Pyar Ka Matlab Kya Hota Hai? सच्चे प्यार को कैसे पहचानेंगे जानिए

आपने कई मूवी देखीं होंगी जिसमे हीरो हेरोइन को पहली ही नजर में एक दूसरे से प्यार हो जाता है। वैसे तो प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता पर इसके बारे में समझा जा सकता है की यह क्या होता है और इसकी कोई सीमा है या नहीं।

वैसे तो आजकल के ज़माने में सच्चे प्यार का मिलना मुश्किल है पर फिर भी कई ऐसे उदहारण हैं जो इस बात को साबित करते हैं की अभी भी सच्चा पर जिंन्दा है।

Pyar Ka Matlab Kya Hota Hai? सच्चे प्यार को कैसे पहचानेंगे जानिए

प्रेम /प्यार या मोहब्बत का क्या मतलब होता है ?और प्यार कितने तरह का होता है ? और कैसे हम अपने सच्चे प्यार को पहचान सकते हैं ? क्या प्यार एक बंधन है या फिर आजादी या यह कोई खास तरह का एहसास है। सभी तरह के सवालों का जबाब आपको इस आर्टिकल में मिल जायेगा।

पाठकों को आर्टिकल के साथ बने रहना है जिससे वह भी प्यार जैसे एहसास को समझ सकेंगे और अपने प्रेमी /प्रेमिका से उन्हें कितना प्रेम है यह भी जान सकेंगे।

सच्चे प्यार की परिभाषा

ज़िन्दगी में किसी का साथ काफी है,
हाथों में किसी का हाथ काफी है,
दूर हो या पास फर्क नहीं पड़ता,
प्यार का तो बस अहसास ही काफी है।”

आप किसी से प्यार करते हैं तो आप दिमाग से सोचना बंद कर देंगे आपको फर्क नहीं पड़ेगा की अपने जिससे प्यार किया है उसने आपके साथ बुरा किया है या अच्छा। आपको फर्क पड़ना बंद हो जायेगा क्यूंकि आप दिल से प्रेम कर रहे होंगे। आप जब तक खुद को नहीं मिटा देते आप कभी भी सच्चे प्रेम को नहीं जान सकते।

क्यूंकि सच्चे प्रेम में आपका अस्तित्व नहीं रहता आप “आप’ नहीं रहते। जिससे प्यार करते हैं वह यह जगह ले लेता है और आप मिट जाते हैं। यही प्यार है और जब आप सच्चे प्रेम में होते हैं तो आप अपनी पसंद -नापसंद ,अपना व्यक्तित्व,अपना सब कुछ समर्पित कर देते हैं।

Pyar Ka Matlab Kya Hota Hai?

प्यार को प्रेम, मोहब्बत,इश्क़  नाम से भी जाना जाता है। प्यार एक एहसास है जिसे बयां नहीं किया जा सकता। किन्ही दो इंसानों को एक दूसरे के साथ रिश्ता बनाये रखने के लिए प्यार जैसे एहसास का होना जरुरी है अगर उनके बीच प्यार नहीं है तो वह रिश्ता ज्यादा देर तक नहीं चल सकता।

किसी के साथ रिलेशनशिप में होना और किसी से प्यार करना दोनों ही अगल-अलग चीज़ें हैं। कई बार हम किसी के साथ रिश्ते में तो होते हैं पर वहां पर प्रेम का आभाव होता है। प्यार का क्या मतलब होता है ?यह आजकल की डेट में समझना मुश्किल है क्यूंकि आजकल की generation ने अटैचमेंट,अट्रैक्शन दोनों को ही प्यार का नाम दे दिया है। प्यार और पसंद दोनों ही अलग हैं।

