देश में बड़ी संख्या में हिन्दू समुदाय द्वारा महाशिवरात्रि का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। महाशिवरात्रि माने जाने के पीछे कई मत है। 

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा -अर्चना की जाती है। इस दिन का इसलिए भी ख़ास महत्त्व है क्यूंकि इसी दिन भगवान शिव अपने भक्तों द्वारा की जाने वाली पूजा से अति प्रसन्न होते हैं

आध्यात्मिक महत्व के तौर पर महाशिवरात्रि पर्व मनाये जाने के पीछे अनेक मत हैं। लेकिन शिव पुराण में और अन्य लेखों में शिवरात्रि (Shivratri) को मनाने का विशेष महत्व बताया गया है।

shiv puraan के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने सृष्टि को रक्षा हेतु हलहाल विष का पान किया था और पूरी सृष्टि की रक्षा इस विष से से की थी। भगवान् शंकर द्वारा इसी विष के मध्य में सुंदर नृत्य किया गया

और सभी देवताओं ,दानवों और भक्तों ने शिव भगवान् के इस नृत्य को अधिक महत्त्व दिया। हर साल इसी दिन को भगवान् शिव की पूजा -अर्चना की जाती है। जिसे शिव रात्रि के नाम से जाना जाता है।

एक कथा के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग विभिन्न जगहों में प्रकट हुए थे। यह सभी शिवलिंग अलग अलग 64 स्थानों में स्वयं प्रकट हुए थे।

इन 64 लिंगों में से 12 लिंगों की पहचान हुयी जिन्हें हम 12 ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जानते हैं। mahashivratri के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में डीप जलाये जाते हैं और पूरी रात जागरण किया जाता है।

कई शिवभक्त इसी दिन को भगवान् शिव के विवाह का उत्साव मानते हैं। मानयता अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही भगवन शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था।