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आजकल कई लोग Court Marriage को ज्यादा अच्छा विकल्प मानते हैं। क़ानूनी रूप से पति-पत्नी बनने के लिए कोर्ट मैरिज एक आसान उपाय है। कोर्ट मैरिज न सिर्फ लम्बे समय तक चलने वाले शादी के फंक्शन से बचाता है

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अब लोगों को बैंड बाजा वाली शादी की जगह शांति से बिना ज्यादा खर्चा किये कुछ ही समय में क़ानूनी रूप से पति-पत्नी का दर्जा देने वाली कोर्ट मैरिज अधिक पसंद आने लगी है।

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कोर्ट में शादियां कोर्ट मैरिज विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत होती है। जिसके अंतर्गत सभी धर्मों और जातियों के लड़के या लड़कियां विवाह कर सकते हैं

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कोर्ट मैरिज से पहले वर और वधु और गवाहों को विवाह अधिकारी के समक्ष एक घोषणा पत्र पर अपने हस्ताक्षर करने होते हैं। और इसके लिए आपको 500 से 1000 रुपए तक की फीस देनी होती है।

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कोर्ट मैरिज के लिए न्यूनतम 1000 रुपए की फीस चार्ज की जाती है किन्तु कागजी कार्यवाही और वकीलों को मिलकर आपको 10 हजार से 20 हजार रुपए तक का खर्चा करना पड़ सकता है।

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कोर्ट मैरिज किसी भी धर्म या जाति के बीच हो सकती है लेकिन इसके लिए लड़का और लड़की दोनों का बालिग होना आवश्यक है। लड़के की आयु 21 और लड़की की आयु 18 से ऊपर होनी चाहिए।