प्यार का मतलब है ठहर जाना उस इंसान से इस तरीके से जुड़ जाना जहाँ उस इंसान से अलग होने की कोई गुंजाइस ही न रहे। प्यार दिल से होता है यहाँ दिमाग की जरुरत नहीं होती क्यूंकि जहाँ आप सोचना शुरू कर देते हो वहां प्यार वाला एहसास बचता ही नहीं। प्यार वह एहसास है जहाँ दो शरीर तो होते हैं पर आत्मा एक हो जाती है।

प्यार की भाषा नहीं यह तो बस एक एहसास होता है, इसे जताने के लिए दुनियाभर में एक विशेष दिन को चुना गया है, जिसे वैलेंटाइन डे कहते हैं हर साल 14 फ़रवरी के दिन इसे मनाया जाता है।

सच्चा प्यार क्या होता है?

‘तेरे इश्क़ में इस तरह मैं नीलाम हो जाऊं आखिरी हो मेरी बोली और मैं तेरे नाम हो जाऊँ ” आजकल प्रेमी प्रेमिका अपने प्यार का इजहार ऐसे ही कई शायरियों से या कभी गुलाब का फूल देकर करते हैं। पर यह सब तो आजकल का फैशन सा बन गया है।

प्यार के एहसास को जाहिर करने के लिए फरवरी महीने में एक हफ्ते का प्यार का पंचनामा चलता रहता है जैसे Hug Day ,टेडी डे ,किस डे, चॉकलेट डे। आप किसी से सच्चा प्यार करते हैं तो इसके लिए आपको इन सबकी जरुरत नहीं होती।

यह तो उस इंसान को अपनी आकर्षित करने का एक तरीका है और यहाँ पर डिमांड वाली चीज़ भी सामने आ जाती है जहाँ किसी से किसी तरह की इच्छा हो वहां कभी भी सच्चा प्यार नहीं हो सकता। साथ रहना ही सिर्फ सच्चा प्यार नहीं है। प्यार कोई व्यापार नहीं है यहाँ किसी तरह का सौदा नहीं होता है।

प्यार ऐसा एहसास है जिसे हर व्यक्ति नहीं समझ पाता। अनकण्डीशन प्यार ही सच्चा प्यार होता है जहाँ किसी तरह की कोई डिमांड या कोई भी इच्छा नहीं रहती है। आप बिना मतलब किसी को चाहने लगते हो चाहे वह कैसा भी दिखाई देता हो या उसका बैकग्राउंड कैसा है।

आपको इसका कोई फर्क नहीं पड़ता फिर भी आप उससे प्यार करते हैं यही सच्चा प्यार होता है। वेवजह किसी को प्यार करना ही सच्चा प्यार है।

सच्चे प्यार को कैसे पहचानेंगे

जहाँ वजह होगी वहां प्यार नहीं हो सकता क्यूंकि प्यार बेवजह होता है। कोई आपसे सच्चा प्रेम करता है यह आप आसानी से जान सकते हैं। सभी को सच्चा प्यार मिले यह जरुरी नहीं है और आप किसी से सच्चा प्यार करते हैं यह जानना भी आपके लिए जरुरी है क्यूंकि सच्चा प्यार करना हर किसी के बस की बात नहीं होती है।

मान लीजिये आपने किसी लड़की से प्यार किया और कुछ समय बाद आप दोनों अलग हो गए आपको पता लगता है की लड़की ने आपको धोखा दिया या यह भी हो सकता है लड़की की कोई और वजह रही हो जो आप दोनों को अलग होना पड़ा और अब आपके मन में उस लड़की के लिए बदले की भावना जाग गयी

आप उसे हर जगह बदनाम करने लगते हो तो आप इसे क्या कहेंगे ? क्या यही आपका सच्चा प्यार है ,बिलकुल नहीं आप भी उतने ही दोषी हो जितना वह इंसान जो आपको छोड़ कर गया है। आपसे किसी को सच्चा प्यार है या नहीं यह आप ऐसे पहचान सकते हैं –

