भारत ही नहीं विदेशों में भी घरेलू हिंसा के मामलों में विस्तार हुआ है। कई मामलों में महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी घरेलु हिंसा का शिकार पाए गए हैं
घरेलू हिंसा (Domestic Violence) एक सभ्य समाज की पहचान नहीं है यह एक दंडनीय अपराध है। घरेलू हिंसा को रोकने के लिए ‘घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम
(पीडब्ल्यूडीवीए) 2005” को लागू किया गया। पहले के समय में महिलायें अपने खिलाफ हो रहे अत्याचारों को सहा करती थी लेकिन अब महिलाएं जागरूक हो चुकी हैं।
protection of women from domestic violence act 2005 को भारत की संसद द्वारा पारित किया गया था। घरेलु हिंसा से तात्पर्य घर के भीतर होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा है।
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम (पीडब्ल्यूडीवीए) 2005 के तहत भारत की महिलाएं जो अपने घर में किसी प्रकार के अत्याचार से पीड़ित हैं
Domestic Violence में महिलाओं के ऊपर किये जाने वाले अत्याचार में महिला के नातेदार जैसे पति ,भाई ,बहन ,बेटा, सास ,देवर -भाभी ,नन्द या परिवार के अन्य सदस्य शामिल होते हैं।
देश में घरेलु हिंसा रोकने के लिए कई कानून (laws to prevent domestic violence in india) बनाये गए हैं। समय -समय पर देश में domestic violence रोकने के लिए कई कानून बनाये गए और पारित किये गए।
भारतीय दंड सहिंता 1860 की धारा 498 A के तहत विवाहित महिला के साथ उसके पति या पति के रिश्तेदार अत्याचार /हिंसा करते हैं तो उन्हें इसके लिए 3 साल की सजा का प्रावधान है।
ncw.nic.in पर domestic violence के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए आपको नीचे दिए प्रोसेस को फॉलो करना होगा
सबसे पहले आपको राष्ट्रीय महिला आयोग की ऑफिसियल वेबसाइट ncw.nic.in पर विजिट करना होगा। जैसे ही आप वेबसाइट पर विजिट करते हैं आपके सामने वेबसाइट का होम पेज खुलता है।