नाटो (NATO) एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो राजनीतिक और सैन्य साधनों के माध्यम से अपने सदस्य देशों को स्वतंत्रता और सुरक्षा की गारंटी देता है। 

द नॉर्थ अटलांटिक ट्रिटीर्गनाइजेशन यानी (NATO) एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो 1949 में 28 यूरोपीय देशों और 2 उत्तरी अमेरिकी देशों के बीच बनाया गया है।

नाटो का उद्देश्य राजनीतिक और सैन्य साधनों के माध्यम से अपने सदस्य देशों को स्वतंत्रता और सुरक्षा की गारंटी देना है। इसे दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनाया गया था। 

नाटो का हेडक्वार्टर ब्रुसेल्स, बेल्जियम में स्थित है। नाटो की फंडिंग उसके सदस्य देशों द्वारा ही की जाती है। बजट का तीन चौथाई भाग अमेरिका देता है। 

 नाटो सदस्यों ने सहमति व्यक्त की कि उनका लक्ष्य 2024 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद के कम से कम 2% के लक्ष्य रक्षा खर्च तक पहुंचना है।

1949 में नाटो के मूल सदस्य बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका थे।अब सदस्य देशों की संख्या 30 के करीब  है।

यूक्रेन विवाद पर अमेरिका और उसके सहयोगी देश रूस को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। विश्व की बड़ी महाशक्तियों में से एक रूस हालांकि इस धमकी के लेकर कह रहा है कि उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता

अमेरिका समेट नाटो देशों की सैन्य ताकत रूस के सामने कहीं ज्यादा है और वे हर साल अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए अरबों खर्च करते हैं। 

सैन्य ताकत बढ़ाने के मामले में नाटो के सबसे ज्यादा खर्च करने वाले 3 देश अमेरिका 73 बिलियन डॉलर, जर्मनी  65 बिलियन डॉलर तथा  फ्रांस 59 बिलियन डॉलर खर्च करता है। 

नाटो का मूल उद्देश्य सामूहिक सुरक्षा पर टिका है। अगर कोई देश नाटो सदस्य देश पर हमला करता है, तो नाटो के सदस्य देश हमला करने वाले देश के सामने खड़े हो सकते हैं।

नाटो पर रक्षा संबंधी मामलों में होने वाले कुल खर्च में सदस्य देशों की हिस्सेदारी। (2021-2024) संयुक्त राज्य अमेरिका 16.36% जर्मनी 16.36% यूनाइटेड किंगडम 11.29% है।