समर्पण भाव –

  • सच्चे प्यार करने वाले व्यक्ति में हमेशा से ही समर्पण की भावना रहती है।

कोई शर्त न रखना –

  • जो लोग सच्चा प्रेम करते हैं वह अपने पार्टनर से किसी भी प्रकार की शर्त को नहीं रखते वह अपने पार्टनर की खामियों और उसकी खूबियों को बिना शर्त स्वीकार करते हैं।

रूक टोक न करना

  • जब आप किसी से सच्चा प्यार करते हैं तो आप उस इंसान को किसी काम के लिए रोकते नहीं हो उसे फ्रीडम देते हो आप उसपर विश्वास रखते हो।

सच बोलना –

  • जो व्यक्ति सच्चा प्यार करेगा वह अपने पार्टनर से कभी भी झूठ नहीं बोलेगा।

माफ़ कर देना –

  • सच्चा प्यार करने वाला इंसान जब किसी से प्यार करता है तो वह उससे कभी भी कड़वी बातें नहीं करेगा। और किसी प्रकार की गलती होने पर उसे माफ़ करेगा और खुद से गलती होने पर उस गलती के लिए माफ़ी भी मांगेगा।

कभी साथ न छोड़ना

  • चाहे कैसी भी परिस्थिति हो एक सच्चा प्यार करने वाला इंसान कभी भी अपने पार्टनर का साथ नहीं छोड़ता। वह उस इंसान जिससे वह प्यार करता है उसके लिए हर तरह से परेशानियों को हर समय बिना किसी शिकायत के झेलने को तैयार रहता है।

विश्वास करना –

  • यदि कोई आपसे सच में प्यार करता है तो वह आप पर हमेशा भरोसा करेगा चाहे कोई अन्य इंसान आपके बारे में उसे कुछ गलत क्यों न कह दे। वह आप पर भरोसा रखेगा।

निस्वार्थ भाव से होता है सच्चा प्यार

  • जब आप किसी से सच में प्यार करते हैं तो आपको उसकी ख़ुशी में अपनी ख़ुशी,उसके गम में अपने गम और उसके दर्द में अपना दर्द दिखाई देता है। खुद को भूल कर उस व्यक्ति जिससे आप मोहब्बत करते हैं उसकी फ़िक्र करते हैं उसे दुखी नहीं देख सकते और उसके लिए कुछ भी कर सकते हैं वह प्यार है। बिना किसी इच्छा के निस्वार्थ भाव से किसी के लिए अपना सब समर्पित कर देना प्यार है।

प्यार के प्रकार

प्यार लड़के या लड़की के बीच हो जरुरी नहीं है। प्यार आपको अपने परिवार ,अपने माता पिता ,भाई बहन ,किसी पालतू जानवर से भी होता है। प्यार की कोई सीमा नहीं होती यह अन्नंत होता है।

जब आप कहते हैं की मैं प्यार में हूँ तो असल में आप प्यार में नहीं होते आप प्यार में तब होते हैं जब आपको अपने आस-पास हर चीज़ बहुत प्यारी लगती है किसी एक व्यक्ति या किसी वस्तु जिससे आपको प्यार होता है आप उसके ख्यालों में रहते हैं। आप हर बार उसके ही बारे में सोचते रहते हैं।

आप उसे हर बार अपने आस पास ही देखना चाहते हो आप उसे हर समय अपने ख्यालों में पाते हो और बिन बात मुस्कुराते हो यही तो प्यार है ,और इसे ही प्यार में पागल हो जाना कहते हैं। प्यार को कई भागों में बांटा गया है। मोटे तौर पर प्यार को उसकी परिभाषा के तौर पर 3 भागों में बांटा गया है –

conditional love (सशर्त प्रेम )-

ऐसा प्रेम जहाँ प्रेम तो होता है पर शर्तों के साथ। यह एक ऐसा प्रेम है जो मानसिक और शारीरिक दोनों तरह का होता है। ऐसे प्रेम में आप किसी के शरीर से ज्यादा आकर्षित होते है।

