शादी हर किसी की जिंदगी का एक खूबसूरत पल होता है ,लेकिन आजकल के समाज में बहुत कम युगल ख़ुशी -खुशी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर पाते हैं। शादीशुदा जिंदगी में कई बार पति-पत्नी के बीच मतभेद पैदा होते हैं

और यह मतभेद कई मामलों में इतने अधिक बढ़ जाते हैं की तलाक लेने की नौबत तक आ जाती है। भारत में विशेषता हिंदू धर्म के युगल को तलाक लेने के लिए काफी लंबी प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है।

Talaq लेने के नए नियमों के तहत पति पत्नी को एक से अधिक आधार पर तलाक (Divorce) लेने का अधिकार है। इसे Hindu Marriage Act 1955 section -13 के तहत वर्णित किया गया है।

यदि पति पत्नी आपसी सहमति से तलाक चाहते है तो इसका प्रावधान भी विशेष विवाह अधिनियम, 1954 की धारा 28 और तलाक अधिनियम, 1869 की धारा 10A में किया गया है।

आपको बता दें की हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 को मुस्लिम धर्म को छोड़कर हिंदू, सिख ,बौद्ध, जैन धर्म के व्यक्तियों पर लागू किया जाता है।

Hindu Marriage Act 1955 section -13 के तहत विवाह विच्छेद या तलाक (Divorce) लेने के लिए निम्नलिखित आधार दिए गए है 

व्यभिचार (Adultry)- इस स्थिति में यदि विवाहित युगल (पति या पत्नी) में से कोई भी एक किसी दूसरे व्यक्ति से शादी के बाद संबंध रखता है तो इसे तलाक /विवाह विच्छेद का आधार माना जा सकता है।

Desertion)- यदि पति या पत्नी में दोनों में से किसी एक ने अपने पार्टनर को छोड़ दिया हो। और Divorce के लिए अप्लाई करने से पूर्व लगातार 2 साल से साथ नहीं रह रहे हों। यदि परिवार को छोड़कर सन्यास ले लिया हो।

भारत में तलाक मूलतः 2 प्रकार के होते हैं। – – आपसी सहमति से तलाक – एकतरफा तलाक इसे विवादित तलाक भी कहा जाता है।

विशेष विवाह अधिनियम, 1954 (Special Marriage Act, 1954) की धारा-27 में इसके तहत विधि विधान से संपन्न किये विवाह से तलाक के लिए प्रावधान किये गए हैं।