21 वीं सदी का भारतीय समाज जाति के बंधनों से मुक्त है। भारतीय संविधान देश में सभी जाति ,धर्म,लिंग ,आयु के व्यक्तियों को बिना किसी भेदभाव के मौलिक अधिकार प्रदान करता है।

भारतीय समाज में सबसे बड़ी विडम्बना यह रही है कि यह खोखले मान्यताओं और जाति के आधार पर एक दूसरे से दुर्भावना और कलेश की स्थिति उत्त्पन्न करता है लेकिन शिक्षा और तार्किक शक्ति से मनुष्य आज के समय में

इन सबसे ऊपर उठा है। जब भी कभी अछूतों (दलितों) का जिक्र होता है तो भारतीय संविधान के जनक और भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक डॉ भीमराव अम्बेडकर का नाम जरूर आता है।

Dr. B.r Ambedkar का जन्म 14 अप्रैल 1891 को ब्रिटिश भारत में मध्य प्रदेश के महू नामक स्थान में हुआ था वर्तमान में यह डॉक्टर आम्बेडकर नगर मध्य प्रदेश में है।

जन्म के समय इनका नाम भीवा ,भीम ,भीमराव था। इनके माता पिता इन्हें भीमा नाम से पुकारते थे। डॉ भीमराव अम्बेडकर को बाबासाहब आम्बेडकर, भीमराव रामजी आम्बेडकर के नाम से भी जाना जाता है।

Ambedkar स्वतंत्र भारत के पहले विधि एवं न्याय मंत्री (Law and Justice Minister) थे। वह एक महान वक्ता ,दार्शनिक ,नेता ,शिक्षक थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई पुरस्कार अर्जित किये।

भारतीय संविधान के जनक कहे जाने वाले बी.आर आम्बेडकर एक दलित परिवार से सम्बंधित थे। इनके माता का नाम भिमबाई मुर्बद्कर और पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था।

इनका बचपन का नाम भीवा था यह अपने माता पिता की 14 वीं और अंतिम संतान थे। इनका मूल नाम सकपाल था इनका परिवार कबीर पंथ को मानने वाला मराठी मूल का था।

वह हिन्दू महार जाती से सम्बंधित थे जो उस समय भारत में अछूत जाति के अंतर्गत आती थी इसके कारन इन्हें बचपन से ही हर क्षेत्र में व्याप्त भेदभाव को सहना पड़ा।