ऐसे प्यार में एक दूसरे से कुछ न कुछ एक्सपेक्टेशन रहती है। एक दूसरे से बदले में कुछ न कुछ चाहने का भाव रहता है। यह प्रेम आकर्षण से शुरू होता है यह आकर्षण शारीरिक या मानसिक दोनों ही तरह से हो सकता है।

conditional love में इंसान किसी व्यक्ति के शरीर ,खूबसूरती ,उसके बोलचाल ,उसके हावभाव या उसकी सोच से प्रभावित होकर उसके प्यार में गिर जाता है। यही प्रेम आपको गुलाब बनाता है और जब आप इस गुलामी से बाहर निकलने की सोचते हैं तो अंत में दोनों के बीच शिकवा -शिकायतें आ जाती हैं

और रिश्ता बोझ लगने लगता है। आप एक दूसरे को खुद के साथ बांधें रखने के लिए किसी भी हद तक गुजर जाते हैं और अंत में प्रेम कहीं नहीं बचता सिर्फ शर्तें रह जाती है और प्यार कहीं खो जाता है।

unconditional love (सच्चा प्यार, बिना शर्त वाला प्रेम )

ऐसा सच्चा प्यार, जिसमे शर्त लागू नहीं होती बिना शर्त के जब आप किसी से प्यार करने लगते हो तो वह प्यार ही सच्चा प्यार कहलाता है। कई लोगों का मानना है की इस तरह का प्यार हो ही नहीं सकता।

लोगों का मानना है की हर रिश्ते में कुछ न कुछ शर्तें तो होती ही हैं पर कई ऐसे उदहारण हैं जो सच्चे प्यार की परिभाषा को पूरा करते हैं।

unconditional love में रिटर्न में कुछ एक्सपेक्ट नहीं किया जाता आप अपने पार्टनर की ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकते हैं और बदले में उससे कुछ नहीं चाहते बस उसकी खुशी देखना चाहते हैं। एक सच्चा प्रेम वही है जो दोनों के जुदा होने पर भी बरकरार रहे।

बिना किसी शर्त और बंधन के यह प्रेम होता है सच्चे प्यार में प्रेमी प्रेमिका सारे बंधनो से मुक्त रहते हैं। unconditional love में व्यक्ति अपने प्रेमी /प्रेमिका को हर हाल में खुश देखना चाहता है। इस दुनिया में सच्चा प्यार, बिना शर्त वाला प्रेम माँ बाप के सिवा शायद ही कोई करे। इसलिए माता-पिता का प्रेम unconditional love की श्रेणी में आता है। वह बिना शर्त अपने बच्चों को प्यार करते हैं।

spiritual love (अध्यात्मिक प्रेम)

conditional love, unconditional love के बाद तीसरा प्यार होता है spiritual love जिसे हिंदी में अध्यात्मिक प्रेम कहा जाता है। यह प्यार सबसे शुद्ध होता है यहाँ आप परमात्मा से जुड़ जाते हैं। अध्यात्म के बिना आप प्रेम को नहीं समझ सकते ना ही प्रेम को पा सकते है । यदि अपने अपने जीवन में कभी किसी से प्रेम नहीं किया तो आपका जीवन व्यर्थ है। कबीर जी कहते है –

पोथी पढ़ पढ़ जग मुवा पंडित हुआ न कोय, ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय। “

भावार्थ -ऊपर दी गयी पंक्ति में कबीर दास जी का कहना है कि लोग बड़ी से बड़ी पढाई करते हैं लेकिन कोई पढ़कर पंडित / विद्वान नहीं बनता । जो इंसान प्रेम का ढाई अक्षर पढ़ लेता है वही सबसे विद्वान्/पंडित है।

