विश्व में तकनीकी क्षेत्र में विकास लगातार तेज़ी से हो रहा है हर एक क्षेत्र में तकनीक की मदद से चीज़ों में परिवर्तन देखने को मिल रहा है जो कि मनुष्य के जीवन को सहज और सरल बनाता है।
जिस प्रकार हम तकनीक की मदद से अपनी जीवनशैली को आसान बनाते हैं और हमेशा प्रगति के पथ पर अग्रसर रहते हैं। उसी तरह से तकनीक मनुष्य तक सीमित न रहकर पशुओं के हित में भी कार्य कर रही है।
दुनिया का कोई भी काम तकनीकी मदद से करना आज के समय में बेहद मुश्किल है, हर एक असंभव कार्य को हम तकनीक की मदद से आसानी से कर सकते हैं। आगे जानिए Red Data Book की पूर्ण जानकारी।
कुछ वर्षों पहले इंसानों की जनसंख्या का रिकॉर्ड रखना मुश्किल था लेकिन टेक्नोलॉजी की मदद से आज के समय में यह बेहद आसान हो गया है।
उसी प्रकार अब पशु, पक्षी, कीड़े, मकोड़े और जीव-जंतुओं के निश्चित आकड़े रखे जाते हैं और ये सिर्फ नई तकनीक की मदद से ही संभव हो पाया है।
Red Data Book एक सार्वजानिक दस्तावेज है जिसमें पृथ्वी पर मौजूद जीव-जंतुओं, पौधों व स्थानीय उप-प्रजातियों की लुप्त होने वाली प्रजाति साथ ही दुर्लभ प्रजातियों का रिकॉर्ड रखा जाता है
और रेड डाटा बुक कुछ एक प्रजातियों का डाटा प्रदान भी करती है जो विलुप्त होने की कगार पर होते हैं। इस लिस्ट में प्रजातियों की सात श्रेणियों को शामिल लिया गया है
लुप्तप्राय, कमजोर, गंभीर रूप से संकटग्रस्त, विलुप्त, कम जोखिम, मूल्यांकन नहीं किया गया है तथा डाटा की कमी। रेड डाटा बुक को पहली बार 1948 में IUCN द्वारा जारी किया गया था यह एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है
IUCN द्वारा समय-समय पर इस अपडेट किया जाता है। इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड में स्थित है। इसकी शुरुआत रूस के वैज्ञानिकों के द्वारा की गई थी जिसे बाद में विश्व स्तरीय संगठन को सौंप दिया गया।
रेड डाटा बुक में पृथ्वी पर मौजूद और विलुप्त हो चुके सभी जीव जंतुओं का पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है तथा इस बुक को तीन अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया है।
रेड डाटा बुक में पृथ्वी पर मौजूद और विलुप्त हो चुके सभी जीव जंतुओं का पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है तथा इस बुक को तीन अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया है।