भारत में आईपीसी में कुल 511 धाराएं हैं जसमें विभिन्न धाराओं में कई प्रकार के क़ानूनी प्रावधान किये गए हैं। इसमें से एक अन्य महत्वपूर्ण IPC की धारा 144 है, जिसके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए।
आपने कभी न कभी आईपीसी की धारा 420 के आपने जरूर सुना होगा। सामान्यता लोगों द्वारा किसी चोर या ठग व्यक्ति के लिए 420 का इस्तेमाल किया जाता है।
क़ानूनी रूप से इस संख्या का क्या महत्त्व है यह आपको समझना जरुरी है। धारा 420 (IPC Section 420) क्या है और इसे किस अपराध के लिए लगाया जाता है इसकी जानकारी आपको आर्टिकल में आसान भाष में दी गयी है।
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धारा 420 क्या है ?
आईपीसी की धारा 420 के अंतर्गत ऐसे व्यक्तियों के लिए सजा का प्रावधान है जो छल, ठगी या चोरी से किसी व्यक्ति की संपत्ति को हड़पने या सम्पत्ति बेचने के लिए बेईमानी या धोखाधड़ी करते हैं।
भारतीय दंड सहिंता की धारा 420 के तहत ऐसे व्यक्ति सजा के पात्र माने जायेंगे जिन्होंने किसी व्यक्ति को उनकी संपत्ति हड़पने के लिए किसी प्रकार का धोखा या बेईमानी की हो।
धोखाधड़ी के अपराध और उसके घटकों को Indian Penal Code 1860 के सेक्शन 415 के अंतर्गत परिभाषित किया गया है।
धारा 420 द्वारा धोखाधड़ी के गंभीर मामलों को दण्डित किये जाने का प्रावधान है। इसके तहत अपराधी द्वारा बेईमानी या धोखे से संपत्ति के वितरण या किसी की मूल्यवान सुरक्षा में हस्तक्षेप करने पर अपराधी को दंडित किये जाने का प्रावधान है।
Section 420 के तहत अपराध और सजा
अपराध | सजा | अपराध की श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
छल या धोखे से किसी व्यक्ति की संपत्ति ,वस्तु को अपना बना लेना | 7 वर्ष तक की जेल + जुर्माना | संज्ञेय (Cognizable crime) | गैर-जमानतीय अपराध (Non bailable offence) | प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा |
धारा 420 में सजा
आईपीसी की धारा 420 के तहत अपराधी पाए गए व्यक्ति को 7 साल की सजा के साथ साथ जुर्माना भरना पड़ता है। IPC Section 420 में धोखे और ठगी के गंभीर मामलों के लिए सजा का प्रावधान है।
आईपीसी के सेक्शन 420 में ऐसे व्यक्ति के लिए सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान रखा गया है। जिसके द्वारा बेईमानी या धोखे से किसी व्यक्ति को कोई भी संपत्ति दी जाती है या किसी के बहुमूल्य वस्तु या उस वस्तु के भाग को धोखे से बेचा या हस्तांतरित किया जाता है।
अदालत के विवेकानुसार कारावास को सरल या कठोर रखा जा सकता है। यह अपराध एक गैर क़ानूनी गैर जमानती अपराध है। यह एक संगीन अपराध की श्रेणी में आता है। इस प्रकार के अपराध के लिए न्यायालय की परमिशन पर पीड़ित व्यक्ति द्वारा अपराधी से समझौता किया जा सकता है।
इन मामलों पर लगायी जाती है IPC की धारा 420
किसी व्यक्ति पर IPC Section 420 इन मामलों में दोषी पाए जाने पर लगाया जाता है –
- यदि कोई व्यक्ति किसी के साथ धोखाधड़ी या छल करता है।
- किसी व्यक्ति द्वारा यदि किसी की संपत्ति को हड़पने की कोशिश की जाती है।
- बेईमानी करना
- संपत्ति की बेईमानी
- संपत्ति पर फर्जी दस्तावेज
- संपत्ति की फर्जी जमाबंदी
- ATM फर्जी कॉल
- लॉटरी का लालच देना
धारा 420 के तहत अपराध के लिए, यह प्रूफ करना जरुरी है की पीड़ित व्यक्ति को कोई नुक्सान हुआ है या किसी प्रकार का नुक्सान हानि होनी की कोई संभावना है।
IPC की धारा 420 केस में जमानत कैसे मिलेगी ?
- जमानत के लिए आरोपी व्यक्ति को अदालत में जमानत हेतु आवेदन करना होगा।
- अदालत द्वारा समन को पीड़ित पक्ष को भेजा जायेगा और सुनवाई हेतु अदालत एक तिथि का निर्धारण करेगी।
- सुनवाई वाले दिन दोनों पक्षों की दलीलों के तथ्यों और परिस्थतियों के आधार पर अदालत द्वारा निर्णय लिया जायेगा।
- यदि किसी व्यक्ति की सेक्शन 420 के तहत ग्रिफ्तारी की जा सकती है तो आरोपी जमानत हेतु आपराधिक वकील की सहायता लेकर जमानत के लिए आवेदन दायर कर सकता है।
- वकील द्वारा आपराधिक मामले को पेंडिंग में रखने का अधिकार रखने वाले कोर्ट में जमानत याचिका दायर की जाएगी।
- अदालत द्वारा एक सरकारी वकील को अग्रिम जमानत अर्जी की सुचना दी जाएगी।
- यदि इसपर किसी को आपत्ति हो तो वह अपनी आपत्तियां दर्ज कर सकेंगें।
- इसके बाद आगे की सुनवाई की तारीख तय की जाएगी और दोनों पक्षों की अंतिम दलीलों को सुना जायेगा।
- दलीलों को सुनने के बाद मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी।
IPC 420 in hindi
यदि कोई व्यक्ति अपने स्वयं के लाभ के लिए किसी दूसरे व्यक्ति की संपत्ति को हड़पने के लिए उसके साथ किसी प्रकार का छल या धोखा करता है और संपत्ति को अपने नाम कर लेता है या उसे प्राप्त कर लेता है।
इस संपत्ति पर यदि वह अपनी नकली हस्ताक्षर कर संपत्ति के असली मालिक को किसी प्रकार के आर्थिक, मानसिक, शारीरिक दबाब बनता है और संपत्ति को अपने नाम करता है तो वह व्यक्ति भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के अंतर्गत अपराधी माना जायेगा। उस व्यक्ति पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
धारा 420 क्या है सजा और जमानत से सम्बंधित अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)-
किसी व्यक्ति को धोखा देना ,बेईमानी करना या झांसे में लेकर उसकी संपत्ति को हड़पना, ATM फर्जी कॉल ,लॉटरी का लालच देना आदि अपराधों के लिए ipc की धारा 420 लगायी जाती है।
इंडियन पेनल कोड (IPC) की धारा 415 के अंतर्गत धोखाधड़ी शब्द को परिभाषित किया गया है।
IPC section 420 के तहत अपराध की प्रकृति को संघेय अपराध (Cognizable crime) की श्रेणी में रखा गया है।
भारतीय दंड सहिंता की धारा 420 के तहत अपराधी को 7 साल की कारावास की सजा मिलती है साथ ही साथ अपराधी को भारी जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
नहीं! IPC की धारा 420 के तहत आने वाले अपराध को गैर जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है।