प्यार के अन्य प्रकार

प्यार कुल मिलकर 7 तरीके का होता है। प्यार को भी अलग -अलग भागों में बांटा गया है।

1.एकतरफा प्‍यार

जहाँ पर कोई शख्स किसी ऐसे इंसान से प्यार करता है जिसकी ओर से उसके लिए कोई प्यार वाला एहसास नहीं है। यह प्यार काफी चुनौतीपूर्ण होता है और खतरनाक भी। ऐसे प्यार में सिर्फ एक व्यक्ति को प्यार होता है पर जिससे वह प्यार करता है।

उस इंसान को उसकी परवाह नहीं होती या वह उसके लिए ऐसे प्यार के एह्सास नहीं रखता है। ऐसे में जरुरी है की आप उससे प्यार करें जो आपको प्यार करता है क्यूंकि एकतरफा प्यार में कई बार आपको अपने आत्मसम्मान की भी बलि चढ़ानी पड़ती है। तो अच्छा है की आप मूवऑन करें।

उनको भी हमसे मोहब्बत हो ये जरूरी तो नहीं,
इश्क़ ही इश्क़ की कीमत हो ये जरूरी तो नहीं।

2 .प्‍लेटोनिक लव (अफ़लातूनी प्यार )-

ऐसा प्रेम है जो सामन्य प्रेम से अलग है। ऐसा प्रेम को परिभाषा देना थोड़ा मुश्किल है। यह ऐसा प्रेम है जहाँ पर बिना किसी स्वार्थ और अटूट विश्वास के साथ किया जाता है। ऐसे प्रेम में रोमांस या सेक्स वाली फीलिंग की जगह नहीं होती न ही इंसान किसी तरह की डिमांड करता है।

आप इसे ऐसे समझ सकते हैं की आप और आपके दोस्त के बीच भी यही प्रेम है। ऐसे प्रेम में आप तन मन धन से एक दूसरे की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं।

3.खुद से प्यार (सेल्फ लव )-

कहते हैं अपने से प्यार करना उतना ही जरुरी है जितना जिंदगी को जीना जरुरी है। यदि आप खुद से प्यार नहीं कर सकते तो शायद आप किसी और से भी प्यार नहीं कर पाएंगे। खुद से प्यार करना आपके कॉन्फिडेंस लेवल को भी बढ़ाता है। जो खुद से जितना ज्यादा प्यार करते है उन्हें दुनिया भी उतनी ही खूबसूरत नजर आती है।

पर कई मामलों में यह प्यार काफी घातक भी हो सकता है क्यूंकि आप फिर दूसरों के बारे में सोचना बंद कर देते हैं। सबसे अच्छा है आप अपनी खूबियों से प्यार करें और अपनी कमियों को एक्सेप्ट करें क्यूंकि हर इंसान परफेक्ट नहीं होता।

”कोई और ना सही खुद से ही इश्क़ करना सीख लीजिये
खुद को संवारिये इस तरीके से की किसी और को पाने की कोई ख्वाहिस ही न रहे।।

4.लस्ट वाला प्यार

आजकल आपको हर जगह इसी तरह का प्यार ज्यादा देखने को मिलेगा। लड़के हों या लड़की आजकल प्यार के नाम में अपनी जरुरत पूरी करते हैं।

उन्हें शारीरिक संबंध बनाने की भूख रहती है और उसे वह प्यार की चादर से ढकने की कोशिश करते हैं। ऐसे प्यार, प्यार नहीं बल्कि टाइमपास होता है जो लड़के-लड़कियां एक दूसरे के साथ करते हैं।

उन्हें सिर्फ शारीरिक संबंध बनाने का ही विचार हर पल रहता है। यदि कोई व्यक्ति किसी को सच्चा प्यार करता है तो वह कभी भी बिना किसी फ़ोर्स के शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए नहीं कहेगा।

