Diwali 2021 Puja Vidhi : दिवाली का पर्व उत्साह, उमंग और रोशनी का पर्व है। हिंदी पंचांग के अनुसार दिवाली का पर्व कल यानी 4 नवंबर दिन बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी। कल कार्तिक मास की अमावश्य है, इसी दिन दिवाली का पर्व मनाया जाता है। दिवाली के पर्व पर माता लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा की जाती है। कैसे आप दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन करेंगे और यहाँ जाने पूजन करने की पूरी विधि क्या है और बीज मन्त्र क्या है। ये सभी जानकारी आप आगे दी गयी जानकारी में प्राप्त कर सकते है।
ऐसे करें लक्ष्मी-गणेश का पूजन
दिवाली के दिन सबसे पहले एक साफ़ एवं स्वच्छ लाल रंग का कपडा बिछाये और उसके बाद आपको उस कपड़े के ऊपर लक्ष्मी-गणेश भगवान की प्रतिमा को स्थापित करना है। इसी के साथ आपको माँ सरस्वती और कुबेर भगवान् की मूर्ति भी स्थापित करनी है और कलश भी स्थापित करें। उसके बाद आपको मन्त्र का उच्चारण करना है जैसे कि –
ऊं अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।
उपर्युक्त मन्त्र का उच्चारण करें और तीन बार गंगाजल का छिड़क कर स्थान को शुद्ध करें। पूजन का संकल्प लेते हुए भगवान गणेश और कलश की पूजा करें। उसके बाद हाथ में पुष्प लें और गणेश जी का ध्यान करें। साथ ही गणेश जी के बीज मंत्र का उच्चारण करें –
ॐ गण गणपतये नमः
गजाननम्भूतगभू गणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।
म् उमासुतं सु शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।
उपर्युक्त मंत्र का उच्चारण तीन बार करें। गणेश जी सिन्दूर से तिलक करके दूर्वा अर्पित करें। उसके बाद कलश पर मोली बांधकर उसमें गंगाजल भरकर आम के पत्ते और नारियल रखें, कलश की पूजा करें। कलश को जनेऊ, फल-फूल, रोली, अक्षत चढाकर, गोबर से गौरा का बनाकर उन्हें सिंदूर अर्पित करें। उसके बाद मां लक्ष्मी को तिलक करें। उन्हें धूप-दीप और वस्त्र अर्पित करें। मां लक्ष्मी की पूजन उनके बीज मंत्र और इन मंत्रों का जाप करते हुए करें –
ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।
ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।
ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
उसके बाद दिवाली के शुभ दिन पर माता लक्ष्मी के श्री सूक्त का पाठ करें। इसी विधि से माँ सरस्वती और धन कुबेर की पूजा संपन्न करें। माँ काली की पूजा अर्धरात्रि को किये जाने का विधान है। समस्त देवी-देवताओं की पूजा करने के पश्चात हवन करना चाहिए। गणेश लक्ष्मी को खील-बताशे, नैवेद्य, पान-सुपारी, फल, पंचामृत का भोग लगाएं। लक्ष्मी-गणेशी की आरती गा कर पूजा की समाप्ति करनी चाहिए। पूजा समाप्त होने के बाद पूरे घर में दिये जलाए जाते हैं और प्रसाद सब में बांटा जाता है।
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