भारतीय इतिहास की ओर झांककर देखा जाए तो आपको कई ऐसी घटनाएं मिल जाएँगी जो मानव क्रूरता की सभी हदें पार करती हैं। भारत की स्थिति ब्रिटिश काल में बेहद दयनीय रही है।
आजादी के लिए भारत का कोना -कोना अपना संघर्ष कर रहा था वही देश में गरीबी, बेरोजगारी अपनी चरम सीमा पर थी। एक और जहाँ गाँधी जी आजादी के लिए अहिंसा का मार्ग अपना रहे थे
वही ब्रिटिश सरकार भारतीय क्रांतिकारियों पर अपनी क्रूर नीति अपना रही थी। भारतीय इतिहास में सभी अमानवीय घटनाओं में एक घटना ऐसी है जो आजादी के 75 साल बाद भी सभी के दिलो-दिमाग में जीवित है।
भारतीय उपमहाद्वीप में साल 1858 से 1947 तक ब्रिटिश राज था। 1910 से 1936 तक जॉर्ज प्रथम के शासनकाल में भारत में ब्रिटिश सरकार की अधीनता में कई ऐसी घटनाएं हुयी
जो आज भी अंग्रेजी हुकूमत की अमानवीयता और निर्दयी व्यवहार का परिचय देती है। 13 april 1919 को जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ जिसमें अनेक निर्दोष और निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाई गयी थी
उस गई से अपने बचाव करने के लिए भीड़ बाग़ में मौजूद कुँए में कूद पड़ी उस दिन बैशाखी का दिन था। यह घटना हर बैशाखी में उन सभी क्रांतिकारियों और मासूमों के निर्मम हत्या की याद दिलाती है।
13 अप्रैल 1919 रविवार को बैसाखी के दिन जलियांवाला बाग़ में एक शांतिपूर्ण सभा का आयोजन किया गया था जिसमें पुरुष महिलाएं और बच्चे शामिल थे।
यह सभी लोग रोलेट एक्ट 1919 का विरोध करने के लिए अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के पास जलियाँवाला बाग़ में एकत्रित हुए थे। रोलेट एक्ट जिसे काला कानून से भी जाना जाता था
इस घटना में 120 शव केवल बाग़ के कुएं से ही मिले थे। घायल लोगों को इलाज के लिए ले जा पाना असंभव था क्यूंकि शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था। कई लोग जो घायल थे बाग़ में ही तड़प तड़प के मारे गए।
जलियांवाला बाग़ नरसंहार की इस घटना ने भारत ही नहीं अन्य देशों में जनता के बीच आक्रोश उत्त्पन्न किया।हत्याकांड की घटना के बाद महात्मा गाँधी ने अपना पहला सत्याग्रह अभियान ,असहयोग आंदोलन का आयोजन किया।