जवानों को कारगिल दिवस के दिन याद किया जाता है जिनके नाम इस प्रकार से है –
- गणपत सिंह ढाका
- वीरेंद्र सिंह
- वेद प्रकाश
- भगवान सिंह
- कैप्टन विक्रम बत्रा
- कैप्टन मनोज कुमार पांडेय
- कैप्टन सौरव कालिया
- रणवीर सिंह
- विनोद कुमार
- शीश राम गिल
युद्ध से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य –
- 2023 में कारगिल विजय दिवस का 24वीं वर्षगांठ मनाया जायेगा।
- पाकिस्तानी सेना ने सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र पर अपना कब्ज़ा करने के लिए जिन सैनिकों को भेजा उन सैनिकों का कोड वर्ड ऑपरेशन बद्र रखा गया।
- भारत और पाकिस्तान देश ने कारगिल युद्ध में बड़ी संख्या में रॉकेट और बमों का प्रयोग किया। एक दूसरे देश पर दो लाख से ज्यादा गोले, बम और रॉकेट छोड़े गए इसके अलावा भारतीय वायुसेना ने मिग-2आई, मिग-23एस, मिग-27, जगुआर और मिराज-2000 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया।
- कारगिल ऑपरेशन विजय दिवस को हर साल योगदान देने के लिए 559 तेल के दीपक जलाएं जाते है। ये समारोह लद्दाख के द्रास जिले में कारगिल युद्ध स्मारक में होता है।
- हर साल भारत देश के मुख्यमंत्री वीर जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए इंडिया गेट पर अमर ज्योति जलाते है।
Kargil War Vijay Diwas से सम्बंधित कविता
गीली मेंहदी रोई होगी छुपकर घर के कोने में
ताजा काजल छूटा होगा चुपके-चुपके रोने में
जब बेटे की अर्थी आई होगी सूने आँगन में
शायद दूध उतर आया हो बूढ़ी माँ के दामन में
वो विधवा पूरी दुनिया का बोझा सिर ले सकती है
जो अपने पति की अर्थी को भी कंधा दे सकती है
मैं ऐसी हर देवी के चरणों में शीश झुकाता हूँ
इसीलिए मैं कविता को हथियार बनाकर गाता हूँ
आओ झुकर सलाम करें उनको
जिनके हिस्से मे ये मुकाम आता है,
खुशनसीब हैं वो जिनका
खून देश के काम आता है
जिंदगी जब तुझको समझा, मौत फिर क्या चीज है,
ऐ वतन तू ही बता, तुझसे बड़ी क्या चीज है।
कभी वह दिन भी आएगा जब अपना राज देखेंगे
जब अपनी ही ज़मीं होगी और अपना आसमाँ होगा
Kargil War Vijay Diwas से सम्बंधित प्रश्नोत्तर –
सन 1999 में भारत और पाकिस्तान देश के बीच युद्ध लड़ा गया। पाकिस्तान, भारत के कुछ हिस्से पर अपना कब्ज़ा करना चाहता था जिसे रोकने के लिए भारतीय सेना को आगे आना पड़ा। ये युद्ध लगभग 60 दिन तक चला। इसके बावजूद भी भारत की सेना ने हार नहीं मानी अंत में भारतीय सेना को विजय प्राप्ति हो गई। इसलिए यह दिन महत्वपूर्ण माना जाता है।
भारत देश में हर वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।
सरकार के आंकड़े के अनुसार, कारगिल वॉर में लगभग 527 सेना शहीद और 1300 से अधिक सेना घायल हुई थी।
पाकिस्तान की सरकार बदल गई। भारत सरकार ने सेना का रक्षा बजट बढ़ाया, भारत की अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती मिली। इस युद्ध से प्रेरणा लेकर कई फिल्मे बनी जो कारगिल वॉर की पूरी घटना को दर्शाती है।
इस युद्ध की शुरुआत 3 मई से और इसका अंत 26 जुलाई को हुआ। इसी वजह से 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस कहा जाता है।