ऐसे प्यार को प्यार का नाम देना प्यार का मजाक बनाना होगा क्यूंकि यहाँ दूर दूर तक कोई प्यार नहीं होता सिर्फ हवस की भूख होती है। लस्ट वाला प्यार कभी भी देर तक नहीं टिकेगा और जैसे ही दोनों की जरुरत पूरी हो जाएगी वह एक दूसरे को इग्नोर कर देंगे।

5.पप्‍पी लव या बचपन का प्यार –

अपने भी बचपन में किसी न किसी से प्यार किया होगा। स्कूल टाइम में आपको अपने टीचर या अपने पड़ोस की लड़की /लड़के से प्यार जरूर हुआ होगा। यह एक इनोसेंट लव है और इस प्यार को पप्‍पी लव भी कहा जाता है।

6.कभी न मिलने वाला प्यार

कई बार हम ऐसे इंसान से प्यार करते हैं जिसे दूर दूर तक पेर्सनली नहीं जानते। उसे बेपनाह चाहने लगते हैं ,उसके बारे में कुछ भी गलत नहीं सुन सकते। कभी न मिलने वाले प्यार में ज्यादातर सेलेब्रिटी आते हैं जिन्हें हम बहुत फॉलो करते हैं।

यह पता होते हुए भी की ये हमे सकते हैं यह एक अलग तरह का प्यार है। हम ऐसे इंसान की काफी इज्जत करते हैं इसे एकतरफा प्यार भी कह सकते हैं।

7. सच्‍चा प्‍यार –

आज के समय में सच्चा प्यार ढूँढना बहुत दुर्लभ हो चुका है। अपने कई मूवीज में सच्चे प्यार की कहानियां देखी होंगी। अपने सच्चे प्यार की कई कहानियां पढ़ी भी होंगी।

क्या अपने अपने लैला मजनू, हीर राँझा जैसे कई ऐसे सच्चा प्यार करने वालों की कहानी सुनी है ?अपने जरूर सुनी होगी और इन कहानियों में यह पाया होगा की सच्चे प्यार में पड़ने वाला इंसान किसी चीज़ की परवाह नहीं करता वह नहीं सोचता की समाज क्या कहेगा वह बस दिल से प्यार करता है।

एक सच्चा प्रेमी/प्रेमिका किसी धर्म ,जात,लिंग को नहीं देखता वह सिर्फ बिना शर्त प्यार करता है और निरंतर करता चला जाता है समय और परिस्थिति का उसके सच्चे प्रेम पर कोई असर नहीं पड़ता। लेकिन आजकल ऐसा प्यार मिलना मुश्किल है।

Pyar Ka Matlab Kya Hota Hai FAQs –

Pyar Ka Matlab Kya Hota Hai ?

प्यार का मतलब होता है प्रेम, मोहब्बत,इश्क़ प्यार एक ऐसा एहसास है जो दो इंसानों को बिना किसी शर्त से जुड़ाव होना।

प्यार कितने टाइप के होते हैं ?

प्यार मुख्यता 3 प्रकार के होते हैं –conditional love, unconditional love, spiritual love.

pyar कितने तरीके का होता है ?

प्यार 7 तरीके से होता है -एकतरफा प्‍यार ,बचपन का प्यार ,कभी न मिलने वाला प्यार,लस्ट वाला प्यार, सच्‍चा प्‍यार,खुद से प्यार (सेल्फ लव ),प्‍लेटोनिक लव (अफ़लातूनी प्यार )

सच्चे प्यार को कैसे पहचाने ?

यदि कोई आपसे सच्चा प्यार करता है तो वह आपसे बिना शर्त प्यार करेगा। वह आपसे अपने प्यार के बदले में कुछ नहीं चाहेगा।

आज की इस पोस्ट में हमने Pyar Ka Matlab Kya Hota Hai से सम्बंधित बात की है। किसी भी प्रकार के सवाल होने पर आप कमेंट करके पूछ सकते हैं।

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