भारत अंग्रेजी हुकूमत का गुलाम था और इसे स्वतंत्र कराने के लिए हर तरीके से प्रयास किये गए। महात्मा गाँधी जी की अहिंसा की नीति हो या फिर युवा क्रांतिकारियों की हिंसा वाली नीति हर किसी का एक ही लक्ष्य था
भारत को आजादी दिलाना। भारत के लोग उन सभी क्रांतिकारी ,राजनेताओं के आभारी रहेंगे जिन्होंने भारत में सुशासन लाने और गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने का हर संभव प्रयास किया है।
श में महान क्रांतिकारियों को याद करने के लिए हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस (Martyr’s day) मनाया जाता है। आज के लेख में हम आपको 23 मार्च शहीद दिवस पर निबंध प्रस्तुत करने जा रहे है।
23 march को Shaheed Diwas भगत सिंह ,सुखदेव और राजगुरु की सहादत को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है।
देखा जाए तो भारत में 23 मार्च और 30 जनवरी को shahid diwas मनाया जाता है लेकिन इसके अतिरिक्त भी अन्य तिथियों में भी शहीद दिवस को मनाया जाता है।
भारत की आजादी और अंग्रेजी हुकूमत को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए देश में हर वर्ग अपने अपने तरीकों से भारत की आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था। कई क्रांतिकारियों को इसके लिए अपना बलिदान देना पड़ा।
भारत को स्वतंत्रता दिलाने के मकसद से गाँधी जी द्वारा अहिंसा का मार्ग अपनाया गया। देश में महात्मा गाँधी जी के तरीके से अलग एक युवा वर्ग राजगुरु ,भगत सिंह ,सुखदेव ने भी भारत
की आजादी के लिए अपना अलग मार्ग अपनाया था। भले ही इन तीनों युवा क्रांतिकारियों का मार्ग महात्मा गाँधी जी के तरीके से अलग था लेकिन लक्ष्य एक था -‘भारत की आजादी’।
8 अप्रैल 1929 के दिन ”इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा लगते हुए केंद्रीय विधान सभा पर भगत सिंह (Bhagat Singh) ,राजगुरु (Shivram RajGuru) और सुखदेव (Sukhdev Thaper) ने
बम फेंके जिसके लिए उनपर हत्या का मामला दर्ज किया गया था। साल 1931 में 23 मार्च के दिन लाहौर जेल में तीनों क्रांतिकारियों को फांसी के फंदे से लटका दिया गया।